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NIA Probe: लंदन के भारतीय उच्चायोग में तोड़फोड़ की जांच करेगी एनआईए, अमेरिका में 2 माफिया समेत 17 खालिस्तानी गिरफ्तार

सूत्रों के हवाले से खबर है कि केंद्र सरकार ने लंदन में भारतीय उच्चायोग के सामने प्रदर्शन और तोड़फोड़ के मामले की जांच एनआईए को सौंपी है। दिल्ली पुलिस ने पहले इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी। अब एनआईए इसी एफआईआर को लेकर जांच करेगी। फिर इन लोगों के खिलाफ भारत सरकार कानूनी कार्रवाई कर सकती है।

नई दिल्ली/कैलिफोर्निया। बीते दिनों लंदन और अमेरिका में भारत के उच्चायोग और दूतावास पर खालिस्तान समर्थक तत्वों ने जमकर तोड़फोड़ की थी। भारत ने इस मामले में ब्रिटेन और अमेरिका की सरकारों से सख्त विरोध जताते हुए कार्रवाई की मांग की थी। अब सूत्रों के हवाले से खबर है कि केंद्र सरकार ने लंदन में भारतीय उच्चायोग के सामने प्रदर्शन और तोड़फोड़ के मामले की जांच एनआईए को सौंपी है। दिल्ली पुलिस ने पहले इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी। अब एनआईए इसी एफआईआर को लेकर जांच करेगी। जांच में पता किया जाएगा कि लंदन में भारतीय उच्चायोग पर हुए हिंसात्मक प्रदर्शन में कौन-कौन शामिल था।

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दूसरी तरफ अमेरिका के कैलिफोर्निया से खबर है कि सैक्रामेंटो के एक गुरुद्वारे में 23 मार्च को हुई गोलीबारी की घटना के सिलसिले में पुलिस ने 20 जगह छापा मारकर 17 लोगों को गिरफ्तार किया है। इन आरोपियों के पास से मशीनगन, कई बंदूकें और एके-47 जैसे घातक हथियार बरामद किए गए हैं। बताया जा रहा है कि गिरफ्तार लोगों में ज्यादातर सिख हैं। कैलिफोर्निया राज्य के अटॉर्नी जनरल रॉब बोंटा, यूबा के पुलिस प्रमुख ब्रायन बेकर और सटर काउंटी की अटॉर्नी जेनिफर डुब्री ने मीडिया को इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि गिरफ्तार लोगों में 2 माफिया हैं और भारत सरकार हत्या के मामलों में इनकी तलाश कर रही है।

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अमेरिकी अधिकारियों ने मीडिया को बताया कि गिरफ्तार लोगों ने सैक्रामेंटो, सटर, सोलानो, योलो, सैन वॉकइन, मर्सड काउंटी में गोलीबारी, हत्या की कोशिश और हिंसा की। ये लोग स्टॉकटन में भी गुरुद्वारा पर गोलीबारी के जिम्मेदार हैं। स्टॉकटन में गोलीबारी की घटना 27 अगस्त 2022 को हुई थी। इनके पास से मिले घातक हथियार ही ये तस्दीक कर रहे हैं कि भारत विरोधी गतिविधियों और हिंसा में कितनी गहरी साजिश रची गई है। अमेरिका के अलावा कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में भी भारतीय मंदिरों और समुदाय के लोगों पर खालिस्तानी तत्वों के हमलों के कई मामले बीते कुछ साल में हुए हैं।