नई दिल्ली। हिंदू धर्म (Hindu Dharm) में प्रत्येक मास में कुछ ऐसी महत्वपूर्ण तारीख होती हैं जो पूजापाठ और व्रत (Fast) करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। इन्हीं में से एक होता है प्रदोष व्रत (Pradosh Fast)। आश्विन मास (Ashwin Month) के कृष्ण पक्ष (Krishna Paksha) की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन ही भौम प्रदोष का व्रत रखा जाता है और शिवजी के साथ माता पार्वती की पूजा की जाती है। जब यह प्रदोष का व्रत सोमवार को पड़ता है तो सोम प्रदोष व्रत कहते हैं और जब यह व्रत मंगलवार को पड़ता है तो इस भौम प्रदोष व्रत कहते हैं। इस महीने आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में प्रदोष व्रत 15 सितंबर,2020 मंगलवार को मनाया जा रहा है। यानी इस बार का प्रदोष भौम प्रदोष कहलाएगा। इस बार भौम प्रदोष व्रत के साथ ही बेहद विशेष संयोग भी लग रहा है।
15 सितंबर 2020 को मंगलवार का दिन है इसलिए इस बार भौम प्रदोष व्रत है। खास बात यह है कि इस बार मंगलवार को ही त्रयोदशी के बाद चतुर्दशी तिथि भी लग रही है जिसे मासिक शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। त्रयोदशी के कारण प्रदोष व्रत और चतुर्दशी तिथि के कारण मासिक शिवरात्रि का अहम संयोग बन रहा है। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार इससे शिव—पार्वती पूजा का महत्व बहुत बढ़ गया है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। दिनभर उपवास रखते हुए शिव—पार्वती की विधिविधान से पूजा करें। शिव—पार्वती के आशीर्वाद से जीवन के सभी सुख प्राप्त होते हैं।
स्कंदपुराण के अनुसार इस व्रत को दो तरीकों से रखा जा सकता है। आप चाहें तो सूर्य के उगने के बाद से लेकर सूर्यास्त तक उपवास रख सकते हैं और भगवान शिव की पूजा के बाद आप संध्या काल में अपना व्रत खोल सकते हैं। वहीं दूसरी ओर आप पूरे 24 घंटे का कड़ा उपवास रखकर और रात भर जागकर महादेव की आरधना करके भी प्रदोष व्रत कर सकते हैं।
पौराणिक कथाओं में इस बात का वर्णन किया गया है कि त्रयोदशी के दिन देवी पार्वती और महादेव अपने भक्तों की सभी मनोकामना पूरी करते हैं। जिस तरह ये व्रत अति कल्याणकारी है ठीक उसी तरफ अलग अलग दिन पड़ने वाले इस व्रत की महिमा भी अलग है।