नई दिल्ली। भगवान शिव को समर्पित सावन का महीना शुरू हो चुका है। सावन के पूरे महीने भगवान भोले शंकर की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। कही जाता है कि जो भी सच्चे दिल से इस महीने शिव शंकर को मनाता भगवान उसकी सभी मनोकामनाएं पूरा करते हैं। मान्यता है कि सावन के महीने में शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, चंदन और अक्षत चढ़ाने से शंकर भगवान को प्रसन्न किया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि कुछ चीजें ऐसी भी हैं जो भोलेनाथ पर चढ़ाई जाती। जिन्होंने शिव शंकर को अर्पित करने से मना किया जाता है। कहा ऐसा भी जाता है कि शिवलिंग पर ये चीजें चढ़ाने से शंकर भगवान नाराज हो जाते हैं।
कुमकुम और सिंदूर- यह तो सभी जानते हैं कि महिलाएं अपने पति की लंबी कामना के लिए अपनी मांग में सिंदूर सजाती हैं। कुछ लोग यह सिंदूर भगवान शिव को भी अर्पित कर देते हैं, लेकिन शिव पुराण में ऐसा करने पर मनाही की गई है। शिव पुराण में महादेव को विनाशक बताया गया हैं, यही वजह है कि भगवान शिव की पूजा सिंदूर या कुमकुम से नहीं की जाती है।
तुलसी के पत्ते- कई देवी-देवताओं की पूजा करने के लिए पवित्र तुलसी के पत्तों का उपयोग किया जाता है। लेकिन भगवान शिव की पूजा में तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल वर्जित माना जाता है। पौराणिक कथाओं की मानें तो भगवान शिव ने तुलसी के पति असुर जालंधर का वध किया था, जिससे क्रोधित होकर तुलसी ने भगवान शिव को अपने दैवीय गुणों वाले पत्तों से वंचित कर दिया था।
नारियल पानी- नारियल को मां लक्ष्मी का स्वरूप कहा जाता है, इसलिए कहा जाता है कि शिव जी का अभिषेक करने के लिए नारियल पानी की उपयोग बिल्कुल नहीं करना चाहिए। शिवलिंग पर चढ़ाई जाने वाली चीजों को ग्रहण करना भी वर्जित माना गया है। एक वजह यह भी है कि शिव पर नारियल पानी शिवलिंग पर नहीं चढ़ाना चाहिए।
शंख- पुराणों की मानें तो भगवान शिव ने शंखचूड़ नाम के असुर का वध भी किया था। शंख को उसी असुर का प्रतीक कहा जाता है। माना यह भी जाता कि शंखचूड़ असूर भगवान विष्णु का भक्त भी था। इसलिए विष्णु भगवान की पूजा तो शंख से होती है लेकिन भगवान शिव की पूजा में शंख का उपयोग नहीं किया जाता।
हल्दी- कई पूजा पाठ में हल्दी का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन शिव शंकर को हल्दी अर्पित नहीं की जाती है। शास्त्रों की मानें तो शिवलिंग पौरुष का प्रतीक है और हल्दी को सौंदर्य प्रसाधन का सामान माना जाता है। बता दें कि हल्दी का संबंध भगवान विष्णु और सौभाग्य से भी होता है, इसलिए यह भगवान शिव को नहीं चढ़ाया जाता है।