चन्द्रमा मन हैं और इस मन पर ग्रहों का प्रभाव पड़ता है तो चन्द्रमा उन ग्रहों या नक्षत्रों का प्रभाव देने लगता है। पृथ्वी और नक्षत्रों के बीच जब चन्द्रमा आते हैं तो नक्षत्रों के विकिरण चन्द्रमा पर भारी प्रभाव डालते हैं, इसलिए चन्द्रमा का आचरण भिन्न-भिन्न होता है। चन्द्रमा जीव जगत में रस की सृष्टि करते हैं।
1. पहले लग्न में चंद्रमा हो तो जातक बलवान, ऐश्वर्यशाली, सुखी, व्यवसायी, गायन वाद्य प्रिय एवं स्थूल शरीर का होता है।
2. दूसरे भाव में चंद्रमा हो तो जातक मधुरभाषी, सुंदर, भोगी, परदेशवासी, सहनशील एवं शांति प्रिय होता है।
3. तीसरे भाव में अगर चंद्रमा हो तो जातक पराक्रम से धन प्राप्ति, धार्मिक, यशस्वी, प्रसन्न, आस्तिक व मधुरभाषी होता है।
4. चौथे भाव में हो तो जातक दानी, मानी, सुखी, उदार, रोगरहित, विवाह के पश्चात कन्या संततिवान, सदाचारी, सट्टे से धन कमाने वाला एवं क्षमाशील होता है।
5. लग्न के पांचवें भाव में चंद्र हो तो जातक शुद्ध बुद्धि, चंचल, सदाचारी, क्षमावान तथा शौकीन होता है।
6. लग्न के छठे भाव में चंद्रमा होने से जातक कफ रोगी, नेत्र रोगी, अल्पायु, आसक्त, व्ययी होता है।
7. चंद्रमा सातवें स्थान में होने से जातक सभ्य, धैर्यवान, नेता, विचारक, प्रवासी, जलयात्रा करने वाला, अभिमानी, व्यापारी, वकील एवं स्फूर्तिवान होता है।
8. आठवें भाव में चंद्रमा होने से जातक विकारग्रस्त, कामी, व्यापार से लाभ वाला, वाचाल, स्वाभिमानी, बंधन से दुखी होने वाला एवं ईर्ष्यालु होता है।
9. नौंवे भाव में चंद्रमा होने से जातक संतति, संपत्तिवान, धर्मात्मा, कार्यशील, प्रवास प्रिय, न्यायी, विद्वान एवं साहसी होता है।
10. दसवें भाव में चंद्रमा होने से जातक कार्यकुशल, दयालु, निर्मल बुद्धि, व्यापारी, यशस्वी, संतोषी एवं लोकहितैषी होता है।
11. लग्न के ग्यारहवें भाव में चंद्रमा होने से जातक चंचल बुद्धि, गुणी, संतति एवं संपत्ति से युक्त, यशस्वी, दीर्घायु, परदेशप्रिय एवं राज्यकार्य में दक्ष होता है।
12. लग्न के बारहवें भाव में चंद्रमा होने से जातक नेत्र रोगी, कफ रोगी, क्रोधी, एकांत प्रिय, चिंतनशील, मृदुभाषी एवं अधिक व्यय करने वाला होता है।
इन उपायों से करें ख़राब/दूषित चंद्र के दोष का निवारण:—
प्रथम भाव में स्थित चन्द्रमा के उपाय-
1:- वट बृक्ष की जड़ में पानी डालें।
2:- चारपाई के चारो पायो पर चांदी की कीले लगाएं।
3:-शरीर पर चांदी धारण करें।
4:-व्यक्ति को देर रात्रि तक नहीं जागना चाहिए। रात्रि के समय घूमने-फिरने तथा यात्रा से बचना चाहिए।
5:-पूर्णिमा के दिन शिव जी को खीर का भोग लगाएं।
द्वितीय भाव में स्थित चन्द्रमा के उपाय-
1:- मकान की नीव में चॉदी दबाएं।
2:- माता का आशीर्वाद लें।
तृतीय भाव में स्थित चन्द्रमा का उपाय-
1:- चांदी का कडा धारण करें।
