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कोरोना वैक्सीन को लेकर क्या है तीन चरणों वाली प्रस्तावित योजना, सबसे पहले किसे लगेगा टीका?

करीब 19 वैश्विक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कोरोना वायरस(Corona Virus) वैक्सीन(Vaccine) वितरण के लिए एक नई तीन चरण की योजना का प्रस्ताव दिया है, जिसे फेयर प्रायोरिटी मॉडल कहा गया है।

नई दिल्ली। कोरोना(Corona) की वजह से दुनियाभर में कोहराम मचा हुआ है, ऐसे में इसके वैक्सीन को लेकर कई देश खोज में लगे हुए हैं। भारत में इसके तीन टीके तैयार किए जा रहे हैं। फिलहाल वैक्सीन(Vaccine) की खोज के साथ इस बात की भी चर्चा है कि अगर वैक्सीन बन गई तो सबसे पहले इसे किसे दी जाएगी।

corona vaccine

विश्व के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने एक तीन चरण की योजना का प्रस्ताव दिया है, जिसके आधार पर यह तय किया जा सकता है कि कोरोना वायरस की वैक्सीन पहले किसे दी जाए। करीब 19 वैश्विक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कोरोना वायरस(Corona Virus) वैक्सीन(Vaccine) वितरण के लिए एक नई तीन चरण की योजना का प्रस्ताव दिया है, जिसे फेयर प्रायोरिटी मॉडल कहा गया है। इसका उद्देश्य कोरोना वायरस के कारण समय से पहले होने वाली मौतों और अन्य अपरिवर्तनीय स्वास्थ्य परिणामों को कम करना है। अमेरिका की पेनसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी के ईजेकील जे इमानुएल (अध्ययन के प्रमुख लेखक) ने कहा, “आबादी के आधार पर कोरोना वायरस वैक्सीन का वितरण न्यायसंगत रणनीति होगी।”

ईजेकील जे इमानुएल ने कहा, “लेकिन, तथ्य यह है कि सामान्य तौर पर हम चीजों को इस आधार पर वितरित करते हैं कि किसी स्थान पर कितने गंभीर रूप से लोग पीड़ित हैं और इस मामले में हमारा तर्क है कि पीड़ितों की प्राथमिक माप समय से पहले होने वाली मौतों की संख्या होनी चाहिए, जिसे यह कोरोना वैक्सीन रोकेगी।”

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अपने प्रस्ताव में लेखक तीन मौलिक मूल्यों की ओर इशारा करते हैं, जिनपर देशों के बीच कोरोना का टीका वितरित करते समय विचार किया जाना चाहिए। लेखकों के अनुसार, यह मौलिक मूल्य हैं- लोगों को फायदा पहुंचाना और नुकसान को सीमित करना, वंचितों को प्राथमिकता देना और सभी व्यक्तियों के लिए समान नैतिक चिंता रखना।

कोरोना से होने वाले तीन तरह के नुकसानों पर केंद्रित यह फेयर प्रायोरिटी मॉडल ऊपर बताए गए मूल्यों को साथ लाता है। कोरोना से होने वाले यह तीन तीन तरह के नुकसान- मृत्यु और स्थायी अंग क्षति, अप्रत्यक्ष स्वास्थ्य परिणाम जैसे स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में परेशानी और तनाव और आर्थिक परेशानी है।

इसको लेकर लेखकों ने तर्क दिया कि इन सभी आयामों में से मृत्यु को रोकना (विशेष रूप से समय से पहले मृत्यु) विशेष रूप से जरूरी है, जो कि निष्पक्ष प्राथमिकता मॉडल का चरण-1  है। बता दें कि कोरोना के कारण समय से पहले होने वाली मौतों की गणना प्रत्येक देश में “जीवन के मानक अपेक्षित वर्ष,” आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले वैश्विक स्वास्थ्य मीट्रिक की गणना करके की जाती है।

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दूसरे चरण के लिए लेखकों ने ‘टू मेट्रिक्स’ प्रस्तावित दिया है, जो समग्र आर्थिक सुधार के लिए और लोगों को गरीबी से बाहर निकालने के लिए होगा। और, तीसरे चरण में ज्यादा ट्रांसमिशन रेट वाले देशों को प्राथमिकता दी जाए। लेकिन, सभी देशों को कोरोना का प्रसार रोकने के लिए पर्याप्त टीके मिलने चाहिए।