नई दिल्ली। हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले त्योहारों में से दीपावली का त्योहार सबसे प्रमुख है। लेकिन उससे पहले नरक चतुर्दशी और धन तेरस का पर्व मनाया जाता है। दीपावली के आस-पास पड़ने वाले सभी त्योहारों का अपना विशेष महत्व होता है। लेकिन धन तेरस की बात करें तो इस दिन की जाने वाली पूजा अत्यंत विशेष मानी जाती है। धन-तेरस के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने का नियम है। तो आइए जानते हैं कब पड़ रही है धनतेरस और क्या है इसकी पूजा का शुभ-मुहूर्त… धन-तेरस का त्योहार हर साल कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है, जो 22 अक्टूबर की शाम 6 बजकर 3 मिनट से शुरू होकर 23 अक्टूबर की शाम 6 बजकर 4 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। ऐसे में धनतेरस का 23 अक्टूबर को मनाना ही शुभ रहेगा। वहीं, यमदीप 22 अक्टूबर को जलाना शुभ होगा। लेकिन इस दिन व्रत रखने वाले लोग के व्रत रखने का सही दिन 23 अक्टूबर है। क्योंकि 23 अक्टूबर की शाम तक ही प्रदोष काल है।
शुभ-मुहूर्त
कार्तिक माह कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि- 22 अक्टूबर 2022 की शाम 6 बजकर 02 मिनट से 23 अक्टूबर 2022 की शाम 6 बजकर 03 मिनट तक।
पूजा का शुभ-मुहूर्त- 23 अक्टूबर 2022 की रविवार शाम 5 बजकर 44 मिनट से 6 बजकर 5 मिनट तक।
प्रदोष काल- शाम 5 बजकर 44 मिनट से रात 8 बजकर 16 मिनट तक।
वृषभ काल- शाम 6 बजकर 58 मिनट से रात 8 बजकर 54 मिनट तक।
धनतेरस पर बनने वाले शुभ-योग
इस वर्ष 23 तारीख को शनि देव मार्गी हो रहे हैं, जिसकी वजह से कई राशियों पर असर पड़ेगा। इसके अलावा, धनतेरस के दिन सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग भी बनता नजर आ रहा है।
धनतेरस का महत्व
धनतेरस को धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान जिस दिन मां लक्ष्मी का प्रकाट्य हुआ था, वो धनतेरस का ही दिन था। इसी दिन भगवान कुबेर, भगवान धन्वंतरि भी प्रकट हुए थे। यही कारण है कि इस दिन तीनों देवताओं की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन गृहस्थी का सामान आदि खरीदने से घर में बरकत आती है।