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LIC IPO: रूस-यूक्रेन जंग ने किया भारतीय निवेशकों को बर्बाद, LIC का भी फंस सकता है IPO

LIC IPO: सरकार ने आईपीओ के लिए मार्च की समय सीमा तय की थी। 13 फरवरी को आईपीओ दस्तावेज SEBI में जमा कराए गए थे। दस्तावेजों के मुताबिक, एलआईसी की एंबेडेड वैल्यू 5 लाख 40 हजार करोड़ रुपये (71.7 अरब डॉलर) आंकी गई है।

नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन के बीच सातवें दिन भी युद्ध जारी है। अब इस युद्ध का असर भारत में भी दिखना शुरू हो गया है। एक तरफ जहां कच्चे तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं, तो वहीं अब देश के सबसे बड़े आईपीओ (IPO) पर भी जंग का असर पड़ता दिखाई दे रहा है। निवेशक सरकारी स्वामित्व वाली इंश्योरेंस कंपनी एलआईसी (LIC) के आईपीओ का लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। बता दें कि, भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का आईपीओ इस महीने पेश होना प्रस्तावित है। हालांकि जैसे-जैसे यूक्रेन पर रूस के हमले तेज हो रहे हैं, इस आईपीओ पर भी काले बादल मंडराने लगे हैं।

गौरतलब है कि, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बिजनेसलाइन को दिए इंटरव्यू में आईपीओ की टाइमिंग के रिव्यू के संकेत दिए हैं। जिसके बाद ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि, जंग के हालातों के बीच आईपीओ को अगले वित्त वर्ष के लिए टाला जा सकता है। सीतारमण ने कहा, “मैं LIC IPO के मामले में पहले से तय कार्यक्रम के हिसाब से ही आगे बढ़ना चाहती हूं, क्योंकि हमने इसे पूरी तरह से भारतीय विचारों पर आधारित किया है। लेकिन वैश्विक कारणों से अगर मुझे इसे देखने की जरूरत होगी, तो मुझे इस पर फिर से विचार करने में कोई दिक्कत नहीं होगी।”

बता दें कि, सरकार ने आईपीओ के लिए मार्च की समय सीमा तय की थी। 13 फरवरी को आईपीओ दस्तावेज SEBI में जमा कराए गए थे। दस्तावेजों के मुताबिक, एलआईसी की एंबेडेड वैल्यू 5 लाख 40 हजार करोड़ रुपये (71.7 अरब डॉलर) आंकी गई है। गैरतलब है कि, केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष के दौरान अपने बजट घाटे को पूरा करने के लिए सरकारी असेट्स को बेचने की योजना बनाई है, उसका सबसे बड़ा हिस्सा एलआईसी के आईपीओ से ही आना है। आईपीओ के जरिए सरकार इसमें अपनी पांच फीसदी हिस्सेदारी बेच रही है।