नई दिल्ली। मालदीव सरकार के एक आदेश ने वहां कार्यरत भारतीय नागरिकों की चिंता बढ़ा दी है। सूचना आयुक्त कार्यालय (ICOM) ने मालदीव के रक्षा मंत्रालय को आदेश दिया है कि भारत से उपहार में मिले डोर्नियर विमान और हेलीकॉप्टरों को ऑपरेट करने वाले भारतीय असैन्य कर्मियों की जानकारी को सार्वजनिक किया जाए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह आदेश सूचना के अधिकार (RTI) के तहत दायर की गई एक याचिका के बाद जारी किया गया है। मालदीव की वेबसाइट ‘अधाधु’ ने 12 मई को RTI अधिनियम के तहत अर्जी लगाई थी, जिसमें यह पूछा गया था कि इन नागरिक कर्मियों की पुष्टि कैसे हुई, उनका विवरण क्या है और वे सैन्य विमान कैसे संचालित कर रहे हैं।
रक्षा मंत्रालय ने किया था जानकारी देने से मना
मालदीव रक्षा मंत्रालय ने इस जानकारी को साझा करने से मना कर दिया था। इसके बाद ‘अधाधु’ ने सूचना आयुक्त कार्यालय में शिकायत दर्ज की। मामले की चार सुनवाई के बाद, ICOM ने रक्षा मंत्रालय के इनकार को गलत ठहराते हुए आदेश दिया कि पांच कार्य दिवसों के भीतर संबंधित जानकारी उपलब्ध कराई जाए। सूचना आयुक्त अहमद अहिद रशीद ने इस संबंध में मालदीव रक्षा मंत्रालय को एक पत्र जारी किया, जिसमें स्पष्ट किया गया कि यह जानकारी RTI अधिनियम के तहत सार्वजनिक की जानी चाहिए।
भारतीय सैनिकों की जगह नागरिक कर्मियों की तैनाती
गौरतलब है कि 10 मई 2024 को मुइज्जू सरकार ने मालदीव में तैनात 76 भारतीय सैनिकों को वापस बुलाने का ऐलान किया था। उनकी जगह भारत सरकार द्वारा संचालित एक रक्षा कंपनी के असैन्य कर्मियों को तैनात किया गया। इन कर्मियों ने डोर्नियर विमान और हेलीकॉप्टरों को संचालित करना शुरू किया। 26 जुलाई को मालदीव के स्वतंत्रता दिवस समारोह में राष्ट्रपति मुइज्जू ने कहा था कि डोर्नियर विमान की मदद से एक मरीज को चिकित्सा सहायता दी गई थी। हालांकि, डोर्नियर और हेलीकॉप्टरों द्वारा की गई कुल उड़ानों की जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई।
भारतीय समुदाय में बढ़ी चिंता
इस आदेश के बाद मालदीव में रह रहे भारतीय नागरिकों में चिंता बढ़ गई है। जानकारों का कहना है कि असैन्य कर्मियों की पहचान सार्वजनिक होने से उनकी सुरक्षा पर खतरा मंडरा सकता है। भारत और मालदीव के संबंधों में भी इस मुद्दे को लेकर असमंजस की स्थिति बन सकती है।