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तंबाकू उत्पादों पर कानूनी सख्ती से देश बनेगा स्वस्थ

तंबाकू उत्पादों को लेकर हमारे सामने स्पष्ट चुनौती है और उनका समाधान भी बहुत स्पष्ट है। तंबाकू उपभोक्ताओं के मामले में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है। यहां के लगभग 26.8 करोड़ लोग तंबाकू या इससे बने उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं। यही नहीं भारत में हर साल लगभग 12 लाख लोग तंबाकू इस्तेमाल से जनित बीमारियों से मार जाते हैं।

भारत में तंबाकू उत्पादों का कारोबार कितनी तेजी से फैल रहा है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रोजाना करीब साढ़े पांच हजार किशोरों को इसकी लत लग रही है। भारतीय युवाओं के लिए यह नई चुनौती है। तंबाकू उत्पाद बनाने वाली कंपनियों के कारोबार के लिए यह आंकड़ा फायदेमंद है क्योंकि युवाओं को लत लगने का सीधा मतलब है कि अगले कई दशकों तक ये उनके ग्राहक बने रहेंगे और उनका कारोबार फलता-फूलता रहेगा। तंबाकू कारोबारी जानते हैं कि किसी भी नई लत को बढ़ावा देना हो तो युवा पीढ़ी ज्यादा आसान निशाना हो सकती है। इसलिए वे उन्हें ही लक्ष्य बनाकर अपने उत्पादों का प्रचार प्रसार करते हैं। स्वास्थ्य पर तंबाकू के बुरे प्रभावों को देखते हुए ही विकसित देश कड़े कानूनों के जरिये और जागरूकता बढ़ा कर तंबाकू का उपयोग कम करने में जुटे हैं जिससे इन कंपनियों का कारोबार उन देशों में घटता जा रहा है। ऐसे में ये कंपनियां भारत जैसे विकासशील देशों को निशाना बना रही हैं जहां युवाओं की बड़ी आबादी है और जो उनका राजस्व बढ़ाने में बड़े मददगार साबित हो रहे हैं।

Tobacco

 

ऐसे में हमारा सामाजिक दायित्व बनता है कि हम अपनी अगली पीढ़ी को इस लत से दूर करने के लिए कदम उठाएं। यह संतोष की बात है कि इस चुनौती से निपटने के लिए न केवल राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाई दे रही है, बल्कि जनता का अपार समर्थन भी मिल रहा है। तंबाकू सेवन को लेकर लोगों की मानसिकता का आकलन करने के लिए हाल ही में किए गए दो देशव्यापी सर्वेक्षणों में कुछ उत्साहजनक और दिलचस्प रुझान सामने आए हैं।

उपभोक्ताओं के हितों के लिए काम करने वाले संगठन ‘कंज्यूमर वॉइस’ की ओर से देश के 10 राज्यों में टेलीफोन पर करवाए गए सर्वेक्षण में शामिल 1500 लोगों में से 80 प्रतिशत से अधिक ने माना कि सिगरेट, बीड़ी और धूम्रपान रहित (चबाने वाले) तंबाकू उत्पादों का उपयोग देश के लिए बहुत गंभीर समस्या है। जबकि लगभग 88 प्रतिशत लोगों का कहना था कि भारत में तंबाकू सेवन को महामारी घोषित किया जाए। इन लोगों ने मौजूदा तंबाकू कानून को और सख्त बनाने का समर्थन भी किया। इनमें से ज्यादातर का ये भी कहना था कि रेस्टोरेंट, हवाई अड्डों और होटलों में धूम्रपान के लिए आरक्षित रखे गए विशेष क्षेत्रों (डेजिग्नेटेड स्मोकिंग एरिया या डीएएसए) को समाप्त कर सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए।

