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Varuthini Ekadashi 2022: आज है मुक्तिदायिनी ‘वरुथिनी एकादशी’, जानिए इस व्रत का शुभ मुहूर्त, तिथि और पूजा-विधि

Varuthini Ekadashi 2022: इस दिन पूजा के दौरान विष्णु सहस्रनाम, वरुथिनी एकादशी व्रत कथा का पाठ और भगवान विष्णु की आरती करना काफी शुभ माना जाता है। ये सारी क्रियाएं करने के बाद ही पूजा विधि को पूर्ण माना जाता है।

नई दिल्ली। आज भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी का पर्व है। हर साल वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ने वाली एकादशी को ‘वरुथिनी एकादशी’ कहा जाता है। इसमें व्रत रखने और भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन पूजा के दौरान विष्णु सहस्रनाम, वरुथिनी एकादशी व्रत कथा का पाठ और भगवान विष्णु की आरती करना काफी शुभ माना जाता है। ये सारी क्रियाएं करने के बाद ही पूजा-विधि को पूर्ण माना जाता है। वरुथिनी एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के शारीरिक और मानसिक कष्ट दूर होने के साथ ही उसे मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। आइये जानते हैं क्या है इस वरुथिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त, मंत्र, और पूजा​ विधि…

शुभ-मुहूर्त

मंगलवार, 26 अप्रैल की रात 01:37 से वैशाख कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ हो जाएगा और इसका समापन बुधवार, 26 अप्रैल को रात 12:47 बजे होगा। इसमें दो शुभ योग भी बन रहे हैं। पहला योग ‘ब्रह्म योग’ है, जो 26 अप्रैल को शाम 07:06 बजे तक रहेगा। दूसरा ‘त्रिपुष्कर योग’ है, जो 26 अप्रैल, रात 12:47 से शुरू होकर अगली सुबह 05:44 बजे तक रहेगा। दिन का शुभ समय सुबह 11:53 बजे से शुरू होकर दोपहर 12:45 बजे तक रहेगा।

पूजा-मंत्र

ओम नमो भगवते वासुदेवाय नम:

व्रत एवं पूजा विधि

इस व्रत में सुबह स्नानादि के बाद जातक व्रत एवं पूजा का संकल्प लें। उसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति की स्थापना करें और उनकी पूजा करें। इस एकादशी की पूजा में पंचामृत, पीले फूल, फल, पान, सुपारी, अक्षत्, तुलसी का पत्ता, धूप, दीप, कपूर, चंदन, रोली आदि भगवान विष्णु पर चढ़ाना काफी शुभ होता है। इन सभी वस्तुओं को अर्पित करते समय “ओम नमो भगवते वासुदेवाय नम:” मंत्र का उच्चारण करना आवश्यक है। इसके बाद विष्णु चालीसा, विष्णु सहस्रनाम और वरुथिनी एकादशी व्रत कथा का पाठ करें और घी का दीपक या कपूर जला कर भगवान विष्णु की आरती करें। शाम की आरती करने के बाद रात्रि जागरण करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। अगले दिन स्नानादि के बाद पूजा और दान करें और सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें।

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। Newsroompost इसकी पुष्टि नहीं करता है।