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Kalashtami 2023: कैसे हुई भगवान शिव के रौद्र अवतार बाबा काल भैरव की उत्पत्ति, जानें पीछे की पौराणिक कथा

Kalashtami 2023: काल अष्टमी हर माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है लेकिन मार्गशीर्ष माह बेहद खास माना जाता है और इसे काल भैरव जयंती के तौर पर भी मनाया जाता है।

नई दिल्ली। अगर आप अपने शत्रुओं से परेशान हैं तो खुद बाबा महाकाल आपकी मदद करने के लिए आ रहे हैं क्योंकि कालाष्टमी 2023 जो आ रही है। इस बार कालाष्टमी 5 दिसंबर को है और इस मौके पर दुर्लभ योग भी  बन रहे हैं। वैसे तो काल अष्टमी हर माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है लेकिन मार्गशीर्ष माह बेहद खास माना जाता है और इसे काल भैरव जयंती के तौर पर भी मनाया जाता है। काल भैरव की पूजा और विधि-विधान के बारे में तो सभी जानते हैं लेकिन आज आपको बताएंगे कि कैसे काल भैरव की उत्पत्ति हुई और किन मंत्रों के जाप से आप काल भैरव को खुश कर सकते हैं।

कैसे हुई काल भैरव की उत्पत्ति

काल भैरवी अष्टमी या कालाष्टमी को काल भैरव के जन्म के तौर पर देखा जाता है। इसी दिन धरती पर बाबा काल भैरव की उत्पत्ति हुई थी। माना जाता है कि एक समय शिव, विष्णु और ब्रह्मा जी के बीच इस बात को लेकर बहस हो गई कि सर्वश्रेष्ट देवता कौन है..। इस सवाल का उत्तर पाने के लिए सभी देवी-देवताओं से मत लिया गया और ज्यादातर सभी ने भगवान शिव का नाम लिया। इस बात से नाखुश होकर ब्रह्मा जी ने क्रोधित होकर भगवान शिव को लेकर अपशब्द कहे। अब भगवान शिव से भी ये बर्दाश्त नहीं हुआ और उनके क्रोध से काल भैरव का जन्म हुआ। काल भैरव ने अपने फरसे से ब्रह्मा जी के पांच सिरों में से एक सिर को काट दिया। जिसके बाद ब्रह्मा जी चारमुखी कहलाए। हालांकि काल भैरव पर ब्रह्म हत्या का पाप लगा और उन्हें कई जन्मों तक भिखारी की तरह जीवन व्यापन करना पड़ा, हालांकि उन्हें मुक्ति बनारस में जाकर मिली। बनारस में काल भैरव का मंदिर भी है और उन्हें शिव की नगरी बनारस का कोतवाल भी कहा जाता है।

किन मंत्रों का करें जाप

वैसे तो जाप के लिए बहुत सारे मंत्र है लेकिन आप कुछ सरल मंत्रों का चुनाव कर सकते हैं
1.ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं
2.ब्रह्मा जी ॐ कालभैरवाय नम:
3.ओम भ्रं कालभैरवाय फट्
4.ॐ भयहरणं च भैरव:
5. ऊं काल भैरवाय नमः
6. ओम कालभैरवाय नम: