नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी RBI ने उन भारतीय निवेशकों को बड़ा झटका दिया है, जो कि बिटक्वाइन और डॉगक्वाइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करते हैं। बता दें, देश में मौजूद क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों को लेनदेन के लिए एक सुरक्षित पेमेंट सॉल्यूशंस को लेकर कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं सूत्रों की मानें तो आरबीआई की ओर से मिली चेतावनी के बाद बैंकों ने उन सांझेदारियों को खत्म करना शुरू कर दिया है जो कि उनकी क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों के साथ थी। बैकों द्वारा क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों के साथ सांझेदारियों के खत्म होने का असर ये हो रहा है कि क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों को लेकर यूजर्स की शिकायतें बढ़ रही हैं
क्रिप्टोकरेंसीज के पक्ष में नहीं है- RBI
आरबीआई ने क्रिप्टोकरेंसीज को लेकर कहा था कि वह इसके (क्रिप्टोकरेंसीज) के पक्ष में नहीं है। आरबीआई ने इसके पीछे तर्क देते हुए कहा था क्रिप्टोकरेंसीज में निवेश से वित्तीय स्थिरता पर इनके असर को लेकर आशंका है।
पेमेंट गेटवेज सर्विस बंद होने से लेनदेन पर असर
देश के पुराने क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों में से एक ज़ेबपे (ZebPay) के को-चीफ एग्जिक्यूटिव अविनाश शेखर का कहना है कि बैंकों को अब बिजनेस करने में हिचकिचाहट हो रही है। उनका कहना है, “हम बहुत से पेमेंट पार्टनर्स के साथ बातचीत कर रहे हैं, लेकिन इसमें कुछ महत्वपूर्ण सफलता हासिल नहीं हो पाई। क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज अब अन्य तरीकों पर विचार विमर्श कर रहा है जिनमें छोटे पेमेंट गेटवेज के साथ हाथ मिलाना, अपने पेमेंट प्रोसेसर बनाना और तुरंत सेटलमेंट को रोकना एक है।”
दो क्रिप्टो एक्सचेंज ने की एयर-पे से साझेदारी
आपको बता दें रेजर-पे (Razorpay), पे-यू (PayU) और बिलडेस्क (BillDesk) जैसे बड़े पेमेंट गेटवेज ने किप्टोकरेंसी एक्सचेंजों के साथ अपनी साझेदारी को खत्म कर दिया गया है। क्योंकि ये सभी पेमेंट गेटवेज भी लेनदेन की प्रोसेसिंग के लिए बैंकों पर ही निर्भर हैं। हालांकि दो क्रिप्टो एक्सचेंजों द्वारा एयर-पे (AirPay) के साथ साझेदारी की है। जो कि एक छोटी पेमेंट प्रोसेसिंग फर्म है। गौरतलब है कि देश में इस वक्त करीब 1.5 करोड़ लोग ऐसे हैं जो की क्रिप्टो पर इनवेस्ट करते हैं।