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Henry Kissinger Dead: जानिए कौन थे अमेरिका को तमाम मुश्किलों से बचाने वाले हेनरी किसिंजर? 100 साल की उम्र में हुआ निधन

अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर का निधन हो गया है। वो 100 साल के थे। अपने दौर में हेनरी किसिंजर को बड़ा राजनयिक माना जाता था। चीन और अमेरिका के बीच संबंध सामान्य कराने में उनका बड़ा हाथ था। किसिंजर को शांति का नोबल पुरस्कार भी मिला था। हालांकि इस पर विवाद भी हुआ।

कनेक्टिकट। अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर का निधन हो गया है। वो 100 साल के थे। अपने दौर में हेनरी किसिंजर को बड़ा राजनयिक माना जाता था। चीन और अमेरिका के बीच संबंध सामान्य कराने में उनका बड़ा हाथ था। किसिंजर को शांति का नोबल पुरस्कार भी मिला था, लेकिन उनको ये सम्मान दिए जाने पर विवाद भी हो गया था। हेनरी किसिंजर ने इसी साल जुलाई में चीन का दौरा किया था। वो राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिले थे। इसी के बाद अमेरिका और चीन के बीच ताइवान और अन्य मुद्दों पर हाल के दिनों में जमी बर्फ पिघलती दिख रही है। किसिंजर के दौरे के बाद ही पिछले दिनों चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग भी अमेरिका के दौरे पर आए थे और राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात की थी। हेनरी किसिंजर ने अमेरिका को उत्तर कोरिया से होने वाले परमाणु खतरे के बारे में भी लगातार आगाह किया था। उन्होंने इस मसले पर अमेरिकी संसद की सीनेट की कमेटी के सामने गवाही भी दी थी।

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अमेरिका में राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के दौर में 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था। इसी युद्ध के नतीजे में नया राष्ट्र बांग्लादेश बना। इस युद्ध के वक्त अमेरिका ने पाकिस्तान का साथ दिया था और भारत को डराने के लिए बंगाल की खाड़ी में अपनी नौसेना का बेड़ा भी भेजा था। पाकिस्तान की करारी हार के बाद निक्सन और किसिंजर को झटका लगा और फिर एक वक्त ऐसा आया, जब 1974 में वॉटरगेट कांड में निक्सन के इस्तीफा देने के बाद हेनरी किसिंजर अमेरिका के टॉप राजनयिक होने के बावजूद अंतराल में चले गए। हेनरी किसिंजर यहूदी थे और वो अमेरिका में बतौर शरणार्थी आए थे। किसिंजर के विदेश मंत्री रहते तत्कालीन सोवियत संघ और अमेरिका के बीच परमाणु हथियार नियंत्रण पर बातचीत शुरू हुई और वियतनाम युद्ध के बाद पेरिस शांति समझौते पर भी दस्तखत हुए थे।

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किसिंजर ने रिचर्ड निक्सन के अलावा अमेरिका के राष्ट्रपति जेराल्ड फोर्ड की सरकार में भी काम किया। दुनिया में उनको सबसे बड़ा राजनयिक और अमेरिका के लिए दिक्कतों को दूर कराने में भूमिका निभाने वाला माना जाता है। कम्युनिस्ट विरोध के लिए तमाम लोग उनको दक्षिण अमेरिका में युद्ध अपराधी भी मानते हैं। साल 1973 में हेनरी किसिंजर को नोबल शांति पुरस्कार मिला। इसे उन्होंने उत्तरी वियतनाम के नेता ले डक थो से साझा किया, लेकिन थो ने नोबल लेने से इनकार कर दिया। इस सम्मान को दिए जाने के फैसले पर नोबल समिति के 2 सदस्यों ने सवाल भी उठाए और उन्होंने इस्तीफा तक दे दिया था।