नई दिल्ली। अगर आप किसी भी सामरिक विशेषज्ञ से यह जानने की कोशिश करेंगे कि यदि किसी भी देश को बलहीन बनाना है, तो सर्वप्रथम क्या करना चाहिए? तो जवाब यह रहेगा कि सबसे पहले उसकी आर्थिक कमर तोड़ दी जाए। जब किसी देश की आर्थिक कमर पर प्रहार किया जाता है, तो वो आधी जंग हार ही चुका होता है। अभी वर्तमान परिपेक्ष्य में देखें तो रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के दौरान भी रूसी राष्ट्रपति भी कुछ ऐसी रणनीतियों का इस्तेमाल कर यूक्रेन के खिलाफ करते हुए नजर आ रहे हैं। पहले रूसी सैनिकों ने यूक्रेनी नागरिकों को निशाना बनाया है, लेकिन जब उससे भी उनका मन नहीं भरा, तो अब रूसी सैनिकों ने यूक्रेन की आर्थिक गतिविधियों पर चौपट करना शुरू कर दिया है। अभी हाल ही में रूसी सैनिकों द्वारा यूक्रेन के न्यूक्लिर प्लांट पर जिस तरह से हमला किया गया है, यह उसका ताजा उदारहण है। बाजार विशेषज्ञों की मानें तो रूस ने उक्त कदम यूक्रेन को बिजलीहीन बनाने की दिशा में उठाया है।
रूस के कदम पर बाजार विशेषज्ञों की राय
वहीं, अंतरराष्ट्रीय बाजार विशेषज्ञ अजय बग्गा के मुताबिक, रूस द्वारा यूक्रेन स्थित न्यूक्लिर प्लांट पर हमला करने के पीछे दो मुख्य उद्देश्य हैं। प्रथम यह कि यूक्रेन के ईंधन आपूर्ति संयंत्रों को बंद किया जा सकें, क्योंकि यूक्रेनी नागरिकों पर हमला करने से उन्हें कुछ हासिल नहीं हो रहा है, लिहाजा अब रूसी सैनिकों ने यूक्रेनी ईंधन संयत्रों को पर हमला करने का मन बना लिया है, ताकि यूक्रेन को उर्जावीहिन किया जा सकें। दूसरा, ईंधन आपूर्ति संयंत्रों पर हमला करने का मुख्य उद्देश्य यह है कि आगे चलकर यक्रेन अपने लिए हथियार न बना सकें। प्लांट में मौजूद यूरेनियम को समृद्ध बनाकर यूक्रेन आगे चलककर हथियार ना ले, जिसे ध्यान में रखते हुए रूसी सैनिक अनवरत यूक्रेन स्थित न्यूक्लिर प्लांट पर हमला कर रहे हैं।
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क्या #Ukraine दो हिस्सों में बटेगा?
?️#CrudeOil और उबलेगा?रूस के तेल से भारत को कैसे हो सकता है फायदा?
समझिए पूरा Global Politics @Ajay_Bagga से pic.twitter.com/R7xa2tTtgN
— Zee Business (@ZeeBusiness) March 4, 2022
विश्व बिरादरी का कोई सदस्य उठाएगा यूक्रेन के खिलाफ कदम
अब यहां सवाल यह उठता है कि जिस तरह से रूस की आक्रमकता दिन ब दिन यूक्रेन के खिलाफ बढ़ती ही जा रही है, उसे लेकर आगामी दिनों में विश्व बिरादरी का कोई सदस्य आगे आएगा। क्या अमेरिका या नाटो का कोई सदस्य रूस के रवैये के खिलाफ अपनी आवाज को मुखर करेगा। इन सवालों का जवाब देते हुए अजय बग्गा कहते हैं कि चाहे अमेरिका हो या नाटो का कोई और सदस्य रूस के खिलाफ कोई कार्रवाई करेंगे, तो इस पर बाजार विशेषज्ञ अजय बग्गा कहते हैं कि अमेरिका या नाटो का कोई भी सदस्य देश रूस के खिलाफ कदम उठाने के लिए आगे नहीं आएंगे। वहीं, बग्गा कहते हैं कि मौजूदा वक्त में जिस तरह का रवैया यूक्रेन के खिलाफ रूस ने अपनाया हुआ है, उसमें पुतिन की ही हार है, क्योंकि पुतिन और यूक्रेन दोनों एक रेस हैं और वर्तमान में यूक्रेन के खिलाफ जिस तरह की रणनीतियां पुतिन ने अपनाई हुई है, उससे उनके सैनिक भी पर्दाफाश हो चुके हैं।
उनकी रणनीतियां जगजाहिर हो गई है। अगर यह सिलसिला आगे यूं ही जा रहा तो इसमें आगे चलकर पुतिन की हार होगी। यूक्रेनी सैनिकों द्वारा काफी संख्या में रूसी सैनिक भी हताहत हुए हैं। बग्गा के मुताबिक, अगर सामरिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो प्रोपेगेंडा वॉर और इनफोर्मेंशन वार तो यूक्रेन जीत चुका है। उधर, रूस ब्लैक से लेकर बेलारूस तक एक लैंड कॉरिडोर बना रहा है और उसके चलते ये मुल्क दो हिस्सों में बंट जाएग। इस वीकेंड तक इस वैंड कॉरिडोर कै बन जाने की पूर उम्मीद है। बग्गा के मुताबिक, रूसी सैनिकों द्वारा यूक्रेन के शहरों को कब्जे में लेने की कोशिश की जा रही है और बाकी गांवों की स्थिति दुरूस्त बनी हुई है। इस युद्ध का गांवों की जीवन पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। फिलहाल, वर्तमान स्थिति को देखकर ऐसा लग रहा है कि यूक्रेन और यूक्रेनी सेना दो हिस्सों में बंट सकती है। 90 फीसद रूसी सेना यूक्रेन में दाखिल हो चुकी है।
कच्चे तेल की कीमतों पर क्या असर पड़ेगा?
अंतरराष्ट्रीय बाजार विशेषज्ञ अजय बग्गा के मुताबिक, रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग कच्चे तेल की कीमतों पर असर का सिलसिला बना हुआ है, क्योंकि रूस का तेल कोई उठा नहीं रहा है और टैंकर्स की कीमतें भी बढ़ रही है, चूंकि टैंकर्स का उपयोग स्टोरेज में किया जा रहा है। वहीं, रूस का 70 फीसद तेल विश्व बाजार लेने से गुरेज कर रहा है, जो कि उसकी भी आर्थिक कमर तोड़ने के लिए पर्याप्त है। यहां तक की रूस के छूट देने पर उसके तेल को लेने से गुरेज किया जा रहा है।