नई दिल्ली। आज यानी 10 सितंबर को महालक्ष्मी व्रत (Mahalakshmi Vrat) का समापन हो रहा है। इस दिन महालक्ष्मी का व्रत करने तथा विधिपूर्वक पूजा करने से व्यक्ति सुख, समृद्धि और वैभव प्राप्त होता है। वैसे तो लोग 16 दिन लगातार व्रत (Fast) नहीं रख पाते हैं, वे पहले और अंतिम दिन व्रत रखते हैं।आज हम आपको महालक्ष्मी व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व बताएंगे।
महालक्ष्मी (Mahalakshmi) के सोरहिया व्रत (Sorehia fast) का प्रारंभ भाद्रपद मास (Bhadrapada Month) के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होता है, जिसका समापन आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को होता है। इस वर्ष 16 दिनों के महालक्ष्मी व्रत का प्रारंभ 25 अगस्त से हुआ था, जो कल पूर्ण होगा।
पूजा विधि
आज के दिन प्रात:काल स्नान आदि से निवृत होकर महालक्ष्मी व्रत का विधिपूर्व उद्यापन करें। पहले दिन हाथ में बांधे गए 16 गांठ वाले रक्षासूत्र को खोलकर नदी या सरोवर में विसर्जित कर दें। पूजा मुहूर्त में महालक्ष्मी की प्रतिमा की स्थापना करें और उनकी अक्षत, दूर्वा, लाल सूत, सुपारी, नारियल, फल, मिठाई, चन्दन, पत्र, माला, सफ़ेद कमल या कोई भी कमल का फूल और कमलगट्टा अर्पित कर पूजा करें। फिर लक्ष्मी जी को सफेद बर्फी या किशमिश का भोग लगाएं। महालक्ष्मी व्रत की कथा सुनें। मंत्र जाप के बाद महालक्ष्मी की आरती करें। उसके बाद अपनी मनोकामना प्रकट करें। फिर प्रसाद परिजनों में वितरित कर दें। अंत में विधिपूर्वक माता महालक्ष्मी की प्रतिमा का विसर्जन कर व्रत को पूर्ण करें।
मुहूर्त
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 10 सितंबर की रात्रि में 09 बजकर 45 मिनट पर लगेगी, जो गुरुवार की रात्रि 10 बजकर 47 मिनट तक रहेगी। ऐसे में महालक्ष्मी व्रत गुरुवार को रखा जाएगा।
महत्व
महालक्ष्मी के इस व्रत को 16 दिनों तक रखना संभव न हो तो व्यक्ति को पहले दिन, आठवें दिन और अंतिम दिन का व्रत रखना चाहिए। इस व्रत को करने से धन-संपदा, समृद्धि, ऐश्वर्य, संतान आदि की प्राप्ति होती है। नौकरी या बिजनेस में भी तरक्की मिलती है।