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जिनपिंग के चलते इमरान के घर में विद्रोह, पाकिस्तान में ‘लाल’ बगावत

चीन इस प्रोजेक्ट में अरबों डॉलर खर्च कर चुका है। आलम ये है कि 60 बिलियन अमेरिकी डॉलर की लागत वाले इस परियोजना की सुरक्षा को लेकर पाकिस्तान ने एक स्पेशल फोर्स बनाई है।

नई दिल्ली। पाकिस्तान के भीतर चीन को लेकर नाराजगी बढ़ती ही जा रही है। इसका कारण चीन की ओर से लगातार पाकिस्तान के संसाधनों पर कब्जा करने की नीयत है। पाकिस्तान के भीतर विद्रोही लड़ाके चीन को जमकर निशाना बना रहे हैं। विद्रोहियों के इस कदम ने चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर के भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

Xi Jinping & Imran Khan

चीन इस प्रोजेक्ट में अरबों डॉलर खर्च कर चुका है। आलम ये है कि 60 बिलियन अमेरिकी डॉलर की लागत वाले इस परियोजना की सुरक्षा को लेकर पाकिस्तान ने एक स्पेशल फोर्स बनाई है। इस टास्क फोर्स में 13700 स्पेशल कमांडो शामिल हैं। इसके बावजूद इस परियोजना में काम कर रहे चीनी नागरिकों पर हमले लगातार बढ़ते जा रहे हैं।

china pak economic corridor

बलूच लिबरेशन आर्मी पाकिस्तान के भीतर चीन के खिलाफ इन हमलों को लीड कर रही है। बलूच लिबरेशन आर्मी के उग्रवादियों ने अगस्त 2018 में ग्वादर से बस के जरिए सफर कर रहे चीनी इंजीनियरों के एक समूह पर हमला किया था जिसमें 3 लोग मारे गए थे जबकि पांच अन्य जख्मी हो गए थे। इसके अलावा नवंबर 2018 में कराची के चीनी वाणिज्यिक दूतावास पर भी इस ग्रुप ने हमला किया था। इसी साल जून में कराची के स्टॉक एक्सचेंज पर हुए हमले की जिम्मेदारी बलूच लिबरेशन आर्मी की माजिद ब्रिग्रेड ने ली थी।

balochistan liberation army

बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने हमेशा से चीन पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर का विरोध किया है। दरअसल पाकिस्तान ने बलूच नेताओं से बिना राय मशविरा किए ही सीपीईसी से जुड़ा फैसला ले लिया। इसकी आड़ में चीन पाकिस्तान के संसाधनों पर लगातार कब्जा कर रहा है और वहां के नागरिकों को उनके हकों से वंचित कर रहा है।

मंगलवार को ही बलूच उग्रवादियों ने पंजगुर जिले में सेना के एक काफिले को निशाना बनाया जिसमें तीन सैनिक मारे गए, जबकि सेना के एक कर्नल सहित 8 अन्य जख्मी हो गए। चीन BRI के तहत पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को 80 करोड़ डॉलर की आनुमानित लागत से विकास कर रहा है। चीन के अधिकारी भले ही बार-बार यह कहते रहे हैं कि ग्वादर बंदरगाह और CPEC का उद्देश्य पूरी तरह से आर्थिक और व्यावसायिक हैं, लेकिन इसके पीछे चीन के इरादे पाकिस्तान को पूरी तरह से अपने कब्जे में लेने के हैं।