newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Shabari Jayanti 2021: जानें कौन थीं शबरी, क्यों भगवान राम को खिलाए थे जूठे बेर

Shabari Jayanti 2021: जब भी भगवान श्रीराम की पौराणिक कथाओं का नाम लिया जाता है, तब माता शबरी का नाम जरूर आता है। आज उन्हीं माता शबरी की जयंती (Shabari Jayanti) है।

नई दिल्ली। हिंदू धर्म में जब भी भगवान श्रीराम की पौराणिक कथाओं का नाम लिया जाता है, तब माता शबरी का नाम जरूर आता है। आज उन्हीं माता शबरी की जयंती (Shabari Jayanti) है। भगवान श्रीराम के भक्तों में सबसे उपर नाम शबरी माता का भी आता है। भगवान राम उनकी भक्ति से बहुत प्रभावित हुए थे। उन्होंनें शबरी को आदरणीय नारी कहा था। ऐसे में हम आपको इस लेख में बताएंगे कि शबरी माता कौन थी। जिनकी भक्ति से प्रसन्न हो उन्होंने उनके जूठे बेर खा लिए थे।

lord rama

भगवान राम और शबरी की कथा

शबरी का असली नाम श्रमणा था। भील समुदाय के राजकुमार से उनका विवाह तय हुआ था। वहां पशुबलि की परंपरा थी। लेकिन माता शबरी किसी भी तरह की हिंसा पसंद नहीं करती थी। इसलिए शादी से एक दिन पहले उन्होंने अपना घर छोड़ दिया था और वो वन में रहने लगी थीं। इसी दौरान भगवान राम भी वनवास के लिए वन में आ गए थे। तभी शबरी से भगवान राम की मुलाकात हुई थी।

इस वन में एक मातंग ऋषि रहते थे। जिनकी सेवा शबरी करने लगी थीं। ऋषि जिस रास्ते से अपने आश्रम जाते थे उसी रास्ते को शबरी सुबह-सुबह जल्दी उठ कर साफ करने लगीं। लेकिन उन्होंने ऋषियों को इस बात का पता नहीं चलने दिया कि वो ही उनका रास्ता साफ करती थीं। उन्हें डर था कि अगर ऋषियों को पता चल गया कि वो भील समुदाय से हैं तो कहीं वो उनकी सेवा से वंचित न हो जाएं। इसलिए वो सुबह-सुबह उठकर कांटे चुनकर साफ बालू बिछा देती थीं। साफ रास्ता देख ऋषि चौक जाते थे। एक दिन उन्होंने शबरी के रास्ता साफ करते हुए देख लिया था। जिसके बाद उन्होंने उनको अपने आश्रम में शरण दे दी थी।

Shabri Jayanti 2021

फिर एक दिन ऋषि मातंग का अंतिम समय निकट आया। उन्होंने शबरी को बुलाया और कहा कि वो अपने आश्रम में ही प्रभु राम की प्रतीक्षा करें, वो उनसे जरूर मिलने आएंगे। इतना कहने के बाद ऋषि ने देह त्याग कर दिया। उनकी बात मानकर शबरी आश्रम में भगवान राम की प्रतिक्षा करने लगी और रोज की तरह रास्ते को साफ करती रहीं।

इस दौरान वो भगवान राम के लिए मीठे बेर तोड़ती रहीं। वो हर बेर को चखती थीं, जो बेर मीठे होते थे सिर्फ वही बेर वो पात्र में रखती थी। जिस दिन उनका भगवान राम से मिलने का समय आया उस दिन वृद्ध शबरी बहुत खुश हुईं। उन्होंने भगवान राम के चरणों को धोकर बैठाया। जिसके बाद उन्होंने अपने जूठे बेर भगवान को खाने के लिए दिए। भगवान ने बड़े प्रेम से वो बेर खाए। जिसके बाद उन्होंने शबरी को भामिनी कहा, जिसका मतलब है- अत्यंत आदरणीय नारी।