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Chaitra Navratri 2022: जानिए, क्या है विजय का आशीर्वाद देने वाली मां ब्रह्मचारिणी की कथा और आरती?

Chaitra Navratri 2022: इस दिन देवी की को शक्कर, मिश्री, पंचामृत, दूध और दूध से बने व्‍यंजनों का भोग लगाकर उनकी पूजा की जाएगी। मां को उनकी प्रिय वस्तुएं चढ़ाने से मां प्रसन्न होती हैं। इसके अलावा पूजा के बाद उनकी कथा पढ़कर आरती करने से भी मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है,

नई दिल्ली। चैत्र नवरात्रि का पवित्र त्योहार 2 अप्रैल से आरंभ हो चुका है और इसी के साथ हिंदू नववर्ष की भी शुरुआत हो गई है। हर घर में चैत्र नवरात्रि  को लेकर जोरों शोरों से तैयारियां की गईं हैं। इस वर्ष नवरात्र पूरे 9 दिनों का है। इस अवसर पर पूरे नौ दिन दुर्गा मां के सभी 9 स्वरूपों की पूजा की जाएगी। नवरात्रि का पहला दिन माँ शैल पुत्री का था, वहीं चैत्र नवरात्र का दूसरा दिन देवी ब्रह्मचारिणी को समर्पित है। इस दिन देवी की को शक्कर, मिश्री, पंचामृत, दूध और दूध से बने व्‍यंजनों का भोग लगाकर उनकी पूजा की जाएगी। मां को उनकी प्रिय वस्तुएं चढ़ाने से मां प्रसन्न होती हैं। इसके अलावा पूजा के बाद उनकी कथा पढ़कर आरती करने से भी मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है, तो क्या है उनकी कथा और आरती आइये जानते हैं…

मां ब्रह्मचारिणी व्रत कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी ने राजा हिमालय के घर जन्म लिया था। नारदजी ने मां को सलाह दी कि तपस्या करके वो भगवान शिव को पति के स्वरूप में प्राप्त करें। इसके बाद शिव को प्रसन्न करने के लिए माता ने कठोर तप किया, जिसकी वजह से उनका नाम ‘ब्रह्मचारिणी’ या ‘तपश्चारिणी’ पड़ा। कहा जाता है कि, भगवान शिव की आराधना के दौरान उन्होंने करीब 1000 वर्षों तक केवल फल-फूल खाए और 100 वर्षों तक केवल शाक-सब्जियां खाकर जीवित रहीं। कठोर तपस्या के कारण उनका शरीर बहुत कमजोर हो गया। उनकी तपस्या, दृढ़ निश्चय और धैर्य देखकर सभी देवता और ऋषि-मुनि काफी प्रभावित हुए। प्रसन्न होकर सभी माता से मिलने आए और उन्होंने मां से कहा कि आपकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगा। भगवान शिव आपको पति स्वरूप में अवश्य प्राप्त होंगे।

मां ब्रह्मचारिणी का मंत्र-

या देवी सर्वभू‍तेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

मां ब्रह्मचारिणी की आरती-

जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।

जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।

ब्रह्मा जी के मन भाती हो।

ज्ञान सभी को सिखलाती हो।

ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।

जिसको जपे सकल संसारा।

जय गायत्री वेद की माता।

जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।

कमी कोई रहने न पाए।

कोई भी दुख सहने न पाए।

उसकी विरति रहे ठिकाने।

जो ​तेरी महिमा को जाने।

रुद्राक्ष की माला ले कर।

जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।

आलस छोड़ करे गुणगाना।

मां तुम उसको सुख पहुंचाना।

ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।

पूर्ण करो सब मेरे काम।

भक्त तेरे चरणों का पुजारी।

रखना लाज मेरी महतारी।

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। Newsroompost इसकी पुष्टि नहीं करता है।