newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

जिस जानवर से फैला कोरोनावायरस उसी को संरक्षित करने में क्यों लगा हुआ है चीन?

कोरोना वायरस की शुरुआत के लिए जिम्मेदार चीन ने पैंगोलिन के संरक्षण के स्तर को बढ़ा दिया है। उसने इस प्राणी को प्रथम श्रेणी के संरक्षित जानवरों में शामिल कर दिया है। इस श्रेणी में पांडा जैसे उन जानवरों को रखा गया है, जो विलुप्त होने के कगार पर है।

बीजिंग। कोरोना वायरस की शुरुआत के लिए जिम्मेदार चीन ने पैंगोलिन के संरक्षण के स्तर को बढ़ा दिया है। उसने इस प्राणी को प्रथम श्रेणी के संरक्षित जानवरों में शामिल कर दिया है। इस श्रेणी में पांडा जैसे उन जानवरों को रखा गया है, जो विलुप्त होने के कगार पर है। यह माना गया कि पैंगोलिन से ही कोरोना वायरस इंसानों में पहुंचा। मांस सेवन और दवाओं के चलते चीन में पैंगोलिन का शिकार बड़े पैमाने पर किया जाता है। चीन में पैंगोलिन के मांस का भी सेवन किया जाता है। पारंपरिक चीनी दवाओं में भी आमतौर पर इस स्तनधारी प्राणी का इस्तेमाल होता है। इसके चलते बड़े पैमाने पर पैंगोलिन का शिकार किया जाता है।

पेंगोलिन को लेकर जो भी रिसर्च और रिपोर्ट्स सामने आई हैं उनके मुताबिक वैज्ञानिक अभी तक यही मानकर चल रहे हैं कि चीन के चमगादड़ों से कोरोना वायरस का फैलाव शुरू हुआ है। मगर पेंगोलिन एक ऐसा जीव है जिसका मीट पूरी दुनिया में सबसे स्वादिष्ट माना जाता है। यह दुनिया का सबसे अधिक तस्करी वाला जीव भी है। रिसर्च के मुताबिक पैंगोलिन से ही कोरोना इंसानों के शरीर में पहुंचा है। 26 मार्च को जर्नल नेचर में प्रकाशित हुए एक शोध में इस बात की पुष्टि हुई है कि कोविड-19 से मिलता-जुलता कोरोना वायरस पैंगोलिन जानवर में मौजूद है।

चमगादड़ के अलावा कोरोना वायरस के परिवार से संक्रमित होने वाला पैंगोलिन इकलौता स्तनपायी जीव बन गया है। इस स्टडी में सीधे तौर पर यह तो नहीं निष्कर्ष नहीं निकाला गया है कि मौजूदा महामारी के लिए पैंगोलिन ही जिम्मेदार है लेकिन इसमें संकेत दिए गए हैं कि नए कोरोना वायरस के पैदा करने में इस जानवर की अहम भूमिका हो सकती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, चमगादड़ों के कोरोना वायरस SARS-CoV के वाहक होने की सबसे ज्यादा संभावना है लेकिन इंसानों में आने से पहले ये किसी अन्य प्रजाति में पहुंचा होगा। यानी कोरोना वायरस चमगादड़ से पहले किसी जानवर में पहुंचा होगा और उस जानवर से इंसानों में। पैंगोलिन एक संकटग्रस्त, विशाल और चींटी खाने वाला स्तनपायी है जो एशिया और अफ्रीका में पाया जाता है।

हालांकि, पैंगोलिन की 8 प्रजातियों की कमर्शियल बिक्री पर पूरी तरह से बैन है लेकिन इसके बावजूद दुनिया भर में पैंगोलिन की सबसे ज्यादा तस्करी होती है। पारंपरिक चीनी औषधियों के लिए हजारों पैंगोलिन की हर साल तस्करी होती है। चीन, वियतनाम और एशिया के कुछ देशों में इसके मांस को स्टेटस सिंबल से भी जोड़कर देखा जाता है। कोरोना वायरस शरीर के द्रव्य, मल और मांस से आसानी से फैल सकता है। इसलिए खाने के लिए पैंगोलिन का इस्तेमाल ज्यादा चिंता की बात है। पैंगोलिन को इसकी स्कैल्स के लिए भी मारा जाता है लेकिन उसके संपर्क में आना मांस की तुलना में कम खतरनाक है।

