वॉशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की अफगानिस्तान संबंधी नीति से अमेरिका की सेना में नीचे से ऊपर तक नाराजगी है। कल एक सैनिक के इस्तीफे की खबर आई थी। अब अमेरिका के टॉप जनरलों में शामिल मार्क मिले ने बाइडेन की नीति पर सवाल खड़े किए हैं। मिले ने कहा कि जो कदम उठाए गए, उससे दर्द और गुस्सा बढ़ता है। ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष जनरल मार्क मिले ने कहा कि पिछले 20 साल और बीते 20 दिन को देखें, तो दर्द और गुस्से से भर जाता हूं। उन्होंने 20 साल के दौरान अफगानिस्तान में मारे गए 242 अमेरिकी जवानों की मौत पर दुख जताया। मार्क ने कहा कि अफगानिस्तान में जान गंवाने वाले सभी पेशेवर सैनिक थे। वे मिशन को हाथ में रखना चाहते थे। इससे पहले भी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और कई अन्य विशेषज्ञों ने अफगानिस्तान से सेना को हटाने के बाइडेन के फैसले पर सवाल खड़े किए थे।
अमेरिकी सैनिकों की वापसी की आखिरी तारीख 31 अगस्त तय की गई थी। इसके बाद तालिबान ने चेतावनी दी थी कि अगर इस तारीख तक अमेरिकी सैनिक नहीं लौटे, तो नतीजे गंभीर होंगे। इसके बाद अमेरिका ने 30 अगस्त यानी तय तारीख से 24 घंटे पहले ही अपने सभी सैनिकों को अफगानिस्तान से हटा लिया। ट्रंप ने इसे अफगानिस्तान से वापसी नहीं, आत्मसमर्पण बताया है। उनका कहना था कि अफगानों को मौत के लिए छोड़ने का बाइडेन ने अक्षम्य अपमान किया है। ट्रंप के मुताबिक बाइडेन ने अमेरिका की पूरी दुनिया में बदनामी करा दी है।
अब चीफ्स ऑफ ज्वाइंट स्टाफ के अध्यक्ष जनरल मार्क मिले ने जो बयान दिया है, उससे साफ है कि अमेरिकी सेना इस अपमान का कड़वा घूंट पी रही है। जबकि, बाइडेन का कहना था कि उन्होंने तो राष्ट्रपति चुनाव के दौरान ही अफगानिस्तान से सेना हटाने की बात कही थी। बाइडेन का ये भी दावा था कि अफगानिस्तान में अमेरिका ने जो हासिल करना चाहा था, वो कर लिया। जबकि, हकीकत ये है कि जिस तालिबान को अमेरिका ने अफगानिस्तान से खदेड़ दिया था, वही वापस आ गया है।