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ज्योतिष की नजर से समझें..क्या दिल्ली चुनाव में केजरीवाल की होगी बल्ले बल्ले या भाजपा के सिर सजेगा जीत का सेहरा

चन्द्र से भाग्य भाव मे केतु , गुरु की गोचरीय उपस्थिति और राहु की दृष्टि इस बार का चुनाव आसान नही बनाता है और पुनः सत्ता पाते नही दिख रहे है या कहे कि 36 का जादुई आंकड़ा नही छू पाएगी।

चन्द्र से भाग्य भाव मे केतु , गुरु की गोचरीय उपस्थिति और राहु की दृष्टि इस बार का चुनाव आसान नही बनाता है और पुनः सत्ता पाते नही दिख रहे है या कहे कि 36 का जादुई आंकड़ा नही छू पाएगी।11 फरवरी को नतीजे आने हैं उस दिन केजरीवाल की राशि के पांचवें घर में चंद्रमा, राशि के एकादश भाव में बुध की युति, दशम भाव में सूर्य और शनि और नवम भाव में मंगल, गुरु केतु स्थिति मजबूत बना रहे हैं।

Delhi Election BJP Congress AAP

हालांकि यह भी तय है कि राहु की कुदृष्टि नतीजे बहुत चौंकाने वाले देगी। चुनाव के परिणामों को लेकर तीनों ही पार्टियां अपनी जीत का दावा कर रही हैं। आप, बीजेपी और कांग्रेस जनता का भरोसा जीतने में जुट गई हैं। ऐसे में ज्योतिषियों के नजरिए से समझते हैं कि दिल्ली में किसका राजयोग हो सकता है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी की कुंडली क्या कहती है।

arvind kejriwal road show

वैदिक ज्योतिष के अनुसार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मेष राशि है। 8 फरवरी 2020 और 11 फरवरी की तारीख केजरीवाल के लिए बेहद शुभ मानी जा रही है। मेष राशि के नवम भाव में बृहस्पति और केतु का गोचर केजरीवाल को सफलता की ओर ले जा रहा है।अरविंद केजरीवाल की जन्म तिथि का विवरण गूगल से लिया हैं इसलिए मुझे ठीक से ज्ञात नहीं की यह जन्म तारिख कितनी हद तक ठीक है लेकिन फिर भी हम इसके आधार पर कुंडली का निरिक्षण करेगे। अरविंद केजरीवाल की उपलब्ध जन्म कुंडली पर एक नजर डालते हैं कि इनका आने वाला समय इनके लिए कैसा रहेगा।

नाम- अरविंद केजरीवाल

जन्म तिथि- 16 अगस्त 1968

जन्म स्थान- हिसार (हरियाणा)

जन्म समय- 23:46:00

जन्म लग्न- वृषभ,

चन्द्र राशि- वृषभ,

जन्म नक्षत्र- कृतिका चौथा चरण।

आज हम यह जानने की कोशिश करेंगे की क्या अरविंद केजरीवाल की कुंडली में स्थित गृह दोबारा से उनको मुख्यमंत्री के पद तक पंहुचा सकते है। यह बात सिर्फ इस आधार पर खोजने की कोशिश होगी की यदि दिल्ली के 2020 में  विधान सभा चुनाव होते है तो क्या केजरीवाल के गृह उनका कितना साथ देंगे। जैसा कि हम सभी जानते हैं अरविंद केजरीवाल ने प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा देकर भ्रष्टाचार विरोधी अभियान शुरू किया।

Arvind Kejriwal PC

ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री जी बताते हैं कि अरविंद केजरीवाल की लग्न कुंडली में वृषभ लग्न है और लग्न के स्वामी शुक्र की स्थिति चौथे भाव अथवा माता स्थान और राजनीती में राजनीती का स्थान है।। तो यह बात तो स्पष्ट है की लग्न के स्वामी की स्थिति राजनीती के हिसाब से अत्यधिक फलदायक हैं क्योकि राजीति करियर के लिए लग्न के स्वामी का चौथे घर से सम्बन्ध अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

अब यदि हम उनकी चालित कुंडली पर नजर डाले तो लग्न के स्वामी की स्थिति कुंडली के पाचवे भाव में है। यदि हम राजनीती के नज़रिए से देखे तो पाचवा भाव जनता का भाव है और किसी राजनीतिज्ञ के लिए लग्न के स्वामी का सम्बन्ध यदि पाचवे भाव से हो जाए तो यह जनता के साथ उस व्यक्ति का एक गहरा और विशेष सम्बन्ध दर्शाता है।

arvind kejriwal

अब क्योंकि राजनीती करियर में चौथे भाव का इतना महत्व है तो इसके स्वामी पर भी नजर डालना अत्यधिक आवश्यक है, क्योंकि चौथे भाव के स्वामी की स्थिति के आधार पर ही हम उस भाव की शक्ति का आकलन कर सकते है, लग्न कुंडली में चौथे भाव में सिंह राशी है और इसका स्वामी सूर्य अपने ही भाव में स्थित है।  सूर्य की स्थिति अपने ही भाव में अरिविंद केजरीवाल के राजनीती करियर के लिए एक और वरदान है, क्योकि वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूर्य सरकार का करक है और सरकार में बने रहने के लिए सूर्य की मज़बूत स्थिति बेहद आवश्यक है।

Surya garhan Sun

सूर्य अपनी राशि में स्थित दसवे भाव को पूर्ण दृष्टि से देख रहा है, दसवा भाव कुंडली में सरकारी उच्च पद को दर्शता है। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री जी बताते हैं कि पांचवे भाव के स्वामी बुध की स्थिति चौथे भाव में शुक्र के साथ, जनता के साथ एक विशेष सम्बन्ध को दर्शाता है  और भी कई तथ्य हैं लेकिन समय के आभाव में मैं सिर्फ विशेष तथ्यों पर ही ध्यान दूंगा।

अब हम चलते गुरु के पास, जन्म कुंडली के चौथे भाव में स्थित गुरु सूर्य की राशी में राजनीती के लिए एक विशेष योग का निर्माण करती है, वैसे भी गुरु की स्थिति राजनीती करियर और समाज सेवा के लिए विशेष है, ऐसे लोग इमानदार और समाजसेवक होते है। ऐसे व्यक्तियों के पास यदि धन अर्जित करने के विशेष साधन भी हो तो भी वे उन साधनों का इस्तेमाल नहीं करते और एक साधरण जीवन व्यतीत करते है, हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की कुंडली में भी गुरु की स्थिती चौथे भाव में है और यही गुरु समाज सेवा और राजनीती में उठान देता है।

Arvind Kejriwal

ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि अरविंद केजरीवाल की कुंडली में शुक्र लग्न का स्वामी है और चौथे भाव में मंगल, बुध, गुरु एवम सूर्य के साथ विराजमान है।  ग्रहों की ये स्थिति उन्हें अति-आत्मविश्वासी एवम दूसरों पर हावी होने वाला बनाती है। उन्हें ज्यादातर झगड़ालू दृष्टिकोण के लिए जाना जाता है।

ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री जी बताते हैं कि अरविंद केजरीवाल की कुंडली के लग्न में (चौथे भाव में) गुरु, बुध और शुक्र जैसे 3 शुभ ग्रहों के योग के कारण उन्होंने अपनी राजनीति को शिक्षा, स्वास्थ्य और बिजली-पानी जैसे मूलभूत सुविधाओं को कम दामों में देने की लोकलुभावन नीति अपनायी। किन्तु हानि के 12वें घर में पड़े शनि के अशुभ योग के कारण उनकी पार्टी के कई प्रभावशाली नेता बेहद विवादास्पद झगड़ों के बाद उनको छोड़ कर जाते रहे।

शनि का प्रभाव

शनि अपनी नीच राशि मेष में होकर भाग्य भाव और दशम भाव का प्रतिनिधित्व कर रहा है। विषाक्त नामक कालसर्प योग है, जो जातक के जीवन को अत्यन्त रहस्यमय बना देता है। शनि जनता एंव राजनीति दोनों का संकेतक है। विषाक्त नामक काल सर्पयोग का प्रभाव होने के कारण इतने अच्छे योग होने के बाद भी ऐसे इंसान को अपने अंदर आत्मविश्वास की कमी को दर्शाता है जो इन्हे आगे बढ़ने से रोक देता है।जन्म कुंडली में दशा व गोचर अच्छा होते हुए भी केजरीवाल पर संकट टला हुआ नहीं कहा जा सकता है। गुरु में केतु की अन्तर्दशा चलेगी और केतु दूसरे भाव अर्थात मारक स्थान में स्थित है। लिहाजा विरोधी दल हावी हो सकते हैं।

Arvind Kejriwal Manish Sisodia PC Delhi

चूंकि शनि भृत्‍य है, ऐसे में नीचे तबके के लोगों का केजरीवाल का अपेक्षाकृत अधिक समर्थन मिलना चाहिए। ऐसे ही शनि चलित अन्‍य लोग भी तेजी से केजरीवाल से जुड़ेंगे। यह उनका भाग्‍य है। चूंकि एकादशेश यानी लाभ के भाव का अधिपति अपने ही भाव से छठे बैठा है। ऐसे में केजरीवाल को बहुत अधिक आमदनी और लाभ होने की संभावनाएं नहीं हैं।

अरविंद केजरीवाल की कुंडली में वर्तमान में गुरु में की महादशा में राहु की अंतर्दशा चल रही है। चन्द्रमा नवम भाव में नवमेश मंगल के साथ परिवर्तन योग में है और साथ ही उस पर पंचमेश गुरु की दृष्टि है, जिसके कारण यह दो बड़े योगों का प्रभाव लिए हुए है।  इस दोहरे शुभ योग के प्रभाव से केजरीवाल अपनी उदार छवि के बलबूते बीजेपी और कांग्रेस की दोहरी चुनौती को मात देकर फिर एक बार दिल्ली प्रदेश के मुख्यमंत्री बन सकते हैं।

arvind kejriwal

वृषभ लग्‍न का अधिपति शुक्र चतुर्थ स्‍थान में बैठकर जनता में उनका सम्‍मान बढ़ाता है। लग्‍न का सबलॉर्ड गुरु शुक्र के नक्षत्र में विराजमान है। यह शुक्र फिर हमें चौथे घर में ही मिलता है। इसके साथ ही ग्‍यारहवें भाव का राहू, जो राजनीति से लाभ दिलाता है।केजरीवाल की कुण्‍डली में मंगल  और बुध  अस्‍त हैं तथा शनि  वक्री है। नीच का वक्री शनि बारहवें स्‍थान पर श्रेष्‍ठ फल देता है। इसके चलते केजरीवाल के बाहरी संबंध मजबूत बनते हैं। लाल किताब  के अनुसार आठवां और बारहवां स्‍थान शनि के पक्‍के घर हैं।

अब यहां पर कुछ समस्‍या दिखाई देती है, वह है तृतीयेश चंद्रमा और शनि की बारहवें भाव में युति। इसे ज्‍योतिष की भाषा में पुनरफू  योग कहते हैं। जिस जातक की कुण्‍डली में इस प्रकार का योग बनता है वह मानसिक रूप से कुछ परेशान रहता है। दुनियादारी उसे खराब लगती है और दुनिया को देखने का नजरिए में भी नकारात्‍मकता  अधिक होती है।

तीसरे भाव में सूर्य और मंगल की उपस्थिति उन्‍हें ताकतवर बनाती है। मित्रों का सहयोग मिलता है और अपनी मित्र मंडली में वे ताकत का पर्याय बनकर उभरते हैं। नीच के मंगल के कारण अपने दोस्‍तों पर रुआब रखना और उनसे अपने मन की करवाना केजरीवाल के लिए अपेक्षाकृत आसान बनता है।

वृषभ लग्न वाले लोग मेहनती, कर्मशील, कर्मठ व सबका साथ देने वाले होते हैं।  कुंडली में तीसरे घर के अन्दर मंगल एक योगकारी कर्क माना जाता है। कार्य के घर पर मंगल की दृष्टि पड़ रही है और यह अरविंद केजरीवाल के लिए अच्छा योग है। कार्य के घर पर अगर मंगल की दृष्टि होती है तो पैसा, मान-सम्मान में जातक को फायदा प्राप्त होता है।

वृषभ लग्न में ब्रहस्पति के परिणाम की बात करें तो जातक को सफलता तो प्राप्त होती है किन्तु समय-समय पर देवगुरु वृहस्पति जातक को परेशान करता रहता है।मंगल का नीच भंग अरविंद को राजनीति में प्रभावशाली बनाएगा।

अरविंद केजरीवाल के बयान ईमानदारी से जुड़े होते हैं, अत: दूसरे उसे नकार देते हैं। लेकिन जनता भाव का स्वामी शुक्र वाणी भाव में है। जो गुरु के साथ-साथ पराक्रमेश बुध के साथ है इसी वजह से अरविंद खुलकर चैलेंज भी करते हैं।केतु राहु के मध्य सारे ग्रह होने पर अरविंद को पूरी तरह आम जनता का साथ नहीं मिल पा रहा है।अरविंद के जन्म के समय शनि नीच का है, लेकिन वक्री होने से शनि का फल उत्तम रहेगा। लेकिन उनकी उपलब्ध कुंडली में बना कालसर्प योग बाधा देता है। ऐसे लोग अपने जीवन को अपने कार्यों से विशेष बना लेते हैं।

अरविंद केजरीवाल जी की कुंडली में वृषभ लग्न होने के कारण इन्हें मेहनत का फल तो प्राप्त हो रहा है लेकिन महादशा का साथ न होने के कारण तकलीफों का सामना भी करना पड़ रहा है। अभी इनकी महादशा देवगुरु वृहस्पति की व अंतरदशा राहु व प्रत्यांतर में शुक्र चल रहे हैं। सूर्य और शनि का भी मेल नहीं बनता है इस कारण से भी कार्य के क्षेत्र में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है।

अरविंद केजरीवाल की जन्म कुण्डली में बने हैं ये विशेष योग

केदरयोग –सभी ग्रह चार स्थान में रहने से बनता है जातक भूमि से जुड़ा इंसान,सभी सुखो से युक्त नोकरी का लाभ होता है यह सत्य है जातक ने नोकरी की बाद में छोड़ दी। विद्या उत्तम लेकिन बाधाओंका सामना करना पड़ता है।

प्रेम विवाह योग- पंचमेश व सप्तमेश का लग्नेश से सम्बन्ध होने से  प्रेम विवाह होता है |

अरिष्ट योग- लग्नेश , षष्टेश,अष्टमेश के साथ रहने से ये योग बनता है स्वास्थ्य नरम-गरम  बना रहता है व शरीर को रोग ग्रसित बनता है ग्रह अनुकल उपाय से लाभ होता है |

राज योग- चार ग्रह एक साथ चतुर्थ भाव में रहने से जो जनता का भाव का भी भाव है राजयोग बनता है जो जातक को यशस्वी धनी जनता से लाभ उच्च पद प्राप्त करता है।

नीच भंग राज योग- मंगल एवम शनि के द्वारा निर्मित है राज चिन्ह से शोभित,नगर या क्षेत्र का स्वामी होता है राजा की तरह जीवन यापन होता है ग्रह बलवान है  तो फल पूर्णत:लागु होता है।

{गुरु महा दशा 17 -8-2004 से 17 -8-2020 तक चलेगी}

गज केशरी योग- गज- हाथी,जो धन वैभव मान सम्मान प्रतिष्ठा का प्रीतक है केशरी –शेर की तरह सर्वोपरी,शत्रु हन्ता बनता है |जातक राज क्षत्रे में धीरे -2 उन्नति को प्राप्त करता है कीर्ति अकक्षुणरहती है वर्तमान में गुरु की महादशा चल रही है गुरु लाभेश व अष्टमेश  होकर चतुर्थ भाव में स्थित रहने से गुप्त रूपसे या अचानक लाभ पद की सम्भवना देता है।

वर्तमान में गुरु में शुक्र की अंतर दशा में राहु का प्रत्यंतर 13-7-2013 से चला राहु लाभ में गुरु की राशि में है राहु अचानक लाभ हानी के योग बनता है राहु राजनीति का कारक {कालसर्प योग भी बना रहा है }इसी दशा ने राजनीति में प्रवेश करवाया कालसर्प योग गुरु की राशि में रहने से शुभ फल करी है इस कुंडली में  [पद्म नामक कालसर्प योग बना है पंचम से लाभ में केतु राहु है फल संतान चिंता विद्या में बाधा गुप्त शत्रु लाभ में हानी भय जीवन संघर्षमय बनता है लेकिन मैंने कई कालसर्प योग वाले जातको को उच्च पदपर आसीन देखा है यह योग अशुभग्रह की दशा में अशुभ फल एवम शुभ ग्रह की दशा में शुभ फल देता है }

जातक की कुंडली में शुभ फल करी हुआ और  अति सघर्ष के बाद उच्च पद  पर पहुचा दिया। कुंडली में अष्टक वर्ग केनिरीक्षण में गुरु की अंतर दशा शुक्र को 8 अंक प्राप्त है फल-राजकीय पद  मान सम्मान यश उन्नति दिलवाता है।

राजधानी दिल्ली के वर्तमान मुख्यमंत्री जी की कुंडली में एक बड़ा दोष, ‘कालसर्प दोष’ का होना है। यह दोष समय-समय पर अपना प्रभाव दिखाता है। इस दोष के कारण ऐसा नहीं है कि व्यक्ति को सफलता प्राप्त नहीं होती है किन्तु मान-सम्मान, जन सहयोग सबकुछ मिलने के बाद भी आदमी कब सबकी नज़रों में गिर जाये, इसका पता नहीं होता है।

मान-सम्मान की दृष्टि से सूर्य-बुध दोनों ही ग्रह अच्छी स्थिति में हैं, संघर्ष के बावजूद इनको यह ग्रह मुश्किलों से बचाने का कार्य कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे।

ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार नवम भाव (भाग्य) का स्वामी गुरु द्वितीय भाव (वाणी) में चतुर्थेश शुक्र व तृतीयेश बुध के साथ है और इस कारण से अरविंद की वाणी से निकला एक-एक शब्द तीर के समान विरोधी पार्टी को लगता है।

Arvind Kejriwal

निष्‍कर्ष

इसी कुण्‍डली के आधार पर यह कहा जा सकता हैं कि केजरीवाल किसी समय में चेन स्‍मोकर रहे होंगें हैं और अब भी यदा कदा स्‍मोकिंग करते होंगे।

दूसरा फलादेश यह है कि केजरीवाल डिप्रेशन के पुराने मरीज हैं और नियमित अंतराल में उन्‍हें इसके अटैक आते हैं। वे इतने मैनिक हो जाते होंगे कि दवाएं देकर ही उन्‍हें शांत किया जा सकता है। अरविंद केजरीवाल को चंद्रमा का उपचार शीघ्र करने की जरूरत है। ताकि वे मानसिक अवसाद से मुक्‍त हो सकें। उनको भगवान महाकाल की आराधना के साथ साथ अपनी माता की भी सेवा नियमित करनी चाहिए।

ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री जी बताते हैं कि वर्तमान में भाजपा की मिथुन लग्न की कुंडली में चन्द्रमा में राहु की भ्रमित करने वाली विंशोत्तरी दशा पिछले वर्ष सितम्बर के मध्य से चल रही है। चंद्रमा में राहु की कमजोर दशा के चलते भाजपा ने हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में उम्मीद से कम प्रदर्शन किया और झारखण्ड में तो उसे बुरी हार का सामना करना पड़ा।

भाजपा की कुंडली में राहु के गुरु के साथ बन रहे ‘चांडाल योग’ के चलते उसे सांप्रदायिक विवादों जैसे नागरिकता कानून में बदलाव के बाद प्रतिरोध झेलना पड़ रहा है।

क्या कहते हैं मनोज तिवारी जन्म कुण्डली के सितारे-

manoj tiwari

मनोज तिवारी का जन्म 1 फरवरी 1973 में बिहार के अतवरलिया में हुआ। इनके पिता का नाम चंद्र तिवारी और मां ललतिता देवी है। मनोज तिवारी का उपनाम मृदुल है।

वाराणसी से अपनी शिक्षा (बीएचयू) पूरी करने वाले मनोज ने सिगिंग की शुरूआत भी बनारस के शीतला घाट व महावीर मंदिर से की। खाने में लिट्टी-चोखा पंसद करने वाले मनोज की पहली फिल्म ससुरा बड़ा पैसा वाला है। बता दें कि फिल्मों में काम करने से पहले लगभग दस साल तक मनोज ने गायन के क्षेत्र में काम किया था। यह फिल्म सफल साबित हुई माना जाने लगा की भोजपुरी फिल्मों का नया मोड़ शुरू हो चुका है। Manoj Tiwari

इसके बाद मनोज की दो और फिल्में ‘दारोगा बाबू आई लव यू’ और ‘बंधन टूटे ना’ रिलीज हुईं। मनोज तिवारी का जन्म 1973 में बिहार के एक छोटे से गाँव अटरवालिया में हुआ था।  ये एक भारतीय सिंगर, एक्टर, म्यूजिक डायरेक्टर और टेलीविजन प्रेसेंटर भी है, जो मुख्य रूप से भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के लिए काम करते है। मनोज तिवारी ने रानी तिवारी से 1999 में शादी की और इन दोनों कपल्स से एक बेटी ने जन्म लिया | उसके बाद इन दोनों ने साल 2012 में तलाक ले लिया। मनोज तिवारी की जिंदगी में बहुत सारे उतार-चढ़ाव आए है।

मनोज तिवारी manoj tiwari

भोजपुरी फिल्म अभिनेता मनोज तिवारी का जन्म 1 फरवरी 1973 को कुंभ लग्न व शुक्र के नक्षत्र पूर्वाषाढ़ा में हुआ। नक्षत्र स्वामी शुक्र पंचम (मनोरंजन भाव) के स्वामी बुध के साथ होकर द्वादश भाव में है।बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी की भी जन्म राशि मेष है और इस समय में उनके नवम भाव में बृहस्पति और केतु गोचर कर रहे हैं। जिसकी वजह से चुनाव में मनोज तिवारी को कुछ फायदा भी हो सकता है।

वह इस चुनाव में काफी अच्छा प्रदर्शन करके दिखाएंगे। जिसकी वजह से बीजेपी और आप के बीच में कांटे की टक्कर हो सकती है। लेकिन जन्म कुंडली के अनुसार अरविंद केजरीवाल को ग्रहों का अधिक साथ मिल रहा है। क्योंकि उनकी लग्न कुंडली में बृहस्पति, शुक्र और बुध की युति है।

कलाकार योग

त्रितयेश बुध शुक्र का योग अभिनेता,  गायक, निर्देशक के के रूप  सफलता देता है। शुक्र सूर्य चंद्र की दशाओ ने सफलता मे चार चंद लगा दिये एव चंद्र शनि जो  चंद्र 4 भाव का स्वामी होकर दशम भाव के स्वामी के साथ मे रहने से करम सिद्धि योग बनाता है जो जीवन मे सभी क्षत्रों मे सफलता देता है।दशम भाव मे सूर्य भी विद्या बुद्धि से सफलतादेता है। मुख का स्वामी शुक्र एव 2भाव पर  गुरु मंगल की द्रष्टि  गायन एव बोलने मे चतुर बनती है एव जनता से  लोक हित से जुड़े कार्यो से भी  विशेष सफलता देता है लाभ का राहू एव शनि राजनीति में रुचि देते है।

अष्टक वर्ग मे गुरु की पोजीशन राज पद सत्ता सुख और वैभव प्रदान करती है। कुंडली मे और भी अनेक योग बने है लेकिन सभी का वरन करना सम्म्भव नहीं है। शुक्र राशि स्वामी गुरु व सप्तमेश सूर्य के साथ है अत: मनोज तिवारी को गायन, अभिनय के क्षेत्र में काफी परिश्रम के बाद सफलता मिली। मनोज की राजनीति में पहचान 2014 लोकसभा के चुनाव व भाजपा के प्रत्याशी के रूप में हुई।  किसी भी कुंडली में राजनीति का भाव दशम होता है। दशम भाव में राजनीति का कारक मंगल स्वराशि का होकर राज्य भाव में पंचमहापुरुष योग में से एक रुचक योग बना रहा है इसी वजह से मनोज राजनीति में आ सके हैं।

वर्तमान में मंगल कन्या का होकर मनोज के जन्म लग्न से अष्टम भाव से व राशि लग्न से दशम भाव से भ्रमण कर रहा है। यह स्थिति जीत दिलाएगी, लेकिन उन्हें इसके लिऐ कड़ा परिश्रम करना होगा। मनोज के जन्म के समय राहु व चन्द्र साथ-साथ हैं, यह एक प्रकार का ग्रहण योग होता है अतः जरूरी है कि परिश्रम करें तो ही सफलता नसीब हो सकती है। मनोज की पत्रिका में राहु नीच का है व गुरु भी नीच का है, जो सफलता प्राप्ति में मेहनत लेता है।

विशेष बात यह है कि ऊर्जा व साहस का कारक मंगल, राजनीति से संबंध रखता है, वह स्वराशि वृश्चिक का है जिसने मनोज को सफलता दिलाई है और आगे भी दिलाता रहेगा। दूसरी तरफ दिल्ली प्रदेश में 1998 से 2013 तक स्वर्गीय शीला दीक्षित के नेतृत्व में सत्ता में रही कांग्रेस अब राज्य में फिर से अपनी स्थिति मजबूत करने में जुटी है।

मीन लग्न की कांग्रेस पार्टी की कुंडली में गुरु में सूर्य की दशा चल रही है। किन्तु दिल्ली प्रदेश में आम आदमी पार्टी की स्थिति ज्योतिषीय दृष्टिकोण से अधिक मजबूत है क्यूंकि इनकी मकर लग्न की कुंडली में दशम में बैठे शुक्र की महादशा में लाभ भाव में बैठे राहु का अंतर है जो कि अप्रत्याशित सफलता दिला सकता है।

उज्जैन के ज्योतिर्विद पंडित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार अरविंद केजरीवाल बस विरोधियों से खुद का बचाव करते रहें और अपने भी समय-समय पर इनको धोखा देने का कार्य कर सकते हैं। शत्रु घर का स्वामी शुक्र होता है और अभी इनकी कुंडली में शुक्र, सूर्य के साथ आ गया है और इस कारण से शुक्र अस्त हो चुका है। अरविंद जी को कोई भी ऐसा कार्य नहीं  करना चाहिए, जिससे विरोधियों को हावी होने का मौका प्राप्त हो।

Arvind Kejriwal

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इसके बधाई देता है और उम्मीद करता है कि आगामी समय इनके लिए अच्छा रहेगा।वह ही दिल्ली के मुख्यमंत्री होगे। यदि हम केजरीवाल की मौजूदा दशाओं की बात करे तो उनकी गुरु की महादशा (17 अगस्त 2020 तक) में तथा राहु की अंतर दशा ( 17 अगस्त 2020 तक  ) तथा शुक्र का प्रत्यन्तर (02 मार्च 2020 तक) चल रही है। दोनों ही गृह उनको समाज सेवा तथा राजनीती की तरफ धकेल रहे है, यदि दिल्ली में 2020 में विधान सभा चुनाव होते है, तो उनकी कुंडली के अनुसार 90 % से अधिक कहा जा सकता है की वे दोबारा से मुख्यमंत्री के पद तक पहुच जायेंगे।

अन्य पार्टियों को जितने के लिए उनके सामने ज्योतिष के नज़रिए से एक मज़बूत नेता खड़ा करना होगा अन्यथा उनको मुह की खानी पड़ेगी। हालांकि, यही चुनाव अगर महीने भर पहले हो जाते तो शायद परिणाम कुछ और ही होते। चूंकि 24 जनवरी को शनि भी राशि परिवर्तन कर लेगा इसलिए नवम भाव में बृहस्पति और दशम भाव में शनि शुभ संकेत दे रहा है।

