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Bank Fraud By ABG Shipyard: कांग्रेस की यूपीए सरकार के दौर से शुरू हुआ बैंक फ्रॉड का महाघोटाला उजागर, 22842 करोड़ का हुआ खेल

यूपीए सरकार के दौर में शुरू हुआ और मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के तीन साल तक चला सबसे बड़ा बैंक फ्रॉड का मामला सामने आया है। ये मामला साल 2012 से 2017 तक का है। आरोपी एबीजी शिपयार्ड नाम की कंपनी और उसके तत्कालीन एमडी ऋषि कमलेश अग्रवाल समेत 8 लोग हैं।

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नई दिल्ली। यूपीए सरकार के दौर में शुरू हुआ और मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के तीन साल तक चला सबसे बड़ा बैंक फ्रॉड का मामला सामने आया है। ये मामला साल 2012 से 2017 तक का है। आरोपी एबीजी शिपयार्ड नाम की कंपनी और उसके तत्कालीन एमडी ऋषि कमलेश अग्रवाल समेत 8 लोग हैं। एसबीआई के नेतृत्व में बैंकों के कंसोर्शियम यानी गुट की ओर से शिकायत मिलने के बाद सीबीआई ने इस मामले में केस दर्ज किया है। 28 बैंकों से 22842 करोड़ की धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज हुई है। ये कंपनी जहाज बनाने और उन्हें रिपेयर करने का काम करती है। शिपयार्ड गुजरात के दाहेज और सूरत में हैं। इससे पहले विजय माल्या और हीरा व्यापारी नीरव मोदी के बैंक फ्रॉड के मामले सामने आए थे, लेकिन इस मामले में फ्रॉड से हासिल धनराशि सबसे ज्यादा है।

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इस मामले में बैंक किस तरह चुप्पी साधे रहे, इसका भी खुलासा अब हो रहा है। स्टेट बैंक ने सबसे पहले 8 नवंबर 2019 को शिकायत दर्ज कराई थी कि कंपनी के पास आईसीआईसीआई बैंक के 7089 करोड़, आईडीबीआई बैंक के 3634 करोड़ रुपए, बैंक ऑफ बड़ौदा के 1614 करोड़ रुपए, पंजाब नेशनल बैंक के 1244 करोड़ और इंडियन ओवरसीज बैंक के 1228 करोड़ रुपए बकाया हैं। इस शिकायत पर सीबीआई ने 12 मार्च 2020 को कुछ और जानकारी चाही थी। इसके बाद अगस्त में बैंकों के समूह ने फिर शिकायत दर्ज कराई। डेढ़ साल से ज्यादा वक्त तक जांच चली और अब 7 फरवरी को सीबीआई ने कार्रवाई शुरू की है।

शिकायत के मुताबिक एबीजी शिपयार्ड को स्टेट बैंक समेत 28 बैंकों के समूहों और वित्तीय संस्थानों ने कुल 2468.51 करोड़ का कर्ज दिया था। ऑडिट से पता चला कि साल 2012 से 2017 के बीच आरोपियों ने मिलीभगत से पैसे का दुरुपयोग किया। सीबीआई की एफआईआर के मुताबिक फ्रॉड करने वाली मुख्य दो कंपनियां एबीजी शिपयार्ड और एबीजी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड हैं। इस मामले में बैंकों के अलावा एलआईसी को भी 136 करोड़ का झटका लगा है। प्राथमिक जांच के मुताबिक पैसे को विदेश भेजा गया और प्रॉपर्टी खरीदी गई। साथ ही कानून को दरकिनार कर एक कंपनी का पैसा दूसरी कंपनी को भेजा गया। अब इस मामले में जल्दी ही गिरफ्तारियां होने की उम्मीद है।