Smoking

इसी तरह सोशल मीडिया वेबसाइट ट्विटर पर किए गए एक दूसरे सर्वेक्षण में लोगों ने तंबाकू नियंत्रण कानून को ज्यादा से ज्यादा सख्त बनाने की वकालत की। 8-12 फरवरी 2021 तक ऑनलाइन किए गए इस सर्वे में 30 हजार से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया जिनमें ज्यादातर युवा थे। सर्वे में शामिल लोगों का मानना है कि भारत के लाखों लोगों को इस जानलेवा लत, तंबाकू जनित बीमारियों और इससे होने वाली मौतों से बचाने के लिए तंबाकू नियंत्रण कानून को और कड़ा कर उन्हें प्रभावी तरीके से लागू किया जाना चाहिए। सर्वेक्षण में शामिल करीब 94.6 प्रतिशत लोगों का कहना था कि धूम्रपान करते वक्त उन व्यक्तियों के आसपास रहने वाले या उनके संपर्क में आने वाले बच्चों और महिलाओं जिनमें उनके परिवार के लोग भी शामिल हैं, का स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है। इस सर्वे में शामिल ज्यादातर लोगों ने भी यही माना कि सार्वजनिक स्थानों जैसे रेस्टोरेंट, होटल और हवाई अड्डों पर धूम्रपान पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। हालांकि सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (COTPA) 2003 के तहत सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पहले से प्रतिबंधित है। मगर इस कानून में रेस्टोरेंट, होटल और हवाई अड्डों पर धूम्रपान के विशेष क्षेत्र (डीएसए) बनाने की अनुमति दी गई है। इस छूट का जम कर दुरुपयोग हो रहा है। इसी वजह से सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पूर प्रतिबंध पूरी तरह प्रभावी नहीं हो पा रहा है और धूम्रपान नहीं करने वाले लोग भी पैसिव स्मोकिंग का शिकार हो रहे हैं।

सर्वे में शामिल लगभग सभी लोगों (99 प्रतिशत) ने इस तथ्य पर चिंता जताई कि भारत में रोजाना करीब साढ़े पांच हजार किशोर तंबाकू सेवन की घातक लत से ग्रसित हो रहे हैं। लगभग सभी लोगों ने तंबाकू उत्पादों के बिक्री वाले स्थानों (दुकानों एवं कियोस्क) पर तंबाकू उत्पादों के प्रदर्शन और विज्ञापन लगाने को प्रतिबंधित करने के पक्ष में ऑनलाइन वोट दिया। हालांकि मौजूदा तंबाकू नियंत्रण कानून के तहत तंबाकू उत्पादों के विज्ञापन पर प्रतिबंध लगा हुआ है लेकिन हाल ही में एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि दुकानों पर इन उत्पादों का आक्रामक रूप से प्रचार किया जा रहा है। विशेष रूप से उन दुकानों और कियोस्क पर जो स्कूलों और शिक्षण संस्थानों के आसपास हैं ताकि बच्चों और किशोरों को इनके इस्तेमाल के लिए आसानी से लुभाया जा सके। लगभग 96 प्रतिशत लोगों का कहना था कि मानव स्वास्थ्य के लिए घातक सिगरेट, बीड़ी, गुटखा जैसे तंबाकू उत्पादों को नियंत्रित करने के लिए बनाए गए नियमों का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। ऐसे में इसे रोकने के लिए ज्यादा से ज्यादा जुर्माना लगाने का प्रावधान किया जाना चाहिए।

तंबाकू उत्पादों को लेकर हमारे सामने स्पष्ट चुनौती है और उनका समाधान भी बहुत स्पष्ट है। तंबाकू उपभोक्ताओं के मामले में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है। यहां के लगभग 26.8 करोड़ लोग तंबाकू या इससे बने उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं। यही नहीं भारत में हर साल लगभग 12 लाख लोग तंबाकू इस्तेमाल से जनित बीमारियों से मार जाते हैं। यह गंभीर चिंता का विषय है। इससे स्पष्ट है कि तंबाकू देश के विकास के लिए एक बोझ है। हम अपने लाखों युवाओं को तंबाकू की वजह से हर साल खो रहे हैं। यह उस देश के लिए स्वस्थ संकेत नहीं है जो मुनाफे से ज्यादा मानव जीवन को महत्व देता है। यदि हम वास्तव में एक मजबूत और स्वस्थ भारत का सपना देखते हैं, तो हमें स्वस्थ युवाओं की भी आवश्यकता है। यह तभी संभव हो सकता है जब हम उन्हें नशे की लत और घातक तंबाकू उत्पादों के चंगुल से बचाएं।

