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Ukraine Crisis: अमेरिका का दावा, यूक्रेन पर हमले का रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने दिया आदेश, टैंक बढ़ाए

फ्रांस के राष्ट्रपति इमेनुअल मैक्रों ने पुतिन से करीब पौने दो घंटे बात की, लेकिन समस्या का हल निकालने में वो नाकाम रहे। दरअसल, रूस चाहता है कि यूक्रेन को किसी भी सूरत में नाटो में शामिल न किया जाए। ऐसे में उसने यूक्रेन की सीमा और बेलारूस में बड़ी तादाद में अपने सैनिक और हथियार इकट्ठा कर युद्धाभ्यास शुरू किया है।

वॉशिंगटन/मॉस्को। यूक्रेन संकट खत्म होने की जगह और बढ़ता दिख रहा है। अमेरिका के खुफिया विभाग ने दावा किया है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने यूक्रेन पर हमले का आदेश दे दिया है और रूस के टैंक यूक्रेन की तरफ बढ़ रहे हैं। इस बीच, ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन ने कहा है कि यूक्रेन पर हमले की सूरत में निर्दोष रूसी नागरिकों को भी खतरनाक हालात का सामना करना होगा। वहीं, फ्रांस के राष्ट्रपति इमेनुअल मैक्रों ने पुतिन से करीब पौने दो घंटे बात की, लेकिन समस्या का हल निकालने में वो नाकाम रहे। दरअसल, रूस चाहता है कि यूक्रेन को किसी भी सूरत में नाटो में शामिल न किया जाए। ऐसे में उसने यूक्रेन की सीमा और बेलारूस में बड़ी तादाद में अपने सैनिक और हथियार इकट्ठा कर युद्धाभ्यास शुरू किया है।

biden putin

अमेरिकी खुफिया विभाग के मुताबिक यूक्रेन पर हमले की इस योजना के तहत रूस, मिसाइल और हवाई हमले से पहले साइबर हमले से शुरुआत करेगा और अंत में जमीनी टुकड़ियां यूक्रेन के शहरों पर कब्जा करेंगी। उसने दावा किया है कि रूसी सेना ने अपने वाहनों और टैंकों पर पेंट से जेड अक्षर बनाया है और ये टैंक यूक्रेन सीमा की ओर बढ़ते दिख रहे हैं। जेड अक्षर से दरअसल यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलिंस्की का नाम होता है। उधर, अमेरिका भी किसी भी संभावित रूसी हमले से बचाने के लिए यूक्रेन और पोलैंड को हथियार भेज रहा है। साथ ही उसने पोलैंड और यूक्रेन में अपने सैनिकों को भी ट्रेनिंग देने के लिए भेजा है।

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दूसरी तरफ, रूस लगातार कह रहा है कि उसका जंग का कोई इरादा नहीं है। ये बात अब अमेरिका में रूस के राजदूत अनातोली एंतोनोव ने कही है। एंतोनोव ने कहा है कि रूस किसी भी देश पर कब्जा नहीं करना चाहता। उन्होंने ये भी कहा कि उनका देश डोनबास इलाके को यूक्रेन का ही हिस्सा मानता है। एंतोनोव ने कहा कि वो इस बात की पुष्टि करते हैं कि डोनबास और लुहांस्क के इलाके यूक्रेन के हिस्से हैं। बता दें कि दोनों इलाकों में ही यूक्रेन के खिलाफ हथियार उठाने वाले विद्रोहियों का कब्जा है और इन विद्रोहियों को रूस का समर्थन मिलता रहा है।