नई दिल्ली। आज उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) मनाई जा रही है। उत्पन्ना एकादशी में एकादशी देवी और भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में इस एकादशी का अलग महत्व है। वैसे तो हर एकादशी का अपना एक महत्व होता है। लेकिन ये मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस जो भक्त व्रत रखता है और सच्चे मन विष्णु जी की पूजा करता है उनपर भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है। साथ ही पूजा भी शुभ मुहूर्त में करनी चाहिए। इसे भगवान प्रसन्न होकर मनवांछित फल देंगे।
उत्पन्ना एकादशी का शुभ मुहूर्त
उत्पन्ना एकादशी का शुभ मुहूर्त 11 दिसंबर को सुबह 5 बजकर 15 मिनट से सुबह 6 बजकर 5 मिनट तक है। वहीं, शाम की पूजा के लिए 5 बजकर 43 मिनट से 7 बजकर 3 मिनट तक है। इसके अलावा पारण का समय 12 दिसंबर को शनिवार सुबह 6 बजकर 58 मिनट से सुबह 7 बजकर 2 मिनट तक है।
उत्पन्ना एकादशी का महत्व
एकादशी का हिंदू धर्म में बहुत महत्व माना गया है। इन सभी में उत्पन्ना एकादशी का अपना अलग ही महत्व है। एकादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इस दिन उनकी पूजा विधि विधान से की जाती है। इस एकादशी का नाम उत्पन्ना एकादशी इसलिए पड़ा क्योंकि इस दिन देवी एकादशी उत्पन्न हुई थी। यह बात बहुत ही कम लोग जानते हैं लेकिन यह देवी भगवान विष्णु द्वारा उत्पन्न हुई थीं, इसलिए उनका नाम उत्पन्ना पड़ा था। तभी से एकादशी व्रत शुरु हुआ था। इस एकादशी के पीछे एक पौराणिक कथा बताई गई है, जिसे व्रत के बाद पढ़ने से ही व्रत पूर्ण माना जाता है।
उत्पन्ना एकादशी का इतिहास
एकादशी व्रत कथा व महत्व के बारे में जानते हैं। हर मास की कृष्ण व शुक्ल पक्ष को मिलाकर दो एकादशियां आती हैं। यह भी सभी जानते हैं कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। लेकिन यह बहुत कम जानते हैं कि एकादशी एक देवी थी जिनका जन्म भगवान विष्णु से हुआ था। एकादशी मार्गशीर्ष मास की कृष्ण एकादशी को प्रकट हुई थी जिसके कारण इस एकादशी का नाम उत्पन्ना एकादशी पड़ा। इसी दिन से एकादशी व्रत शुरु हुआ था। हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत अधिक महत्व है।