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Afghanistan: पाई-पाई के लिए मोहताज होगा तालिबान!, अमेरिका और IMF के बाद अब विश्व बैंक ने लिया कड़ा एक्शन

World Bank on Taliban: बता दें कि तालिबान की करतूतों के चलते अब उसपर प्रतिबंधों का दौर शुरू हो गया है। इसकी शुरूआत अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी IMF ने कर दी है। वहीं अब विश्व बैंक ने भी तालिबान को लेकर बड़ा फैसला लिया है।

नई दिल्ली। अफगानिस्तान पर कब्जा कर तालिबान मन में उम्मीद लगाए बैठा है कि उसे दुनियाभर के देश मान्यता दें और वो अफगानिस्तान पर शासन करे। लेकिन उसकी इस उम्मीद पर अब पानी फिरता नजर आ रहा है। बता दें कि तालिबान की करतूतों के चलते अब उसपर प्रतिबंधों का दौर शुरू हो गया है। इसकी शुरूआत अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी IMF ने कर दी है। वहीं अब विश्व बैंक ने भी तालिबान को लेकर बड़ा फैसला लिया है। बता दें कि विश्व बैंक ने अफगानिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक सहायता पर रोक लगा दी है। ऐसे में तालिबान को अब फूटी कौड़ी भी नसीब नहीं होगी विश्व बैंक की तरफ से। इसको लेकर विश्व बैंक के प्रवक्ता ने बताया कि अफगानिस्तान (Afghanistan) के हालात, खासतौर पर महिला अधिकारों की स्थिति को देखते हुए विश्व बैंक ने इस तरह का कदम उठाया है। प्रवक्ता ने जानकारी दी कि, फिलहाल वर्ल्ड बैंक (World Bank) ने अफगानिस्तान को दी जाने वाली सभी तरह की आर्थिक मदद पर पाबंदी लगा दी है।

इतना ही नहीं विश्व बैंक लगातार इस स्थिति पर नजर बनाए हुए है। बता दें कि अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान ने सरकार गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। वहीं इससे पहले अमेरिका ने भी बीते हफ्ते अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे को देखते हुए ऐलान किया था कि वो अपने देश में मौजूद अफगानिस्तान के सोने और मुद्राभंडार को तालिबान के कब्जे में नहीं जाने देगा।

जानकारी के मुताबिक, अफगानिस्तान की करीब 706 अरब रुपये की संपत्ति अकेले अमेरिका में ही मौजूद है। ऐसे में US का यह कदम तालिबान के लिए अच्छे संकेत नहीं दे रहा है। यह एक झटके के समान है। वहीं अमेरिका के अलावा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी IMF ने भी अफगानिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक मदद पर रोक लगा चुका है। साथ ही IMF ने तालिबान के अफगानिस्तान में अपने संसाधनों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। साफ है कि दुनियाभर से तालिबान पर लगाई जा रही पाबंदियों के तलते तालिबान के मंसूबों पर पानी फिर सकता है।

खुद को उदारवादी दिखाने की कोशिश में तालिबान 

फिलहाल इससे अलग पूरी दुनिया में तालिबान खुद की उदारवादी छवि पेश कर रहा है। उसने अपने दूसरे प्रेस कांफ्रेंस में कहा है कि मीडिया संस्थानों को काम करने की आजादी है। लोग फिर से काम करने लौटने लगे हैं। लेकिन असलियत की बात करें तो पत्रकारों में डर समाया हुआ है। महिला पत्रकारों को उनके ऑफिस जाने से रोका जा रहा है। तालिबान ने जानकारी दी कि, अफगानिस्तान में बुधवार से बैंक भी खुल जाएंगे, ये बात भी इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही गई।

वहीं तालिबान ने पंजशीर में नॉर्दन अलायंस (Northern Alliance) के नेताओं अपील की है कि वो काबुल लौटें। उन्होंने कहा कि इस हालात में वो देश ना छोड़े बल्कि बातचीत का रास्ता अपनाएं। हालांकि तालिबान की इन बातों को सुनकर भले ही लगे कि वो शांति चाहता है लेकिन सच ये है कि वो पंजशीर को कभी नहीं जीत पाया इसलिए खुद बातचीत का सहारा ले रहा है।

तालिबान ने अपने दूसरे प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि, अफगानिस्तान में महिलाएं तबतक घरों में रहे, तबतक हालात सामान्य नहीं हो जाते। वैसे तालिबान के इस बयान में एक बात जो गौर करने वाली है वो ये कि, अफगानिस्तान में जबतक तालिबान है, तबतक शांति कायम होना मुश्किल है। ऐसे में अब महिलाओं को घरों के अंदर कैद कर दिया जाएगा। इससे पहले तालिबान ऐसा उदाहरण पेश कर चुका है।