नई दिल्ली। सावन का महीना भगवान शंकर का तो प्रिय है ही, लेकिन इसके साथ ही इस महीने में कई व्रत और त्योहार भी पड़ते हैं। नाग पंचमी भी इसी महीने में पड़ती है, इस दिन नाग देवता को मनाया जाता है। मान्यता है कि दिन नाग देवता की पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं। इस साल नाग पंचमी 13 अगस्त को मनाई जाएगी। कहते हैं कि इस दिन काल सर्प योग की शांति के लिए सर्वोत्तम माना गया है। मात्र कालसर्प दोष का नाम सुनकर भयभीत होना ठीक नहीं है बल्कि इसका ज्योतिषीय विश्लेषण करवाकर उससे मिलने वाले प्रभावों और दुष्प्रभावों की जानकारी लेकर उचित उपाय करना श्रेयष्कर होगा। इस मामले में ध्यान देने वाली बात है कि इस योग का असर अलग-अलग जातकों पर अलग-अलग तरह से देखा जाता है।
कालसर्प दोष
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक जब जन्म कुंडली में सम्पूर्ण ग्रह राहु और केतु ग्रह के बीच स्थित हों तो ऐसी स्थिति को कालसर्प दोष कहा जाता है। फिलहाल इस दोष की चर्चा काफी देखी जाती है, किसी भी जातक के जीवन में कोई भी परेशानी हो और उसकी कुण्डली में यह योग या दोष हो तो अन्य पहलुओं पर ध्यान जरूर देते हैं। लेकिन वास्तविकता पर यदि ध्यान दिया जाए तो अन्य ग्रहों के शुभफलदायी होने पर यह दोष योग की तरह काम करता है और उन्नति में सहायता भी करता है।
काल सर्प दोष का उपाय
काल सर्प योग या दोष को बारह प्रकार का माना गया है। जिसकी शांति के लिए नाग पंचमी के दिन चांदी के नाग नागिन का जोड़ा शिव जी पर चढ़ाया जाता है। नदी में चांदी के नाग नागिन का जोड़ा बहाके से नाग नागिन के जोड़े को मुक्त करवाया जाता है। इस दिन घर की दीवार पर कोयले से नाग देवता का चित्र बनाकर उसकी पूजा की जाती है। साथ ही दाल बाटी लड्डू बनाकर उसका भोग लगाया जाता है।