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बड़ी खुशखबरी : कोरोना के खिलाफ ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन आखिरी स्टेज में पहुंची

कोरोना को लेकर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका जिस वैक्सीन पर काम कर रहे थे वो अब आखिरी स्टेज में पहुंच गया है। अब आखिरी चरण में क्लीनिकल टेस्ट किया जाएगा जिसमें ये पता लगाया जाएगा कि ये वैक्सीन कितनी कारगर है।

लंदन। इस समय कोरोनावायरस का प्रकोप पूरी दुनिया झेल रही है। अब तक इस घातक महामारी से 4 लाख 80 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि करीब 90 लाख से ज्यादा लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं। पूरी दुनिया में वैज्ञानिक कोरोना की वैक्सीन बनाने में जुटे हैं। लेकिन किसी को अब तक कोई ठोस सफलता नहीं मिली है। इस बीच अच्छी खबर ये है कि कोरोना को लेकर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका जिस वैक्सीन पर काम कर रहे थे वो अब आखिरी स्टेज में पहुंच गया है। अब आखिरी चरण में क्लीनिकल टेस्ट किया जाएगा जिसमें ये पता लगाया जाएगा कि ये वैक्सीन कितनी कारगर है और ये कब तक इस्तेमाल में आ सकती है।

एक इंग्लिश अखबार के मुताबिक ब्रिटेन में अगले चरण में ये वैक्सीन 10,260 वयस्कों और बच्चों को दी जाएगी। अगर ये परीक्षण कामयाब होता है, तो ऑक्सफोर्ड इस साल के आखिर तक कोविड -19 वैक्सीन लॉन्च कर सकता है। जो ट्रायल के अच्छे संकेत हैं। ऑक्सफोर्ड के प्रमुख प्रोफेसर एंड्रयू पोलार्ड ने कहा, “क्लीनिकल ​​ट्रायल बहुत अच्छी तरह से आगे बढ़ रहा है। अब हम ये पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि वैक्सीन बुजुर्गों पर कितना असर करती है।’ इस सप्ताह ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में भी परीक्षण शुरू हुए हैं।

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आपको बता दें कि दुनिया भर में 140 से ज्यादा वैक्सीन पर इन दिनों काम चल रहा है। कोरोना जैसी महमारी से निपटने के लिए दुनिया भर के डॉक्टर और वैज्ञानिक युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं। ऐसे में ये वैक्सीन जल्द तैयार हो सकता है। दुनिया भर में 13 वैक्सीन क्नीनिकल ट्रायल के दौर में है। जबकि बाकी वैक्सीन का अभी शुरुआती दौर का काम चल रहा है। कहा जाता है कि किसी वैक्सीन को तैयार करने में 10 साल का वक्त लग जाता है।इसके अलावा इसकी कामयाबी की गारंटी भी सिर्फ 6 फीसदी होती है।

प्रिंस विलियम ने बुधवार को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी का दौरा किया। जहां उन्होंने शोधकर्ताओं से मुलाकात की. उन्होंने लैब का दौरा किया, जहां प्रायोगिक वैक्सीन का उत्पादन हुआ है. बता दें कि इस वैक्सीन का टेस्ट 23 अप्रैल से शुरू हुआ. ब्रिटेन में 10,000 लोगों पर टीके का परीक्षण होगा, जिससे ये पता लगाया जा सके कि कोरोना के खिलाफ ये कितना कारगर है।