नई दिल्ली। नवरात्रि का आज चौथा दिन है। इस दिन माता शक्ति के चतुर्थ स्वरूप मां कुष्मांडा की पूजा करने का विधान है। आज मंगलवार 29 सितंबर को मां कूष्मांडा की अराधना की जाएगी। देवी कुष्मांडा को सौरमंडल की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि देवी की पूरे विधि-विधान से पूजा करने से रोग शोक और तमाम दोषों का नाश होता है। इस मौके पर आइए जानते हैं आखिर कौन हैं देवी कुष्मांडा और उनसे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें…
शुभ-मुहूर्त
ब्रह्म-मुहूर्त- सुबह 04:37 से लेकर सुबह 05:25 तक
अभिजित मुहूर्त- सुबह 11:47 से लेकर दोपहर 12:35 PM
विजय मुहूर्त- दोपहर 02:11 से लेकर दोपहर 02:58 तक
गोधूलि मुहूर्त- शाम 05:58 से लेकर शाम 06:22 तक
सर्वार्थ सिद्धि योग- 30 सितंबर की सुबह 05:13 से लेकर सुबह 06:13 तक
कौन हैं मां कूष्मांडा?
देवी अष्टभुजा के नाम से जानी जाने वाली मां कुष्मांडा के हाथों में धनुष, बाण, चक्र, गदा, अमृत कलश, कमल और कमंडल सुशोभित है। पौराणिक कथा के अनुसार, संसार की रचना से पहले जब चारों ओर घना अंधेरा पसरा हुआ था, तब देवी के इसी रूप के द्वारा ब्रह्मांड का सृजन हुआ था। कूष्मांडा का शाब्दिक अर्थ होता है ‘कुम्हड़ा’ अर्थात एक प्रकार का फल जिससे पेठा बनाया जाता है। कुम्हड़ा फल की बलि देने से देवी कूष्मांडा प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती हैं।
पूजा-विधि
1.सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करने के बाद मां पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
2.पूजा को गंगाजल से स्वच्छ करें।
3.इसके बाद देवी को पीला चंदन लगाएं।
4.माता को कुमकुम, मौली, अक्षत अर्पित करें।
5.मां कुष्मांडा को पीला रंग अत्यंत प्रिय है इसलिए उन्हें पीले रंग के वस्त्र, पीली चूड़ी, पीली मिठाई, पीला कमल आदि अर्पित करें।
6.मां को मालपुए का भोग लगाने से बुद्धि, यश और निर्णायक क्षमता में वृद्धि होती है।
7.अब एक पान के पत्ते में थोड़ा सा केसर लेकर ओम बृं बृहस्पते नमः मंत्र का जप करते हुए देवी को अर्पित करें।
8.इसके बाद ॐ कूष्माण्डायै नम: मंत्र का एक माला जाप करें।
9.अब दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती या फिर सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करें।
जाप मंत्र
बीज मंत्र – कुष्मांडा: ऐं ह्री देव्यै नम:
पूजा मंत्र – ॐ कूष्माण्डायै नम:
ध्यान मंत्र – वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्। सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