newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

हिंदू आस्था पर फिर प्रहार, अब राममंदिर से रामलला की मूर्ति हटाना चाहती है कांग्रेस !

कांग्रेस नेता नाना पटोले ने कहा है उनकी सरकार आएगी तो राममंदिर का शुद्धिकरण किया जाएगा। राम दरबार भी अपने हिसाब से स्थापित करेंगे।

एक बार फिर कांग्रेस ने हिंदू आस्था पर प्रहार किया है। हालिया ताजा बयान महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले का है। उन्होंने  राम मंदिर को लेकर विवादित बयान दिया है। नाना पटोले ने कहा है कि हमारी सरकार आएगी तो राम मंदिर का शुद्धिकरण किया जाएगा। यह वही कांग्रेस है, जिसने कभी भगवान राम के अस्तित्व से इंकार कर दिया था, क्या आज उसके नेता भगवान श्रीराम में आस्था दिखाने के नाम पर फिर से राम मंदिर का शुद्धिकरण कराए जाने की बात बोलकर भगवान श्रीराम का अपमान और हिंदू आस्था पर प्रहार नहीं कर रहे हैं। पटोले यहीं पर नहीं रुके उन्होंने यहां तक कह दिया कि राम दरबार भी अपने हिसाब से स्थापित करेंगे। वहां भगवान राम की मूर्ति नहीं है, बल्कि रामलला के बाल स्वरूप की मूर्ति है।

कांग्रेस के पूर्व नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने पिछले दिनों कहा था, मैं कांग्रेस में 32 साल तक रहा। जब राम मंदिर बनना शुरू हुआ उसके बाद राहुल गांधी ने अपने नजदीकी लोगों की बैठक बुलाई थी। इसमें अमेरिका के रहने वाले अपने एक शुभचिंतक को भी बुलाया था जिनके कहने पर इशारे में यह बात कही थी कि अगर हमारी सरकार बनती है तो हम सुपर पावर कमीशन बनाकर राम मंदिर के फैसले को पलट देंगे। इसके बाद ही पीएम मोदी ने मध्यप्रदेश में एक रैली में कहा कि हम 400 सीट इसलिए मांग रहे हैं ताकि राम मंदिर पर ताला न लगा दिए जाए। क्या वास्तव में कांग्रेस की मंशा राम मंदिर पर ताला लगाने की है। कांग्रेस नेता जिस तरह से आए दिन बयान देते हैं, हिंदू आस्था का अपमान करते हैं, वह कांग्रेस के नेताओं का असल चरित्र उजागर करता है।

कांग्रेस सदैव से हिंदू आस्था पर प्रहार करती आई है। कांग्रेस कभी राम के अस्तित्व को नकारती है, कभी कांग्रेस में राम मंदिर के फैसले को बदल देने की योजनाएं बनाई जाती हैं, कभी कांग्रेस के नेता राम मंदिर के शुद्धिकरण की बात करते हैं तो कभी कांग्रेस के नेता हिंदू आस्था पर सवाल उठाते हैं। बता दें कि राम मंदिर का फैसला आने से पहले जब राम मंदिर के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई चल रही थी तब भी मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति करने वाली कांग्रेस की मंशा यही थी कि राम मंदिर ही न बन पाए। इसके लिए बाकायदा कांग्रेस सरकार में भगवान श्रीराम के अस्तित्व पर ही सवाल उठाए गए थे। सर्वोच्च न्यायालय में बाकायदा हलफनामा दिया गया था जिसमें भगवान राम को काल्पनिक बताया गया था। जब श्री जन्मभूमि मंदिर में रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा हुई तो कांग्रेस ने प्राण प्रतिष्ठा को भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कार्यक्रम बताते हुए इसके निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया था।इसको लेकर कांग्रेस में अंतर्कलह भी सामने आई थी। भगवान राम के अपमान को लेकर कई नेताओं ने कांग्रेस से इस्तीफा भी दिया था।
2016 में राहुल गांधी अयोध्या गए थे, वह हनुमानगढ़ी गए थे लेकिन मुस्लिम तुष्टीकरण करने वाली कांग्रेस के नेता राहुल गांधी तब भगवान श्रीराम के दर्शन के लिए नहीं गए थे। वैसे तो वह स्वयं को ब्राह्मण बताते हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पुष्कर में खुद को कश्मीरी कौल ब्राह्मण बताते हुए अपना गोत्र दत्तात्रेय बताया था। राम मंदिर से कांग्रेस और उसके नेताओं को दिक्कत क्या है यह समझ से परे है। 2022 में कर्नाटक कांग्रेस के कार्यकारी राज्य अध्यक्ष सतीश जरकीहोली ने भी हिंदू आस्था पर प्रहार किया था, हालांकि बाद में विवाद बढ़ता देख उन्होंने माफी मांग ली थी। दरअसल विचार से विचारधारा का जन्म होता है। कांग्रेस के पास इस समय अपनी कोई विचारधारा नजर नहीं आ रही है, इसके चलते उसके नेता इस तरह अर्नगल बयान देते रहते हैं। ऐसे बयानों से जनता के मन में कांग्रेस की हिन्दू विरोधी छवि उभरती है और आम जनमानस को पीड़ा पहुँचती है।

डिस्कलेमर: उपरोक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं ।