newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

DU: दिल्ली सरकार के फैसले पर चला हाईकोर्ट का हथौड़ा, एसएस फंड से वेतन देने के आदेश पर लगी रोक

Delhi University: अदालत(Court) के इस फैसले पर डूसू(DUSU) का कहना है कि यह छात्रों के व्यापक हितों की जीत है और डूसू उम्मीद करता है कि आगे की कार्यवाही में भी फैसला छात्रों के पक्ष में रहेगा।

नई दिल्ली। दिल्ली सरकार द्वारा बीते 16 अक्टूबर को फैसला लिया गया था कि, स्टूडेंट्स सोसाइटी फंड से दिल्ली विश्वविद्यालय के 12 राज्य वित्तपोषित कॉलेजों में टीचिंग-नॉन टीचिंग स्टाफ को वेतन दिया जाएगा। इस आदेश के बाद छात्रों द्वारा इसे छात्र विरोधी निर्णय बताया गया था। इसे लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद(ABVP) तथा दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ शुरुआत से ही इस कदम तथा अवैध निर्णय के खिलाफ में थे। बता दें कि दिल्ली सरकार के इस निर्णय के विरोध में अभाविप तथा डूसू ने संयुक्त रूप से दिल्ली सरकार के खिलाफ दिल्ली सचिवालय पर जोरदार प्रदर्शन किया लेकिन इस पर भी सरकार नहीं जागी और छात्र विरोधी इस फैसले को वापस नहीं लिया। इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ ने दिल्ली सरकार के निर्णय के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। जिसपर संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने शुक्रवार को मामले के प्रारंभिक चरण में दिल्ली सरकार के 16 अक्टूबर के आदेश पर रोक लगा दी है।

delhi university

अदालत के इस फैसले पर डूसू का कहना है कि यह छात्रों के व्यापक हितों की जीत है और डूसू उम्मीद करता है कि आगे की कार्यवाही में भी फैसला छात्रों के पक्ष में रहेगा। बता दें कि इस मामले में आगे की कार्यवाही 2 नवंबर के दिन होनी तय है। गौरतलब है कि हाईकोर्ट में यह याचिका दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ अध्यक्ष अक्षित दहिया ने दायर ने की है।

DU ABVP

वहीं हाईकोर्ट द्वारा दिल्ली सरकार के आदेश पर स्टे लगाने के बाद डूसू ने अपने संयुक्त बयान में कहा कि, “सरकार द्वारा छात्रों के धन के दुरूपयोग के बारे में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ को जब से जानकारी हुई थी, तभी से डूसू इसके विरोध में था। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार शैक्षणिक संस्थानों में इस तरह की निम्न स्तरीय राजनीति करने पर उतारू है। दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास में इस तरह के दिल्ली सरकार के हस्तक्षेप का यह एक बड़ा और दुर्भाग्यपूर्ण उदाहरण है। दिल्ली सरकार को हाईकोर्ट ने आईना दिखाने का काम किया है। हम इस मामले से जुड़े छात्रों के विभिन्न पक्षों को मजबूती से न्यायालय के सामने रखेंगे और हम यह आशा करते हैं कि इस प्रकार के छात्र विरोधी निर्णय लेने से दिल्ली सरकार बाज आएगी।”