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Shardiya Navratri 2021: नवरात्रि के चौथे दिन स्कंदमाता की पूजा, जानें क्या है पूजा का महत्व और पूजन विधि

Shardiya Navratri 2021: कार्तिकेय (स्कन्द) की माता होने के कारण इन्हें स्कन्दमाता कहा जाता है। मां की चार हाथ है। मां कमल के पुष्प पर बैठी हुई हैं ऐसे में इन्हें प्द्मासना के नाम से भी जाना जाता है। मां की गोद में कार्तिकेय भी बैठे हुए हैं। जब मां की पूजा की जाती है तो कार्तिकेय की पूजा स्वयं ही हो जाती है।

नई दिल्ली। नवरात्रि के चौथे दिन आज रविवार को मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप स्कंदमाता की पूजा की जाती है। कार्तिकेय (स्कन्द) की माता होने के कारण इन्हें स्कन्दमाता कहा जाता है। मां की चार हाथ है। मां कमल के पुष्प पर बैठी हुई हैं ऐसे में इन्हें प्द्मासना के नाम से भी जाना जाता है। मां की गोद में कार्तिकेय भी बैठे हुए हैं। जब मां की पूजा की जाती है तो कार्तिकेय की पूजा स्वयं ही हो जाती है।

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मिलते हैं खास लाभ

संतान प्राप्ति के लिए स्कंदमाता की पूजा की जाती है। कहा जाता है जो भी दंपत्ति निसंतान है वो अगर मां की पूजा करता है तो उसे संतान प्राप्ति होती है। मां की पूजा में पीले फूल चढ़ाए जाने चाहिए। मां को जिन चीजों का भोग लगाया जाता है वो भी पीले रंग की ही होनी चाहिए। इस दौरान आप भी पीले रंग के वस्त्र धारण करें तो इससे पूजा का विशेष फल मिलता है। इसके अलावा मां की पूजा से माता पिता और संतान के बीच के रिश्ते मधुर होते हैं।

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देवी के इस रूप का क्या है महत्व

स्कंदमाता शेर पर सवार है जो क्रोध का प्रतीक है। मां की गोद में भगवान कार्तिकेय हैं, जो पुत्र मोह दर्शाता है। मां का देवी का ये रूप हमें सीखाता है कि जब भी हम भगवान को पाने के लिए भक्ति के रास्ते पर चलते हैं तो गुस्से पर हमारा नियंत्रण होना चाहिए, जिस तरह से मां शेर को अपने काबू में रखती हैं।