नई दिल्ली। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद भारत ने भी अपने राजदूत और दूतावास के कर्मचारियों को निकाल लिया है। पिछले दिनों भारत ने मजार-ए-शरीफ से भारतीयों को निकाला था। अब काबुल से पहली फ्लाइट में राजदूत और बाकी स्टाफ लाए जा रहे हैं। सरकारी सूत्रों के मुताबिक वायुसेना का सी-17 ग्लोबमास्टर विमान काबुल भेजा गया था। इस विमान की पहली उड़ान से करीब 130 लोग लाए जा रहे हैं। दोपहर बाद तक विमान के दिल्ली में उतरने की संभावना है। बता दें कि मोदी सरकार ने कल कहा था कि काबुल में आईटीबीपी के भी 150 जवान हैं और इन्हें सबसे आखिर में निकाला जाएगा। इससे पहले विदेश मंत्रालय ने हेरात में भारतीय कॉन्सुलेट को बंद करने का फैसला किया था। माना जा रहा है कि काबुल में भारत का दूतावास भी बंद कर दिया जाएगा।
बता दें कि अफगानिस्तान में तालिबान की पहली सत्ता के दौरान भी भारत ने अपने दूतावास और कॉन्सुलेट बंद कर रखे थे। जब भारतीय विमान आईसी 814 को अगवा कर कंधार ले जाया गया था, तब भारत का कोई अफसर अफगानिस्तान में मौजूद नहीं था। उधर, सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत ने अफगानिस्तान के हालात पर गंभीर चिंता जताई। भारत ने बतौर अध्यक्ष कहा कि अफगानिस्तान में महिलाएं, पुरुष और बच्चे डरे हुए हैं। भारतीय प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि मित्र देश के तौर पर अफगानिस्तान की मौजूदा स्थिति भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में भारत की ओर से विकास योजनाएं चल रही थीं। हम इनकी सुरक्षा सुनिश्चित कराना चाहते हैं।
तिरुमूर्ति ने ये भी कहा कि आतंकवाद के सभी रूप के प्रति भारत की जीरो टॉलरेंस की नीति है। यह सुनिश्चित करता है कि अफगानिस्तान का इस्तेमाल आतंकवादी समूह किसी दूसरे देश को धमकाने या हमला करने के लिए नहीं करेंगे।