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Afghanistan: पाकिस्तान में आज भी सक्रिय है तालिबान की यूनिवर्सिटी ऑफ जेहाद, तालिबानी आतंक का गॉड फादर है पाकिस्तान

Afghanistan: पाकिस्तान की ओर से तालिबान को खुले सपोर्ट का ऑफिशियल कबूलनामा भी आ चुका है। साल 2016 में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने ये कबूल किया था कि पाकिस्तान ने तालिबान की लीडरशिप की मेजबानी की है। यहां तक कि पाकिस्तान के अस्पतालों में तालिबान के घायल लड़ाकूओं का इलाज भी किया जाता रहा है। ये सिलसिला आज भी जारी है।

नई दिल्ली। तालिबानी आतंक की जो भयानक तस्वीर आज दुनिया देख रही है, उसकी जड़ें आज भी पाकिस्तान में हैं। पाकिस्तान में आज भी तालिबान आतंकियों की पैदावार वाले मदरसे फल फूल रहे हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने ताबिलान की जीत को गुलामी की बेड़ियां तोड़ने सरीखा करार दिया था। इमरान खान अपने बड़बोलेपन में पाकिस्तान के इतिहास की सबसे बड़ी आतंक की खेती को एक्सपोज कर गए। पाकिस्तान में दारूल उलूम हक्कानिया जैसे मदरसे आज भी सक्रिय हैं जिनसे तैयार जिहादियों को ताबिलान के आतंक की फैक्ट्री में भर्ती होने के लिए रवाना किया जाता है। इसी मदरसे से निकले आतंकी आज तालिबान की सर्वोच्च कमेटियों में राज कर रहे हैं। पाकिस्तान के पेशावर के 60 किलोमीटर पूर्व में अकोरा खटाक नाम की जगह पर जेहाद की ये यूनिवर्सिटी आज भी बेरोकटोक चल रही है जहां करीब 4000 विद्यार्थियों को आज भी जेहाद, आतंकवाद और मजहबी उन्माद की तालीम दी जा रही है।

Imran Khan Pakistan

यहां छुट्टियों में जेहाद के लिए भेजने के विशेष इंतजाम होते हैं। अस्सी के दशक में पाकिस्तान में ऐसे मदरसे सोवियत संघ के खिलाफ जेहाद की फैक्ट्री बने हुए थे। उस वक्त इन्हें अमेरिका और सउदी अरब का सपोर्ट था। वक्त ने पलटा खाया। सोवियत संघ यानि आज का रुस इस लड़ाई से बाहर हो गया। उसकी जगह अमेरिका ने ली। अब पाकिस्तान के इन मदरसों में पनाह पा रहे ये आतंकी अमेरिका के दुश्मन हो गए और नतीजे में 9/11 जैसा भयानक आतंकी कृत्य कर डाला। तालिबानी जिहाद की पैदावार कर रहे इस हक्कानिया मदरसे को खुद इमरान सरकार ने कई मिलियन डालर की मदद की है ताकि तालिबान के लिए जिहाद की भर्ती का कारखाना लगातार खुला रहे।

पाकिस्तान की ओर से तालिबान को खुले सपोर्ट का ऑफिशियल कबूलनामा भी आ चुका है। साल 2016 में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने ये कबूल किया था कि पाकिस्तान ने तालिबान की लीडरशिप की मेजबानी की है। यहां तक कि पाकिस्तान के अस्पतालों में तालिबान के घायल लड़ाकूओं का इलाज भी किया जाता रहा है। ये सिलसिला आज भी जारी है। साल 2020 की फरवरी में तालिबान लीडरशिप ने समझौते की प्रक्रिया में सलाह मशवरे की खातिर पाकिस्तान की यात्रा भी की थी। इस्लामाबाद में तालिबान के दूत रहे मुल्ला जईफ ने अपनी किताब माय लाइफ विद तालिबान में खुलकर पाकिस्तान के उस दक्षिणी पंजाब और कराची के नेटवर्क का जिक्र किया है, जिसने तालिबान को सपोर्ट किया।

taliban Pakistan Terrorist

खुफिया रिपोर्ट इस बात का भी इशारा करती हैं कि पाकिस्तान तालिबान के जरिए कश्मीर में आतंकवाद और अस्थिरता का नया चैप्टर शुरू करने की फिराक में है। इसमें अमेरिका से लूटे गए हथियारों के इस्तेमाल का प्लान है। एक आकलन के मुताबिक, अमेरिकी फौज ने अफगानी फौज को 6.5 लाख छोटे हथियार दिए थे जिनमें एम-16 और एम-4 असॉल्ट राइफलें भी शामिल हैं। तालिबान ने अफगानी फौज से भारी मात्रा में संचार उपकरण, बुलेटप्रुफ औजार, अंधेरे में देख पाने में सक्षम चश्मे और स्नाइपर राइफलें भी लूटी हैं। पाकिस्तान इनका इस्तेमाल तालिबान के सहारे कश्मीर में कराने की फिराक में है।

तालिबान और पाकिस्तान की गलबहियां के सबूत दुनिया की आंखों के सामने हैं। तालिबान की जीत के बाद से ही पाकिस्तान में उसके पक्ष में जुलूस निकाले जा रहे हैं। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा ने तालिबान के समर्थन में रैली निकाली। इन दोनों ही संगठनों के आतंकियों ने अफगानिस्तान में तालिबान के काबिज होने पर हवा में गोलियां चलाकर जश्न मनाया और भड़काऊ भाषण दिए।

तालिबान को इस खुले सपोर्ट में पाकिस्तान की बदनाम खुफिया एजेंसी आईएसआई का सबसे बड़ा हाथ है। इसके सबूत भी सावर्जनिक हो चुके हैं। पाकिस्तान के ही कुछ पत्रकारों ने तालिबान नेता मुल्ला बरादर और आईएसआई प्रमुख फैज हमीद की एक साथ नमाज अदा करते हुए तस्वीरें भी पोस्ट की हैं। ये सबूत तालिबान के आतंक की क्यारी में पाकिस्तानी खाद पानी की जीती जागती तस्वीर हैं।

हालांकि एक सच यह भी है कि तालिबान खुद पाकिस्तान के लिए भस्मासुर साबित हो सकता है। पाकिस्तान को अफगानिस्तान में तालिबान शासन से तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के ताकतवर होने का डर भी है। यह पाकिस्तान के वजीरिस्तान और आसपास के इलाकों में कट्टरपंथी गतिविधियों के साथ बड़ी चुनौती बन सकता है। इस गुट ने पहले से ही पाकिस्तानी फौज की नाक में दम कर रखा है। पाकिस्तान जिस आतंक की आग को भड़काता आया है, वही आग अब उसका घर जला सकती है।