
न्यूयॉर्क। भारत ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद UNSC में चीन को इशारों इशारों में आतंकवाद और उसकी विस्तारवादी नीति पर आईना दिखाया। सुरक्षा परिषद में भारत की दूत रुचिरा कंबोज ने कहा कि दुनिया में सुरक्षा तभी संभव है, जब सभी देश आतंकवाद जैसे खतरों के खिलाफ एकजुट हों। उन्होंने कहा कि इस बारे में बात करते वक्त दोहरे मानक नहीं होने चाहिए। भारतीय दूत की ये टिप्पणी इस मायने में महत्वपूर्ण है, क्योंकि चीन ने बीते दिनों पाकिस्तानी आतंकी अब्दुल रहमान मक्की को सुरक्षा परिषद के प्रतिबंधों के तहत लाने की कोशिश में रोड़ा अटका दिया था। इसके अलावा उसने जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी अब्दुल रऊफ अजहर को भी ब्लैकलिस्ट करने के प्रस्ताव पर तकनीकी रोक लगाई थी।
भारतीय दूत रुचिरा कंबोज ने इसके अलावा विस्तारवादी नीति पर भी चीन की खिंचाई की। उन्होंने कहा कि यथास्थिति को बदलने की जबरदस्ती या एकतरफा कार्रवाई सामान्य सुरक्षा के खिलाफ है। साझा सुरक्षा तभी हो सकती है, जब देश एक-दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करें। कंबोज ने कहा कि देशों को दूसरों के साथ उन समझौतों का सम्मान करना चाहिए, जिनपर दस्तखत किए गए हैं। उन व्यवस्थाओं को रद्द करने के लिए एकतरफा कोशिश भी नहीं करना चाहिए, जिनका वे हिस्सा रहे हैं। भारतीय दूत की ये टिप्पणी चीन की ओर से साल 2020 से जारी लद्दाख संकट के बारे में दिया गया है। बता दें कि चीन के सैनिकों ने 15 जून 2020 को भारतीय सेना के दल पर अटैक किया था। जिसमें कर्नल समेत 20 जवान शहीद हुए थे। चीन के भी तमाम सैनिक मारे गए थे, लेकिन उसने इनकी संख्या महज 4 ही बताई थी।
Watch: Message to China from UNSC. Indian envoy to UN @ruchirakamboj calls on countries to respect territorial integrity, agreements & not indulge in “coercive or unilateral” acts pic.twitter.com/MmQaKdL8hj
— Sidhant Sibal (@sidhant) August 22, 2022
रुचिरा कंबोज ने ये भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र की स्थापना आने वाली पीढ़ियों को युद्ध के संकट से बचाने के महान उद्देश्य से की गई थी। संयुक्त राष्ट्र पिछले 77 साल से शांति बनाए रखने का काम करता है और इसका श्रेय भी उसे मिला है। उन्होंने कहा कि आज की सुरक्षा परिषद बैठक भारत के बहुपक्षवाद के आह्वान के बारे में भी गंभीर चर्चा कर सकती है। इसमें सुरक्षआ परिषद का सुधार भी शामिल है। उन्होंने कहा कि हमारे पीएम ने कहा था कि प्रतिक्रियाओं में, प्रक्रियाओं में, संयुक्त राष्ट्र के चरित्र में सुधार करना वक्त की जरूरत है।