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केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने मौजूदा तंबाकू नियंत्रण कानून (COTPA 2003) की कमियों को दूर करने के लिए हाल ही में कानून में संशोधन की प्रक्रिया शुरू करने का साहसिक निर्णय लिया है। इसके तहत सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर प्रतिबंध के बावजूद रेस्टोरेंट या होटल और हवाई अड्डों पर धूम्रपान करने के विशेष क्षेत्र (डेजिग्नेटेड स्मोकिंग एरिया) बनाने की अनुमति देने जैसी खामियां को दूर करने का प्रयास शामिल है। इसी तरह सिगरेट के पैकेटों पर इससे होने वाले नुकसान को ठीक ढंग से नहीं बताए जाने और भ्रामक जानकारी देने जैसी खामियां भी इससे दूर हो सकेंगी। साथ ही इन उत्पादों के विज्ञापन पर प्रतिबंध के बावजूद दुकानों में तंबाकू उत्पादों का हो रहा विज्ञापन भी इससे रोका जा सकेगा। मौजूदा कानून में विभिन्न प्रावधानों के उल्लंघन पर जो जुर्माना लगाया गया है वह अपर्याप्त है। इस वजह से भी तंबाकू की खपत को निंयत्रित करने और इस कानून को प्रभावी तरीके से लागू करने में दिक्कत आ रही है।

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सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन और व्यापार एवं वाणिज्य, उत्पादन, आपूर्ति एवं वितरण नियमन निषेध) (संशोधन) विधेयक, 2020 में यह प्रस्ताव किया गया है कि रेस्टोरेंट, होटल और हवाई अड्डों पर धूम्रपान के लिए विशेष क्षेत्रों (डीएसए) बनाने की अनुमति देने वाले प्रावधानों को हटाया जाए। ये संशोधन उन लोगों को सेकेंड हैंड स्मोकिंग के खतरे से पूरी तरह से सुरक्षा प्रदान करेंगे जो धूम्रपान नहीं करते हैं। साथ ही यह प्रस्ताव उन लोगों को हतोत्साहित करेगा जो मौजूदा कानून की खामियों का इस्तेमाल कर कुकुरमुत्ते की तरह हुक्का बार खोल रहे हैं। धूम्रपान के लिए विशेष क्षेत्र (डीएसए) आरक्षित करने के प्रावधानों को हटाने से भारत विश्व स्वास्थय संगठन (डब्ल्यूएचओ) के धूम्रपान मुक्त वातावरण बनाने के उन मानकों को भी पूरा करने में पूरी तरह से सक्षम होगा जिनका जिक्र वैश्विक तंबाकू महामारी (GTCR) पर संगठन की रिपोर्ट में किया गया है।

तंबाकू नियंत्रण कानून कॉटपा के संशोधन विधेयक में जो प्रस्ताव किया गया है उससे दुकानों एवं बिक्री की अन्य जगहों और तंबाकू उत्पादों के पैकों पर विज्ञापनों के प्रदर्शन और उनके प्रचार प्रसार पर रोक लगेगी। साथ ही कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) कार्यक्रमों सहित तंबाकू उद्योग की ओर से प्रायोजित आयोजनों पर रोक लग जाएगी। तंबाकू उत्पादों की बिक्री की न्यूनतम आयु 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष करने से भी हमारी भावी पीढ़ी को शुरुआत में ही तंबाकू इस्तेमाल के खतरों से सुरक्षा सुनिश्चित हो सकेगी। वास्तव में, वर्ष 2014 के बाद से ही नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से देश में तंबाकू के उपयोग को नियंत्रित करने के लिए कई साहसिक कदम उठाए गए हैं। सिगरेट, बीड़ी सहित चबाने वाले तंबाकू उत्पादों के सभी पैकेटों पर 85 फीसदी सचित्र चेतावनी वाला कानून लागू करने के अलावा ई-सिगरेट को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है जो बहुत ही सराहनीय कदम है।

अब कॉटपा में प्रस्तावित संशोधन भारत को स्वस्थ बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। वर्तमान और भावी पीढ़ी को तंबाकू सेवन से होने वाले स्वास्थ्य, सामाजिक, पर्यावरणीय और आर्थिक नुकसान से बचाने के लिए सभी हितधारकों को हाथ मिलाने की आवश्यकता है।

(लेखिका आईटी एंटरप्रेन्योर और भाजपा की महाराष्ट्र इकाई की प्रवक्ता हैं)