नई दिल्ली। हाल ही में अभिनेता अनुपम खेर (Anupam Kher) ने घोषणा की थी कि निर्देशक विवेक अग्निहोत्री की आगामी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ की शूटिंग पूरी हो गई है। इसकी जानकारी खुद उन्होंने एक वीडियो शेयर करते हुए दी थी। इसमें फिल्म की पूरी कास्ट और क्रू नजर आ रही है। बता दें कि ‘कश्मीर फाइल्स’ कश्मीरी हिंदुओं के जम्मू-कश्मीर से पलायन और उनकी दुर्दशा पर आधारित फिल्म है और इसमें मिथुन चक्रवर्ती के अलावा अनुपम खेर भी एक अहम रोल में नजर आएंगे। इस बीच अभिनेता अनुपम खेर ने मंगलवार को 19 जनवरी 1990 की रात का खौफनाक मंजर की पूरी कहानी बयां की है। उन्होंने ट्विटर पर एक वीडियो भी शेयर किया है।
अभिनेता अनुपम खेर ने ट्वीट कर लिखा, वक़्त के साथ कुछ ज़ख़्म न भरते हैं न छिपते है।आज कश्मीरी हिन्दुओं को कश्मीर से ज़बरदस्ती निकाले 31 सालों हो गये। एक बार फिर से मैं आप लोगों को याद दिला दूँ कि 19 जनवरी,1990 की रात को हुआ क्या था? अपने ही देश में रिफ्यूजी बने रहने का मतलब क्या होता है?
वक़्त के साथ कुछ ज़ख़्म न भरते हैं न छिपते है।आज कश्मीरी हिन्दुओं को कश्मीर से ज़बरदस्ती निकाले 31 सालों हो गये। एक बार फिर से मैं आप लोगों को याद दिला दूँ कि 19 जनवरी,1990 की रात को हुआ क्या था? अपने ही देश में रिफ्यूजी बने रहने का मतलब क्या होता है? ? #KashmiriHinduExodus pic.twitter.com/RaurLBfjQ5
— Anupam Kher (@AnupamPKher) January 19, 2021
वीडियो में अनुपम खेर कहते है कि, दोस्तों हर हाल की तरह 19 जनवरी आ गई। स्वंतत्र भारत के सबसे ज्यादा दुख ट्रेजडी हुए अब 31 साल हो गए है। एक बार फिर हम सोशल मीडिया पर ट्रेंड करेंगे। और फिर वापस अपनी- अपनी जिंदगी में वापस बिजी हो जाएंगे। लेकिन उससे पहले हर साल की तरह मैं आपको एक बार फिर से याद दिला दूं। 19 जनवरी 1990 को कश्मीर में हुआ क्या था। कत्ल बलात्कार दिन-दहाडे़ कश्मीरी पंड़ितों को गोली मार देने उन्हें अपने ही घरों से भागा देने पर विवश कर देना। ये 80 के दशक में चल रहा था। 19 जनवरी 1990 को हजारों की तदाद में लोग सड़कों पर आए। और कश्मीरी पंडितों के घर पर दस्तक देकर उन्हें अपने घरों से भाग जाने को कहा गया। इसके पीछे एक खतरनाक धमकी की थी। लाउडस्पीकर से आवाजें गूंज रही थी। उसी रात एक साथ लगभग 4 लाख कश्मीरी पंडितों का काफिला जैसे तैसे जो भी हाथ लगा उसे एक संदूक में या बैग में भरकर अपना ही घर छोड़कर अपने ही देश में रिफ्यूजी बनकर निकल पड़े।
लेकिन हमने हथियार नहीं उठाए, हमनें आजादी के नारे नहीं लगाए। हम काम करने में विश्वास रखते है। हम काम करते चले गए। तो हर साल हम 19 जनवरी को अपना जख्म कुरदते कर उसे हम खुद ताजा करेंगे, और उसमें से निकलते हुए एक-एक खून बूंद दुनिया को दिखाएगें। और याद दिलाते रहेंगे की कश्मीरी पंडितों के साथ उस रात हुआ क्या था।