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Malmaas 2020 : अधिक मास में क्या करें और क्या न करें

Malmaas 2020 : आज से अधिक मास या मलमास (Malmas) शुरू हो रहा है। अधिक मास में दान का विशेष महत्व (Malmas Importance) बताया गया है। अधिक मास में तिथिवार दान का फल बताया गया है।

नई दिल्ली। आज से अधिक मास या मलमास (Malmas) शुरू हो रहा है। अधिक मास में दान का विशेष महत्व (Malmas Importance) बताया गया है। अधिक मास में तिथिवार दान का फल बताया गया है। अधिक मास में दीपदान करना शुभ माना गया है इसके अतिरिक्त धार्मिक पुस्तकों का दान भी शुभ बताया गया है। अधिक मास के प्रथम दिन प्रतिपदा तिथि है इस दिन घी का दान श्रेष्ठ फलदायी बताया गया है।

अधिक मास में क्या न करें

अधिक मास में धार्मिक कार्यों को वरियता देने के लिए कहा गया है। अधिक मास में पूजा, उपासना, धार्मिक अनुष्ठान, कथा-भागवत और यज्ञ का विशेष फल बताया गया है। अधिक मास में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए। मान्यता है कि अधिक मास में शादी-विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि के कार्य नहीं करने चाहिए।

अधिकमास में क्या करें

आमतौर पर अधिकमास में हिंदू श्रद्धालु व्रत-उपवास, पूजा-पाठ, ध्यान, भजन, कीर्तन, मनन को अपनी जीवनचर्या बनाते हैं। पौराणिक सिद्धांतों के अनुसार इस मास के दौरान यज्ञ-हवन के अलावा श्रीमद् देवीभागवत, श्री भागवत पुराण, श्री विष्णु पुराण, भविष्योत्तर पुराण आदि का श्रवण, पठन, मनन विशेष रूप से फलदायी होता है। अधिकमास के अधिष्ठाता भगवान विष्णु हैं, इसीलिए इस पूरे समय में विष्णु मंत्रों का जाप विशेष लाभकारी होता है। ऐसा माना जाता है कि अधिक मास में विष्णु मंत्र का जाप करने वाले साधकों को भगवान विष्णु स्वयं आशीर्वाद देते हैं, उनके पापों का शमन करते हैं और उनकी समस्त इच्छाएं पूरी करते हैं।

अधिक मास के स्वामी है भगवान विष्णु

पौराणिक कथा के अनुसार प्रत्येक मास,राशि और नक्षत्र आदि के कोई न कोई स्वामी है। लेकिन अधिक मास का कोई स्वामी नहीं है। स्वामी न होने के कारण अधिक मास को मलमास कहा जाने लगा। जिससे अधिक मास को बहुत दुख हुआ और इस बात की शिकायत भगवान विष्णु से की। शिकायत सुनने के बाद भगवान विष्णु ने अधिक मास को अपना नाम पुरुषोत्तम दिया जिसके बाद अधिक मास को पुरुषोत्तम मास कहा जाने लगा। भगवान विष्णु ने कहा कि अधिक मास का अब से मैं स्वयं स्वामी हूं। अधिक मास में जो भी भक्त मेरी पूजा और उपासना करेगा उसे आर्शीवाद प्राप्त होगा।

भगवान राम के नाम पर पड़ा ‘पुरुषोत्तम मास’

धार्मिक मान्यता है कि अधिकमास के अधिपति स्वामी भगवान विष्णु हैं और पुरुषोत्तम भगवान विष्णु का ही एक नाम है, इसलिए अधिकमास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। मलमास के समय में मांगलिक कार्यों जैसे कि विवाह, मुंडन, उपनयन संस्कार, गृह प्रवेश आदि की मनाही होती है। शुभ कार्य मलमास के समय में वर्जित होते हैं। हालांकि खरीदारी आदि की मनाही नहीं होती है। अधिक मास में फल की कामना के लिए किए जाने वाले मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं। अधिक मास में खरीदारी आदि की मनाही नहीं है। केवल प्रॉपर्टी के समय कागजी कार्यवाही पूरी रहे। शेष किसी भी तरह की खरीदारी आदि में अधिक मास में रोक नहीं है। ज्वेलरी, कपड़े, इलेक्ट्रानिक्स आदि सभी खरीदे जा सकते हैं।

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मलमास के दौरान किसी भी नई चीज की खरीदारी के लिए शुभ नहीं माना जाता है। लेकिन शास्त्रों के अनुसार इस महीने आप वस्त्रों, आभूषणों एवं वाहन आदि की खरीदारी कर सकते हैं। मलमास में मांगलिक कार्य जैसे विवाह, प्राण-प्रतिष्ठा, स्थापना, मुंडन, नववधू गृह प्रवेश, यज्ञोपवीत, नामकरण आदि कार्यों को नहीं करना चाहिए। इस बार मलमल या अधिकमास में दो दिन पुष्य नक्षत्र भी पड़ रहा है। 10 अक्टूबर 2020 को रवि पुष्य और 11 अक्टूबर 2020 को सोम पुष्य नक्षत्र रहेगा। यह ऐसी तारीखें होंगी, जब कोई भी आवश्यक शुभ काम किया जा सकता है। यह तिथियां खरीदारी इत्यादि के लिए शुभ मानी जाती हैं। इसलिए इन तिथियों में की गई खरीदारी शुभ फलकारी होती है। अधिकमास के दौरान सर्वार्थसिद्धि योग 9 दिन, द्विपुष्कर योग 2 दिन, अमृतसिद्धि योग एक दिन और दो दिन पुष्य नक्षत्र का योग बन रहा है। अधिक मास में सर्वार्थसिद्धि योग बनने से लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। जबकि द्विपुष्कर योग में किए गए कार्यों का फल दोगुना मिलता है। इसके अलावा पुष्य नक्षत्र खरीदारी के लिए शुभ साबित होगा।