चीन में पाया जाने वाला पैंगोलिन एक ऐसा जानवर है जिसकी दुनिया में सबसे अधिक तस्‍करी होती है। पैंगोलिन के मांस को चीन और वियतनाम समेत कुछ दूसरे देशों में बेहद चाव से खाया जाता है, इसका दूसरा उपयोग दवाओं के निर्माण में भी होता है। खासतौर पर चीन की पारंपरिक दवाओं के निर्माण में इसका ज्‍यादा इस्‍तेमाल होता है। बीते एक दशक के दौरान दस लाख से अधिक पैंगोलिन की तस्‍करी की जा चुकी है।

यही वजह है कि ये दुनिया का सबसे अधिक तस्‍करी किए जाने वाला जानवर बन गया है। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर के मुताबिक दुनियाभर के वन्‍य जीवों की अवैध तस्‍करी में अकेले 20 फीसद का योगदान पैंगोलिन का ही है। आपको यहां पर ये भी बता दें कि चीन और वियतनाम में इसका मांस खाना अमीर होने की निशानी है। यह जंगली जीव का नाम पेंगोलिन जिसे देहाती भाषा में चिटीखोर कहा जाता है। यह जंगली जीव जंगल में बड़े पेड़ के खोखले में रहता है। यह जीव कीट, पंतग, चींटी आदि का भोजन करते हैं।

पैंगोलिन का अवैध व्‍यापार ज्‍यादातर एशिया में ही होता है। इसके अलावा अफ्रीका में भी इसका व्‍यापार होता है। पैंगोलिन की खाल से लेकर मांस तक की कीमत हजारों में होती है। अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में इसकी खाल की कीमत 24 हजार रुपये किलो तक है। ये केरोटिन की बनी होती है। यह खाल दूसरे जानवरों से बचाव में उसकी रक्षा भी करती है। पैंगोलिन ऐसे शल्कों वाला अकेला ज्ञात स्तनधारी है। इसे भारत में सल्लू साँप भी कहते हैं। पैंगोलिन नाम मलय शब्द पेंगुलिंग से आया है, जिसका अर्थ है जो लुढ़कता है।

पैंगोलिन का जीवन चींटी खाकर गुजरता है। यह पृथ्‍वी पर स्तनधारी और सांप-छिपकली जैसे जानवरों के बीच की कड़ी है। ये एशिया और अफ्रीका के कई देशों में पाए जाते हैं। इनकी खाल के ऊपर ब्लेडनुमा प्लेट्स की एक परत होती है। ये इतनी मजबूत होती है कि इस पर शेर जैसे जानवर के दांतों का भी असर नहीं होता है।

पैंगोलिन स्तनधारी प्राणी है, जिसके शरीर पर शल्क (स्केल) जैसी संरचना होती है। इसी के जरिए यह अन्य प्राणियों से खुद की रक्षा कर पाता है। फिलहाल ऐसे शल्क दुनिया में सिर्फ इसी के पास होते हैं। चींटी और दीमक खाने के कारण इसे चींटीखोर भी कहा जाता है। यह संरक्षित जानवर हैं। दुनिया में सर्वाधिक तस्करी इसी जीव की होती है।

सबसे बड़ी हैरानी की बात ये भी है कि इस जानवर से किसी कोई नुकसान नहीं पहुंचता है। ये बेहद शर्मिला होता है और इंसानों की नजरों में आने से पहले ही भाग लेता है। पैंगोलिन अपना आशियाना ज्‍यादातर जमीन के नीचे बिल बनाकर या फिर सूखे और खोखले हो चुके पेड़ों में बनाता है। लेकिन पैसों के लालच में तस्‍कर इसकी जान को नहीं बख्‍शते हैं।

यह शर्मीला स्तनपायी सबसे ज्यादा तस्करी किया जाने वाला जानवर है और इसका इस्तेमाल व्यावसायिक उद्देश्यों जैसे कि भोजन और पारंपरिक चिकित्सा के लिए किया जाता है। इसकी सभी आठ प्रजातियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत संरक्षित किए जाने के बावजूद, कुछ एशियाई देशों में पैंगोलिन के मांस को खाया भी जाता है।