नई दिल्ली। इस साल उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) 30 नवंबर को पड़ रही है। हिंदू धर्म में इस एकादशी का काफी महत्व है। वैसे तो हर एकादशी का अपना महत्व होता है। लेकिन ये मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा की जाती है। जो सच्चे मन से इसे मनाता है भगवान विष्णु की उनपर कृपा बनी रहती है।
उत्पन्ना एकादशी पर पूजा
उत्पन्ना एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। साथ ही देवी एकादशी की भी की जाती है। भगवान विष्णु के शरीर से एक देवी प्रकट हुई जिनका नाम एकादशी रखा। एकादशी के दिन ही देवी उत्पन्न हुईं यही कारण है कि उन्हें उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है।
उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा
पद्म पुराण के मुताबिक, कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु समेत देवी एकादशी की पूजा का विधान है। इसके अनुसार मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष दशमी को भोजन के बाद अच्छी तरह दातून करना चाहिए जिससे अन्न का एक भी दाना मुंह में न रहे। इसके बाद दूसरे दिन यानी उत्पन्ना एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर व्रत का संकल्प करके स्नान करना चाहिए।
इसके बाद भगवान कृष्ण की पूजा करनी चाहिए। साथ ही रात में दीपदान करें। इस दिन रात में सोना नहीं चाहिए। सारी रात जाग कर विष्णु जी का भजन-कीर्तन करना चाहिए। उत्पन्ना एकादशी के दूसरे दिन सुबह स्नान कर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा कर ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए। साथ ही पारण कर व्रत पूरा करना चाहिए।