2: पानी ,दूध, चावल का दान करे़ं।
चतुर्थ भाव में स्थित चन्द्रमा का उपाय-
1:- चांदी, चावल व दूध का कारोबार न करें।
2:- माता से चांदी लेकर अपने पास रखे व माता से आशिर्वाद लें।
3:-घर में किसी भी स्थान पर पानी का जमाव न होनें पाए।
पंचम भाव में स्थित चन्द्रमा के उपाय-
1:- ब्रह्मचर्य का पालन करें।
2:- बेईमानी और लालच ना करें, झूठ बोलने से परहेज करें।
3:-11 सोमवार नियमित रूप से 9 कन्यावों को खीर का प्रसाद दें।
4:- सोमवार को सफेद कपडे में चावल, मिशरी बांधकर बहते पानी में प्रवाहित करें।
छठे भाव में स्थित चन्द्रमा के उपाय-
1:- श्मशान में पानी की टंकी या हैण्डपम्प लगवाएं।
2:- चांदी का चोकोर टुकडा़ अपने पास रखें।
3:- रात के समय दूध ना पीयें।
4:- माता-सास की सेवा करें।
सप्तम भाव में स्थित चन्द्रमा के उपाय-
1:- पानी और दूध का व्यापार न करें।
2:- माता को दुख ना पहुचाएं।
अष्टम भाव में स्थित चन्द्रमा के उपाय-
1) श्मशान के नल से पानी लाकर घर मे रखें।
2) छल-कपट से परहेज करें।
3) बडे़-बूढो का आशीर्वाद लेते रहें।
4) श्राद्ध पर्व मनाते रहे।
5) कुएं के उपर मकान न बनाएं।
6) मन्दिर में चने की दाल चढाएं।
7) व्यभिचार से दूर रहे।
नवम भाव में स्थित चन्द्रमा के उपाय-
1:- धर्म स्थान में दूध और चावल का दान करें।
2:- मन्दिर में दर्शन करने हर रोज जाएं।
3:-बुजुर्ग स्त्रियों से आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।
दशम भाव में स्थित चन्द्रमा के उपाय-
1:- रात के समय दूध का सेवन न करें।
2:- मुफ्त में दवाई बांटें।
3:- समुद्र, वर्षा या नदी का पानी घर में रखें।
एकादश भाव में स्थित चन्द्रमा के उपाय-
1:- भैरव मन्दिर में दूध चढाएं।
2:- सोने की सलाई गरम करके उसको दूध में ठण्डा करके उस दूध को पिएं।
3:- दूध का दान करें।
द्वादश भाव में स्थित चन्द्रमा के उपाय-
1:- वर्षा का पानी घर में रखें।
2:- धर्म स्थान या मन्दिर में नियमित सर झुकाए।
क्या करें, क्या न करें :–
पंडित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार ज्योतिषशास्त्र में जो उपाय बताए गये हैं, उसके अनुसार चन्द्रमा कमज़ोर अथवा पीड़ित होने पर व्यक्ति को रात्रि में दूध नहीं पीना चाहिए। सफ़ेद वस्त्र धारण नहीं करना चाहिए और चन्द्रमा से सम्बन्धित रत्न नहीं पहनना चाहिए।
जब चन्द्र की दशा में अशुभ फल प्राप्त हो तो चन्द्रमा के मन्त्रों का जाप करें या कराएं :-
चन्द्रमा का बीज मंत्र है :- ‘ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: चन्द्रमासे नम:'(जप संख्या 11000)
चन्द्रमा का वैदिक मंत्र है :-
‘ॐ दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णवसम्भवम । भाशिनं भवतया भाम्भार्मुकुट्भुशणम।।’
कैसे लगता है चंद्र दोष, यह हैं उपाय—
