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Chaitra Navratri 2023 Day 2: नवरात्रि के दूसरे दिन पानी है मां ब्रह्मचारिणी की कृपा तो करें इन मंत्रों का जाप

Chaitra Navratri 2023 Day 2: मां दुर्गा का ये रूप काफी काफी शांत और मधुर है। सालों तक मां ने भगवान भोलेनाथ को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी इसी वजह से उन्हें तप की देवी भी कहा जाता है। मां के इस स्वरूप की पूजा करने से व्यक्ति का मन शांत होता है। चुनौतियां आने पर वो अपनी राह से भटकता नहीं है 

नई दिल्ली। चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) की शुरुआत 22 मार्च 2023 से हो चुकी है। 9 दिनों तक चलने वाला ये पर्व 30 मार्च तक रहेगा। इन नौ दिमों में शक्ति यानी मां दुर्गा के नौ रूपों की उपासना की जाती है। आज, गुरुवार 23 मार्च को नवरात्रि का दूसरा दिन (Chaitra Navratri 2023 Day 2) है। दूसरे दिन देवी दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती है। मां दुर्गा का ये रूप काफी काफी शांत और मधुर है। सालों तक मां ने भगवान भोलेनाथ को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी इसी वजह से उन्हें तप की देवी भी कहा जाता है। मां के इस स्वरूप की पूजा करने से व्यक्ति का मन शांत होता है। चुनौतियां आने पर वो अपनी राह से भटकता नहीं है

Chaitra Navratri 2023 Day 2..

कैसा है मां का स्वरूप (Maa Brahmacharini)

चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2023) के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। मां के ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini Mantra) तप की देवी हैं ऐसे में वो सफेद या पीले रंग को ही धारण करती हैं। अगर आप मां की पूजा करने जा रहे हैं तो आप मां के सामने सफेद या पीले रंग के ही वस्त्र धारण करें। मां का प्रिय रंग लाल है ऐसे में आप उन्हें लाल रंग से जुड़ी चीजें भी अर्पित कर सकते है।

Gupt Navratri 2023...

मां ब्रह्मचारिणी का शुभ रंग और भोग (Maa Brahmacharini color, Bhog)

नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी को शक्कर या पंचामृत का भोग लगाना चाहिए। इसके अलावा उनके मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करने से मां की कृपा मिलती है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से व्यक्ति में तप, साहस, संयम और त्याग बढ़ता है। ऐसे में व्यक्ति जीवन में आने वाली चुनौतियों से विचलित नहीं होता और उनपर जीत हासिल करता है।

Chaitra Navratri 2023 Date

ये है मां ब्रह्मचारिणी का मंत्र (Maa Brahmacharini Mantra)

1. ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:
2. या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः