newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

तेजस्वी यादव की एक करोड़ लोगों को सरकारी नौकरी देने वाली बात सिर्फ और सिर्फ चुनावी जुमला

देश की कुल आबादी जो 130 करोड़ से भी ज्यादा है, उसमें केंद्रीय कर्मचारियों को मिलाकर तमाम राज्यों में सरकारी कर्मचारियों की संख्या लगभग 2 करोड़ 15 लाख ही है। ऐसे में लगभग 50 प्रतिशत और सरकारी नौकरियां बढ़ाने की बात करना केवल चुनावी जुमला ही है और कुछ नहीं।

लालू प्रसाद यादव की राजद ने भी अपना घोषणा पत्र जारी किया है। इसमें एक करोड़ युवाओं को सरकारी नौकरी देने की बात की गई है। उनके बेटे और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री रहे तेजस्वी यादव ने कहा कि अगर इंडी गठबंधन की हमारी सरकार आएगी तो 15 अगस्त से पूरे देश में नौकरी देना शुरू करेंगे। पहली ही कैबिनेट बैठक में एक हस्ताक्षर से दस लाख लोगों को नौकरी दी जाएगी। तेजस्वी यादव ने एक करोड़ नौकरी देने की बात तो घोषणा पत्र के माध्यम से कह दी, लेकिन यह कितना व्यावहारिक है ? क्या ऐसा हो सकता है ? यदि आंकड़ों की बात करें तो ऐसा नहीं हो सकता।

आंकड़ों की बात करें तो देश की कुल आबादी जो 130 करोड़ से भी ज्यादा है, उसमें केंद्रीय कर्मचारियों को मिलाकर तमाम राज्यों में सरकारी कर्मचारियों की संख्या लगभग 2 करोड़ 15 लाख ही है। इसमें 48.67 लाख केंद्रीय कर्मचारी हैं। इसमें सबसे बड़ी संख्या तीनों सेनाओं और अर्धसैनिक बलों की है। ऐसे में तेजस्वी का यह कहना है कि पहली ही कैबिनेट में वह एक हस्ताक्षर से 10 लाख लोगों को नौकरी देंगे, यह संभव ही नहीं है। 50 प्रतिशत और सरकारी नौकरियां बढ़ाने की बात करना केवल चुनावी जुमला ही है। अब बात आती है एक हस्ताक्षर से नौकरी देने की तो सरकार में कोई भी एक हस्ताक्षर से नौकरी नहीं दे सकता। इसके लिए नियमावली है, तय नियमों के हिसाब से सरकारी नौकरी मिलती है। जिसके लिए एक पूरी प्रक्रिया का पालन करना पड़ता है।

वरिष्ठ अर्थशास्त्री आलोक पुराणिक कहते हैं की 1 करोड़ नौकरी देने की बात करने वाली पार्टी खुद केवल 23 सीटों पर ही चुनाव लड़ रही है. उसमें से भी कितनी सीट जीत पाएगी अभी तो यह भी नहीं कहा जा सकता. यदि इंडी गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी की बात करें तो कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने तक की बात नहीं कही है, जबकि वह इस मुद्दे को लगातार उठाती रही है। क्योंकि यह व्यावहारिक नहीं है. 1 करोड़ सरकारी नौकरी देना संभव ही नहीं है यह अव्यावहारिक बात है। किसी भी सरकार के लिए यह संभव नहीं है। जो दावा तेजस्वी यादव ने किया है वह उनकी राजनीतिक अपरिपक्वता और अदूरदर्शिता को दर्शाता है।

बिहार की बात करें तो पिछले साल नवंबर में बिहार जातिगत सर्वेक्षण की रिपोर्ट में बताया गया था कि बिहार में सामान्य वर्ग के पास सबसे अधिक 6 लाख 41 हजार 281 नौकरियां हैं। वहीं पिछड़ा वर्ग सरकारी नौकरियों के मामले में दूसरे स्थान पर है। इस वर्ग के पास कुल 6 लाख 21 हजार 481 नौकरियां हैं। तीसरे स्थान पर अनुसूचित जातियां है, जिनके पास 2 लाख 91 हजार 4 नौकरियां हैं। सबसे कम सरकारी नौकरियां अनुसूचित जनजाति वर्ग के पास हैं। इस वर्ग के पास कुल 30 हजार 164 सरकारी नौकरियां हैं। नीतीश सरकार द्वारा 2023 में जातीय गणना की रिपोर्ट की रिपोर्ट में बिहार की जनसंख्या जनसंख्या 13.7 करोड़ बताई गई थी। इस हिसाब बिहार की कुल आबादी में डेढ़ प्रतिशत के पास भी सरकारी नौकरियां नहीं है। ऐसे में एक करोड़ सरकारी नौकरियां देने वाली बात को प्योर चुनावी जुमला न कहा जाए तो क्या कहा जाए।

बता दें कि तेजस्वी यादव के पिता लालू प्रसाद यादव से रेलवे में कथित लैंड फॉर जॉब स्कैम के सिलसिले में लगातार पूछताछ की जा रही है। ईडी कई बार उनसे पूछताछ भी कर चुकी है। पहले मार्च 2023 में सीबीआई की जांच में सामने आया था कि केंद्रीय रेलवे मंत्री रहते हुए लालू प्रसाद यादव ने 4000 लोगों को जमीन के बदले भारतीय रेलवे में नौकरी दी थी। इस मामले में लालू की पत्नी राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव और मीसा भारती की भूमिका की भी जांच की जा रही है। तेजस्वी के खुद के परिवार पर ऐसे आरोप हैं और वह एक करोड़ सरकारी नौकरियां देने की बात कर रहे हैं। ऐसे में राजद के इस घोषणा पत्र में जो एक करोड़ सरकारी नौकरी दिए जाने की बात है और जिसका दावा तेजस्वी यादव कर रहे हैं वह कोरा चुनावी जुमला है जिसका कोई अर्थ नहीं है।

डिस्कलेमर: उपरोक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं ।