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Holika Dahan 2021: होलिका दहन में लकड़ी की जगह गाय के गोबर से बने उपलों का करें इस्तेमाल, जानें वजह

Holika Dahan 2021: रंगों के त्योहार होली (Holi 2021) से एक दिन पहले होलिका दहन (Holika Dahan) मनाया जाता है। जिसमें सभी लोग मिलकर होलिका जलाते हैं। जिस जगह पर होलिका दहन करना होता है, वहां लोग कई दिनों पहले से ही लकड़िया इकट्ठा करने लगते हैं।

नई दिल्ली। रंगों के त्योहार होली (Holi 2021) से एक दिन पहले होलिका दहन (Holika Dahan) मनाया जाता है। जिसमें सभी लोग मिलकर होलिका जलाते हैं। जिस जगह पर होलिका दहन करना होता है, वहां लोग कई दिनों पहले से ही लकड़िया इकट्ठा करने लगते हैं। लेकिन ज्यादातर लोगों को नहीं पता कि होलिका दहन में लकड़ी का इस्तेमाल नहीं किया जाना। ऐसा करना सही नहीं है। जिसका कारण हम आपको इस लेख में बताएंगे।

होलिका दहन में इन पेड़ों की लकड़ियां न जलाएं

मान्यता है कि हर पेड़ पर किसी न किसी देवता का वास होता है। यही कारण है कि हिंदुओं के तीज-त्योहारों में अलग-अलग पेड़ों की पूजा की जाती है। बरगद के पेड़ से लेकर पीपल का पेड़, शमी का पेड़, आम का पेड़, आंवले का पेड़, नीम का पेड़, केला का पेड़, अशोक का पेड़, बेलपत्र का पेड़, लगभग सभी की पूजा की जाती है। इसलिए होलिका दहन के मौके पर हरे पेड़ की लकड़ियों को नहीं जलाना चाहिए।

होलिका दहन में इन पेड़ों की लकड़ियां जलाएं

होलिका दहन के दिन गिने चुने पेड़ों की ही लकड़ियां जलाने की सलाह दी जाती है। जो हैं- एरंड और गूलर के पेड़। वैसे तो गूलर का पेड़ भी शुभ माना जाता है लेकिन इस मौसम में गूलर और एरंड के पत्ते झड़ने लगते हैं और अगर इन्हें जलाया न जाए तो इनमें कीड़े लगने लगते हैं। इस लिहाज से इन दोनों पेड़ों की लकड़ियों का इस्तेमाल होलिका दहन में किया जा सकता है।

होलिका दहन में करें उपले और कंडे का इस्तेमाल

पेड़ों की लकड़ियों की जगह गाय के गोबर से बने उपले और कंडों से होलिका दहन करना चाहिए। ये हर लिहास से बेहतर हैं। इसके अलावा खर-पतवार को भी होलिका की आग में जलाना चाहिए। ऐसा करने से बड़ी तादाद में हरे पेड़ और लकड़ियों को बचाया जा सकता है।

कब है होलिका दहन

होलिका दहन 28 मार्च को है। इसकी पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 37 मिनट से 08 बजकर 56 मिनट तक रहेगा।