कई बार आप अपने जीवन में ऐसा महसूस करते हैं कि आपके साथ कुछ अशुभ हो रहा है। मसलन आपकी आमदनी का जरिया एकाएक छिन जाता है, या फिर पानी सबंधी दिक्कतें आपको झेलनी पड़ रही हैं, आप अनिष्ट की शंकाओं से घिरे रहते हैं, मन में घबराहट, एक अंजाना भय आपको सताता रहता है, आपकी यादाश्त भी बहुत कमजोर हो जाती है, यहां तक हो सकता है आपके मन में दुनिया छोड़ने तक विचार आते हों।
क्या आप जानते हैं आपके साथ ऐसा क्यों होता है? ज्योतिषशास्त्र के नज़रिये से देखा जाये तो इन सबका कारक आपका मन होता है और मन चंद्रमा से प्रभावित होता है। यदि आपके साथ ऐसा कुछ घट रहा है, तो समझ लीजिये की आपका चंद्रमा कमजोर है या फिर आप चंद्र दोष का शिकार हैं। अपने इस लेख में हम आपको चंद्र दोष के बारे में ही बताएंगें और साथ ही बात करेंगें इसे दूर करने के उपाय के बारे में भी।
यह हैं चंद्र दोष से बचने के उपाय:–
कर्क राशि – इस राशि के जातकों को चंद्र देव की पूजा करनी चाहिए। संभव हो तो हर सोमवार गरीबों में सफेद मिठाई बांटें।
मीन राशि – भगवान विष्णु की उपासना करें। पीले भोजन का दान करें। हाथ में पीला धागा पहनें। बृहस्पतिवार के दिन व्रत रखें।
भगवान शिव का करें जाप:
चंद्र दोष से बचाव के लिये पीड़ित को चंद्रमा के अधिदेवता भगवान शिवशंकर की पूजा करनी चाहिए साथ ही महामृत्युंजय मंत्र का जाप व शिव कवच का पाठ भी चंद्र दोष को कम करने में सहायक होता है।
इनके अलावा चंद्रमा का प्रत्याधिदेवता जल को माना गया है और जल तत्व के स्वामी भगवान श्री गणेश हैं इसलिये माना जाता है कि गणेशोपासना से भी चंद्र दोष दूर होता है विशेषकर तब जब चंद्रमा के साथ केतु युक्ति कर रहा हो।
इनके अलावा दुर्गासप्तशती का पाठ, गौरी, काली, ललिता और भैरव की उपासना से भी राहत मिलती है। लेकिन कोई भी पूजा तभी फलदायी होती है जब उसे विधिवत रूप से किया जाये और पूजा को विधिवत रूप से करने के लिये विद्वान आचार्यों का मार्गदर्शन जरुरी है।
सोमवार को अपनाएं ये उपाय:—
चुंकि चंद्र का दिन सोमवार होता है साथ ही यह भगवान शिव का भी दिन है, अत: इस दिन कुछ खास उपायों को अपनाकर भी चंद्र के दोष को कम या सीमित किया जा सकता है।
1. सोमवार की पूर्णमासी को शाम के समय चंद्र को अग्र देने से भी चंद्र को मजबूत बनाने के अलावा उसके दोष में कमी लाई जा सकती है।
2. हर सोमवार को भगवान शिव के मंदिर में चंदन व जल चढाना भी चंद्र दोषों से मुक्ति में मदद करता है।
3. हर सोमवार को भगवान शिव की आरती भी चंद्र के दोष को सीमित करती है।
4. कुछ मामलों में सोमवार को सफेद वस्तु का दान या सफेद वस्त्रों को धारण करना भी चंद्र को मजबूत करने के साथ ही दोषों से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है।
(नोट- यह सभी उपाय किसी जानकार से कुण्डली में चंद्र की स्थिति, उसकी वर्तमान दशा आदि को दिखाकर ही अपनाएं।)