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AIIMS Rishikesh Convocation Ceremony : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने डाक्टरों को दी कुछ ऐसी सलाह, जानकर आप भी करेंगे वाहवाही

AIIMS Rishikesh Convocation Ceremony : एम्स ऋषिकेश के दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि राष्ट्रपति ने कहा कि आपने अपने लिए जो करियर चुना है वह केवल एक प्रोफेशन नहीं है बल्कि एक मिशन है, मानवता की अनवरत सेवा करने का अभियान है। मरीजों और उनके परिजनों का स्नेह तथा आशीर्वाद प्राप्त करना, आपकी सबसे बड़ी कमाई होगी।

नई दिल्ली। एम्स ऋषिकेश के चौथे दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने डाक्टरों और मेडिकल छात्रों को बहुत ही नेक सलाह दी। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि जो मरीज बहुत साधन सम्पन्न होते हैं, उनके पास अनेक विकल्प होते हैं। लेकिन, आपके पास जो सामान्य मरीज आता है, उसके लिए आप ही सबसे बड़ा सहारा होते हैं, इसलिए मेरा अनुरोध है कि आप सब, विशेष प्रयास करके, पूरी संवेदना और करुणा के साथ कमजोर वर्गों के लोगों की सेवा में तत्पर रहें।

राष्ट्रपति ने कहा कि किसी की जान बचाने से जो संतोष मिलता है उसे केवल एक डॉक्टर ही समझ सकता है। डॉक्टर के रूप में आप सब को स्वास्थ्य रक्षक और प्राण रक्षक की भूमिका निभाने का अवसर मिला है। आपने अपने लिए जो करियर चुना है वह केवल एक प्रोफेशन नहीं है बल्कि एक मिशन है, मानवता की अनवरत सेवा करने का अभियान है।

राष्ट्रपति बोलीं, आप सभी विद्यार्थियों ने अपनी प्रतिभा सिद्ध कर दी है। अब आप सब को हेल्थकेयर प्रोफेशनल के रूप में अपनी निष्ठा सिद्ध करनी है। मैं चाहूंगी कि आपके मरीज, आपको एक्सपर्ट क्लीनिकल टच के साथ-साथ आपके स्पेशल हीलिंग टच के लिए याद करें। मरीजों का और उनके परिजनों का स्नेह और आशीर्वाद प्राप्त करना, आपकी सबसे बड़ी कमाई होगी।

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि आयुर्वेद सहित, भारतीय परंपरा की उपचार पद्धतियों के लिए उत्तराखंड में अनेक लोकप्रिय स्वास्थ्य केंद्र सेवारत हैं। एम्स ऋषिकेश में एलोपैथी के साथ-साथ आयुष चिकित्सा पद्धतियों द्वारा भी मरीजों का उपचार किया जा रहा है। मैं चाहूंगी कि व्यापक स्तर पर, उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराते हुए उत्तराखंड की इस ‘देव भूमि’ की ख्याति, ‘आरोग्य भूमि’ के रूप में भी स्थापित हो।

राष्ट्रपति ने खुशी जताते हुए कहा कि मुझे यह जानकर बहुत प्रसन्नता हुई है कि एम्स ऋषिकेश के विद्यार्थियों में छात्राओं की कुल संख्या 60 प्रतिशत से अधिक है। भारत की अर्थव्यवस्था से जुड़े नीति निर्धारण से लेकर, टैरिटरी हेल्थकेयर जैसे क्षेत्रों में महिलाओं की बढ़ती हुई भागीदारी एक बहुत बड़े और अच्छे सामाजिक बदलाव की तस्वीर प्रस्तुत करती है।