नई दिल्ली। जामिया मिलिया इस्लामिया (Jamia Millia Islamia) में तीन दिवसीय ऑनलाइन अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (Online International Conference) का आयोजित किया गया है। यह सम्मेलन ‘ए डिकेड सिंस द अरब स्प्रिंग पर्सपेक्टिव्स ऑन टरमोइल एंड स्टेबिलिटी इन वेस्ट एशिया एंड नार्थ अफ्रीका’ विषय पर आधारित है। इसमें भारत के लिए पश्चिम एशियाई क्षेत्र के महत्व पर जोर दिया गया है। इस क्षेत्र के साथ भारत के लंबे समय तक ऐतिहासिक संबंधों, आर्थिक, व्यापार और सुरक्षा आदान-प्रदान पर बात की जा रही है।
जामिया की कुलपति प्रोफेसर नजमा अख्तर ने इस दौरान इस बात पर जोर दिया कि पश्चिम एशिया की घटनाओं का हम पर गहरा प्रभाव है और इसलिए हमें नीतिगत निर्णय लेने के लिए इस क्षेत्र को बेहतर ढंग से समझने की आवश्यकता है। यूएई में भारत के पूर्व राजदूत रहे तल्मीज अहमद ने सम्मेलन में वक्तव्य दिया। इसमें उन्होंने पश्चिमी एशियाई क्षेत्र की राजनीति, अर्थशास्त्र और समाज को आकार देने में अरब स्प्रिंग के स्थायी प्रभाव के बारे में बात की। पश्चिमी एशियाई अध्ययन केंद्र के निदेशक जावेद अहमद खान ने केंद्र की उपलब्धि और उसके भविष्य के लक्ष्यों के बारे में संक्षिप्त परिचय दिया।
सम्मेलन में कुल 9 तकनीकी सत्र निर्धारित किए गए हैं और 38 शोध आलेख प्रस्तुत किए जाएंगे। लगभग 10 प्रतिभागियों द्वारा यूनाइटेड स्टेट्स, तुर्की, पोलैंड, यूएइ, लेबनान और ईरान से अपने शोध आलेख प्रस्तुत करने की अपेक्षा है। सम्मेलन का आयोजन डॉ. सुजाता ऐश्वर्या, एसोसिएट प्रोफेसर, पश्चिमी एशियाई अध्ययन केंद्र और प्रोफेसर मुजीब आलम, अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन अकादमी, जामिया द्वारा किया गया है। सम्मेलन का विषय अरब स्प्रिंग पर उनकी संयुक्त परियोजना का हिस्सा है, जिसे 2018 में आईसीएसएसआर द्वारा सम्मानित किया गया है।