नई दिल्ली। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से 16 दिन के श्राद्ध शुरू हो रहे हैं। इस साल ये 21 सितंबर से शुरू हो रहे हैं और 6 अक्टूबर को समाप्त हो रहे हैं। श्राद्ध को पितृपक्ष या महालय के नाम से भी जाना जाता है। श्राद्ध पित्तरों की शांती के लिए किए जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध कर अपने पितरों को मृत्यु च्रक से मुक्त कर उन्हें मोक्ष प्राप्त करने में मदद करता है।
श्राद्ध के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखा जाता है। इस दौरान कुछ कार्यों की मनाही भी होती है, जो श्राद्ध में बिल्कुल नहीं करने चाहिए। इसके अलावा श्राद्धकर्म पर भी ध्यान देना चाहिए।
इन बातों का रखें ध्यान
— श्राद्ध कार्य हमेशा दोपहर के समय ही करना चाहिए। वायु पुराण के अनुसार, शाम के समय श्राद्धकर्म निषिद्ध है। क्योंकि शाम का समय राक्षसों का है।
— श्राद्ध क्रम हमेशा अपने घर ही करना चाहिए। कभी भी श्राद्ध दूसरे के घर नहीं करना चाहिए।
— लेकिन अगर आप किसी तीर्थ, मन्दिर या पवित्र स्थान पर हैं, तो ये दूसरे की भूमि नहीं मानी जाती। इसलिए आप इन स्थानों पर श्राद्ध कार्य कर सकते हैं।
— श्राद्ध में तुलसी और तिल का प्रयोग करना चाहिए। ऐसा करने से पितृगण प्रसन्न होते हैं।
— श्राद्ध में ब्राह्मण को भोजन जरूर कराना चाहिए। जो बिना ब्राह्मण को भोजन कराए श्राद्ध कर्म करता है, उसके घर में पितर भोजन ग्रहण नहीं करते और उसे पाप चढ़ता है।