नई दिल्ली। पाकिस्तान (Pakistan) भारत की धार्मिक भावनाओं को आहत करने से बाज नहीं आ रहा है। फिर बात चाहे वहां हिंदू मंदिरों पर बार-बार हमले की हो या फिर सिख समुदाय की धार्मिक आस्था पर चोट करने का मामला हो। श्री करतारपुर साहिब में एक बार फिर सिख आस्था के साथ खिलवाड़ का मामला सामने आया है। करतारपुर साहिब में सिगरेट वेस्ट से तैयार पाउच में प्रसाद दिया जा रहा है। इस पाउच में एक तरफ सिगरेट के ब्रांड की तस्वीर है और दूसरी तरफ श्री करतारपुर साहिब और गुरुद्वारा श्री ननकाना साहिब की तस्वीर छपी है। इस तरह के प्रसाद वितरण को लेकर सिख समुदाय में काफी नाराजगी है। सिख समुदाय का कहना है कि ऐसा करके पाकिस्तान बार-बार उनकी धार्मिक भावनाओं और मान्यताओं को ठेस पहुंचा रहा है। सिख समुदाय के लोगों इस पर आपत्ति जताते हुए ये कह रहे हैं कि पवित्र सिख धर्मस्थल पर प्रसाद के लिए प्लेट में सिगरेट के पैकेजिंग मटीरियल का इस्तेमाल कैसे किया जा रहा है। श्री करतारपुर साहिब की पवित्रता को बनाए रखने के लिए सिख समुदाय लगातार ये मांग कर रहा है कि गुरुद्वारा परिसर में उर्दू में भी निर्देश लिखे चाहिए। इस पूरे मामले में पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमिटी के अध्यक्ष अमीर सिंह सफाई दी है। अमीर सिंह का दावा है कि कुछ असामाजिक तत्व नहीं चाहते थे कि करतारपुर कॉरिडोर शुरू हो, इसलिए ऐसी हरकत की गई है।
Photos of cigarettes are used in the wrapping paper for distributing Prasad to devotees at Kartarpur & Nankana Sahib.
This is utterly unacceptable & an insult to our religious values. This should be immediately stopped. @parbhandak look into the matter @rsrobin1 @vikramsahney pic.twitter.com/0rbEknELsF— The Turban Talk (@turban_talk) December 17, 2021
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष और बीजेपी नेता मनजिंदर सिंह सिरसा इस घटना पर नाराजगी जाहिर करते हुए दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा है कि सिखों को इससे बड़ी पीड़ा हुई कि धार्मिक स्थान पर हमारी आस्था से बड़ा खिलवाड़ हो रहा है। तंबाकू से बनाए दोने-पत्तलों में प्रसाद दिया जाए, इससे बड़ा पाप क्या हो सकता है? लेकिन पाकिस्तान अल्पसंख्यकों का अपमान करने पर अमादा है। ताजा हरकत ने पाकिस्तान के अधिकारियों के नापाक मंसूबों का पर्दाफाश किया है।’
Sikh sentiments hurt repetitively in Pak
This time Sangat given Kadah Prashad in Cigarette wrapper pages at Gurdwara Sri Kartarpur Sahib. This smacks of a conspiracy to hurt our faith & harass minority Sikhs in Pak. Earlier, they allowed models to shoot at Gurdwara Sahib premises pic.twitter.com/P1G1RXqs9Q— Manjinder Singh Sirsa (@mssirsa) December 17, 2021
श्री करतारपुर साहिब में मॉडल के फोटो शूट पर विवाद
इससे पहले पिछले महीने करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के सामने पाकिस्तानी मॉडल के बगैर सिर ढंकी तस्वीरों को लेकर भी विवाद हुआ था। पाकिस्तान के लेडीज फैशन ब्रांड ‘मन्नत’ ने करतारपुर साहिब के सामने एक फोटो शूट किया था। इस फोटो शूट में पाकिस्तान की मॉडल सुलेहा ने बगैर सिर को ढंककर तस्वीरें खिंचाईं थी। इन तस्वीरों के सामने आने के बाद इसकी जमकर आलोचना हुई थी। सिख धर्म की मान्यता के अनुसार गुरुद्वारे में पुरुष और महिला, दोनों के लिए सिर को ढंककर कर जाने का नियम है। सिख समुदाए ने इस फोटो शूट को सिख धर्म की भावनाओं से खिलवाड़ करने वाला बताया था। विवाद बढ़ने के बाद पाकिस्तानी मॉडल ने माफी मांग ली। इसके अलावा जिस पाकिस्तानी ब्रांड ‘मन्नत’ ने इन तस्वीरों को अपने स्टोर से हटा लिया था। भारत सरकार ने भी इस मामले पर आधिकारिक तौर पर नाराज़गी जताई थी।
विदेश मंत्रालय ने इस मामले में पाकिस्तानी उच्चायोग के ‘चार्ज डी अफ़ेयर्स’ को बुलाकर आपत्ति दर्ज़ कराई थी। पाकिस्तान ने भरोसा दिया था कि भविष्य में ऐसी घटनाएं नहीं होगीं। मॉडल फोटो शूट विवाद पर दिल्ली सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी के पूर्व अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने इसे बेहद आपत्तिजनक बताया था। परमजीत सिंह सरना ने मांग की थी कि पाकिस्तान को सिख मर्यादा का पालन कराने के लिए गुरुद्वारा परिसर में उर्दू में भी निर्देश लिखने चाहिए।
सिखों की पवित्र तीर्थ स्थल है करतारपुर साहिब
करतारपुर में सिखों के प्रथम गुरु, गुरुनानक देव जी का निवास स्थान था। श्री गुरुनानक देव जी ने अपने जीवन के आखिरी दिन यहां गुजारे थे। इतिहास के मुताबिक 1522 में सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक करतारपुर आए थे। उन्होंने अपनी ज़िंदगी के आखिरी 17-18 साल यही गुज़ारे थे। 22 सितंबर 1539 को इसी गुरुद्वारे में गुरुनानक जी ने आखरी सांसे ली थीं। यही कारण है कि इस गुरुद्वारे की काफी मान्यता है। भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद यह गुरुद्वारा पाकिस्तान में चला गया। सिखों की आस्था को देखते हुए भारत-पाकिस्तान सरकार की सहमति के बाद यहां करतारपुर कॉरिडोर बनाया गया है।