newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

भौम प्रदोष व्रत पर इस साल बन रहा खास संयोग

इस बार के भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh fast) में एक विशेष संयोग बनने जा रहा है। भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh fast 2020) है।

नई दिल्ली। इस बार के भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh fast) में एक विशेष संयोग बनने जा रहा है। भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh fast 2020) है। जिस दिन होता है उस दिन त्रयोदशी मंगलवार को पड़ती है और इस बार मंगलवार को ही यानी त्रयोदशी के दिन से ही चतुर्दशी लग रही है, जो कि बहुत ही विशेष संयोग माना जा रहा है। दरअसल हर मास में चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है और व्रत रखकर शिवजी की पूजा की जाती है। त्रयोदशी के दिन ही चतुर्दशी का लग जाना धार्मिक दृष्टि से बेहद खास माना जाता है। इसलिए इस बार के प्रदोष व्रत का विशेष महत्व माना जा रहा है। भौम प्रदोष व्रत 15 सितंबर,2020 मंगलवार को मनाया जा रहा है।

पुत्र की इच्‍छा पूर्ण होती है

शिव भक्तों में भौम प्रदोष व्रत का काफी महत्व है। इस व्रत से हजारों यज्ञों को करने का फल प्राप्त होता है। इससे मोक्ष की प्राप्ति होती है और दरिद्रता का नाश होता है। संतान प्राप्ति के लिए भी इस व्रत का काफी महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इससे संतान की इच्छा रखने वालों के संतान की प्राप्ति होती है और संतान दीर्घायु होती है।

इस प्रकार से करें पूजा

इस दिन व्रत करने वाले को बह्म बेला में उठकर पूजा करनी चाहिए और व्रत करने का संकल्‍प लेना चाहिए। फिर शिवजी की पूजा अर्चना करके सारा दिन उपवास करना चाहिए। शिवजी की पूजा में बेलपत्र, भांग, धतूरा, पुष्‍प, फल और मिष्‍ठान का प्रयोग करना चाहिए। इसके बाद भोग लगाएं और शिव मंत्र का जप करें।

maha-shivratri-2020

मंगल का दोष भी होगा दूर

जिन लोगों की कुंडली में मंगल दोष हो उन्‍हें भौम प्रदोष व्रत करना चाहिए। इस व्रत को करने से मंगल का अशुभ प्रभाव दूर होता है। अगर आप मूंगा धारण करने का विचार कर रहे हैं तो आपके लिए य‍ह दिन सबसे उपयुक्‍त है। इस दिन हनुमानजी के मंदिर में जाकर दीपक जलाएं और सिंदूर का चोला भी चढ़ा सकते हैं।

मंगल को भौम प्रदोष के दिन पूजा प्रारम्भ करने से पहले पूजा स्थान पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके आसन ग्रहण करें। फिर पूजा के लिए भगवान शिव की तस्वीर या प्रतिमा एक चौकी पर स्थापित कर दें। अब गंगा जल से भगवान शिव का अभिषेक करें। उनको भांग, धतूरा, सफेद चंदन, फल, फूल, अक्षत्, गाय का दूध, धूप आदि चढ़ाएं। साथ में यह याद रखें कि भूलकर भी सिंदूर और तुलसी का पत्ता शिवजी को अर्पित न करें। ऐसा करने से भगवान नाराज हो सकते हैं। पूजा के दौरान पूजा सामग्री उनको अर्पित करते समय ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप करें।

ऐसे करें प्रदोष व्रत शुरु

अगर आप प्रदोष व्रत शुरू करना चाहते हैं तो किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी से शुरू किया जा सकता है। लेकिन श्रावण तथा कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती है।

प्रदोष व्रत से जुड़ी कथा

प्रदोष व्रत से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार एक गांव में गरीब ब्राह्मणी अपने बेटे के साथ रहती थी। वह रोज अपने बेटे के साथ भीख मांगने जाती थी। एक दिन उसे रास्ते में विदर्भ का राजकुमार मिला जो घायल अवस्था में था। उस राजकुमार को पड़ोसी राज्य ने आक्रमण कर उसका राज्य हड़प लिया और उसे बीमार बना दिया था। ब्राह्मणी उसे घर ले आई और उसकी सेवा करने लगी। सेवा से वह राजकुमार ठीक हो गया और उसकी शादी एक गंधर्व पुत्री से हो गयी। गंधर्व की सहायता से राजकुमार ने अपना राज्य मिल गया। इसके बाद राजकुमार ने ब्राह्मण के बेटे को अपना मंत्री बना लिया। इस तरह प्रदोष व्रत के फल से न केवल ब्राह्मणी के दिन सुधर गए बल्कि राजकुमार को भी उसका खोया राज्य वापस मिल गया।

मंगल प्रदोष के दिन हनुमान चालीसा पढ़ना होगा लाभकारी

मंगल प्रदोष का प्रदोष व्रत में खास महत्व होता है। मंगल प्रदोष या भौम प्रदोष के दिन कोई व्यक्ति अगर हनुमान चालीसा पढ़ता है तो उसका विशेष फल प्राप्त होता है।