मनोज तिवारी manoj tiwari

वहीं, बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी के बारे में बात करें तो उनकी भी मेष राशि है। राशि के हिसाब से उनके भी नवम भाव में बृहस्पति और केतु की युति रहेगी। ऐसे में मनोज तिवारी भी अच्छा प्रदर्शन करेंगे, इसलिए बीजेपी-आप के बीच कांटे की टक्कर होने की पूरी संभावनाएं हैं।

हालांकि, सितारे अरविंद केजरीवाल का साथ देते नजर आ रहा हैं। चौथे भाव में बृहस्पति, शुक्र और बुध की युति अरविंद केजरीवाल की स्थिति को ज्यादा मजबूत बना रही है। जबकि मनोज तिवारी के लिए सफलता के उतने योग नहीं बन रहे हैं।

सोनिया गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस थोड़ी बेहतर स्थिति में होगी। चूंकि राहुल गांधी की कुंडली का चौथा भाव शनि-चंद्रमा के विष योग से पीड़ित है, इसलिए कांग्रेस को अब थोड़ा फायदा हो सकता है। चौथा भाव जनता का भाव होता है जहां पापी ग्रहों के बैठने से जन समर्थन कम हो जाता है।

ज्योतिषी के अनुसार छठा घर कॉम्पीटिशन (प्रतियोगिता) के रूप में देखा जाता है। केजरीवाल के चौथे घर का मालिक शुक्र छठे घर में बैठा हुआ है। छठे घर में शुक्र का बृहस्पति के साथ बैठना मतलब जनता का आशीर्वाद मिलने जैसा है।

छठे घर में शुक्र-बृहस्पति के साथ बुध का संयोग उनके मजबूत संवाद की ओर इशारा कर रहा है। ऐसी स्थिति में इंसान अपनी बातों से किसी का भी दिल जीतने की ताकत रखता है। केजरीवाल के लिए साल 2026 तक बृहस्पति की दशा राजयोग कारक दशा है। इसलिए अगले छह सालों तक इन्हें सत्ता से हटाना किसी भी विरोधी के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

ajay makan

दिल्ली विधानसभा चुनाव में अजय माकन के चुनाव न लड़ने से कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो सकता है। अजय माकन की कुंडली में बेहतर प्रदर्शन के योग बन रहे थे। वह किंगमेकर की भूमिका भले ही न निभाते, लेकिन पार्टी के लिए दिल्‍ली चुनाव में अच्छा प्रदर्शन कर सकते थे।

अजय माकन के बाद कांग्रेस से जिस नेता की कुंडली सबसे ज्यादा मजबूत नजर आती है, वो हैं अरविंदर सिंह लवली। अगर कांग्रेस इन दो राजनेताओं के नाम आगे रखकर चुनाव लड़ती है तो बेहतर प्रदर्शन की संभावना है। ज्योतिषी ने बताया कि 24 जनवरी को होने वाले शनि गोचर से पहले दिल्‍ली में बड़े स्तर पर वाद-विवाद देखने को मिला। शनि गोचर का प्रभाव आने वाले समय में बीजेपी और नरेंद्र मोदी की कुंडली को भी करेगा।

harshvardhan

ज्योतिषियों के अनुसार, बीजेपी से डॉ हर्षवर्धन की कुंडली सबसे ज्यादा मजबूत मानी जा रही है। अगर दिल्ली में बीजेपी हर्षवर्धन के नेतृत्व में चुनाव लड़ती है तो निश्चित तौर पर उसे बेहतर परिणाम मिल सकते हैं।

अगर चुनाव की तारीख यानी 8 फरवरी और 11 फरवरी पर नजर डालें तो दोनों ही अंकों पर शनि का असर पड़ेगा। हालांकि 24 जनवरी को शनि का राशि परिवर्तन होते ही ये केजरीवाल की राशि के दशम भाव में बैठ जाएगा, जो कि सत्ता का कारक होता है। केवल केजरीवाल की जन्म कुंडली से ये बता पाना मुश्किल होगा क्योंकि 69 अन्य सदस्यो की कुंडली  का आकलन भी होना चाहिए उसके बाद ही सही  तस्वीर सामने आएगी।  लेकिन आज ज्योतिषीय आंकलन से केजरीवाल की जीत मुश्किल है।