काबुल। अफगानिस्तान पर काबिज हो चुके तालिबान ने पहले तो कहा कि वह किसी देश के खिलाफ नहीं है, लेकिन अब इस आतंकी संगठन ने पहली धमकी अमेरिका को दी है। अमेरिका ने अपने नागरिकों और दूतावास कर्मचारियों को निकालने के लिए काबुल में 6000 सैनिक भेजे हैं। तालिबान ने इन्हीं सैनिकों को वापस लेने के बारे में अमेरिका को धमकी दी है। तालिबान की ओर से उसके एक प्रवक्ता ने कहा कि हर हाल में अमेरिका को अपने इन सैनिकों को 11 सितंबर तक वापस ले जाना होगा। आतंकी संगठन के मुताबिक वह इन सैनिकों का यहां लंबे वक्त तक रहना बर्दाश्त नहीं करेगा। बता दें कि अमेरिकी सैनिक काबुल पहुंचने के बाद सीधे एयरपोर्ट गए थे। जहां पलायन करने वाले लोगों पर उन्होंने फायरिंग भी की थी। इससे 5 लोगों की जान गई थी।
मंगलवार को खबर आई थी कि तालिबान से झड़प के दौरान अमेरिकी सैनिकों ने फायरिंग की। इसमें 2 तालिबान की मौत हुई थी। अमेरिका के अलावा ब्रिटेन भी अपने सैनिक अफगानिस्तान भेज रहा है। वहीं, जर्मनी ने अफगानिस्तान की विकास योजनाओं के लिए मदद की राशि देने पर रोक लगा दी है। जबकि, कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने साफ कह दिया है कि उनका देश किसी सूरत में तालिबान को मान्यता नहीं देगा।
अब तक सिर्फ चीन ने ही तालिबान के शासन को मान्यता दी है। जबकि, रूस के राजदूत ने तालिबान शासन की तारीफ की थी। रूसी राजदूत ने कहा था कि काबुल में तालिबान ने हालात को सामान्य बनाया है। रूस के राजदूत और तालिबान प्रतिनिधियों के बीच आज बातचीत भी होनी है। रूस और चीन के इस रुख को भी तालिबान के अमेरिका विरोधी बयान की बड़ी वजह माना जा रहा है।