नई दिल्ली। नवंबर का महीना त्योहारों का महीना है। दिवाली के बाद सबको छठ पर्व (Chhath festival) का इंतजार रहता है। ये पूर्वांचल का सबसे बड़ा त्योहार है। इस साल छठ पूजा (Chhath Pooja) 20 नवंबर, शुक्रवार को मनाया जा रहा है। आज पूरा देश छठमय हो गया है। इस दिन विशेष रुप से सूर्य देव (Surya Dev) की पूजा की जाती है। साथ ही उन्हें अर्घ्य भी दिया जाता है।
ये एक मात्र ऐसा त्योहार है जिसमें डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। हालांकि कोरोना वायरस को देखते हुए पुलिस प्रशासन और सरकार सख्त है। कड़े और सख्त इंतजामों के बीच छठ पर्व का त्योहार मानाया जा रहा है। छठ पूजा के दौरान डूबते समय सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से सूर्य भगवान ना सिर्फ प्रसन्न होते है बल्कि प्राणियों के जीवन को सफल बना उनका उद्धार करते हैं।
छठ का त्योहार शुक्ल पक्ष की छठी तिथि को किया जाता है। इससे एक दिन पहले चतुर्थी पर नहाय खाय की विधि होती है। जो छठ पूजा से 2 दिन पहले होती है। इसके अगले दिन लोहंडा और खरना मनाया जाता है। इसके बाद छठ पूजा मनाई जाती है। छठ पूजा में शाम को सूर्य देवता को अर्घ्य दिया जाता है। छठ के अगले दिन सप्तमी को सूर्योदय के समय उगते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देते है। इसके बाद ही पारण किया जाता है।
डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का शुभ समय
षष्ठी तिथि के दिन छठ पर्व मनाया जाता है। इस दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। आज सूर्यास्त का समय शाम 05 बजकर 26 मिनट पर है।