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Delhi Crime Season 2 Review: फिर से है वही कहानी, क्राइम की गुत्थी सुलझानी, स्क्रीनप्ले कमजोर पर फिर भी बांधकर रखती है ये सीरीज

Delhi Crime Season 2 Review: फिर से है वही कहानी, क्राइम की गुत्थी सुलझानी, स्क्रीनप्ले कमजोर पर फिर भी बांधकर रखती है ये सीरीज यहां हम आपको सीरीज के कहानी के बारे में बताएँगे और बताएंगे कि ये सीरीज कितनी ख़ास है।

नई दिल्ली। कुछ समय पहले दिल्ली क्राइम सीरीज आई थी जिसे दर्शक और क्रिटिक दोनों का खूब साथ मिला था और इस फिल्म को सराहा भी खूब गया था। आपको बता दें पहला सीजन निर्भया केस पर आधारित था जिसके कारण उस सीजन ने खूब सारे इमोशन को जोड़ा था और दर्शकों को बांध कर रखा है। दूसरा सीजन थोड़ा सा हटके है जो कच्छा बनियान गैंग पर आधारित है। ये गैंग एक ट्राइबल गैंग था जिसकी खबरे 90 के दशक में सुनने को खूब मिलती थी। इसी गैंग पर आधारित कहानी है। शेफाली शाह ने इस सीरीज में मुख्य भूमिका निभा रही हैं। इसके अलावा राशिका दुग्गल, राजेश तैलंग, आदिल हुसैन और गोपाल दत्त ने भी अहम भूमिका निभाई है। यहां हम आपको सीरीज के कहानी के बारे में बताएँगे और बताएंगे कि ये सीरीज कितनी ख़ास है।

क्या है कहानी

जैस हमने आपको पहले बताया कहानी कच्छा बनियान गैंग की है। जिनकी खबरें 90 के दशक में सामने आती थी आज एक बार फिर वो खबरों का हिस्सा बनने लगे हैं। शहर में हत्याएं हो रही हैं। एक के बाद एक हत्या के कारण डीसीपी वर्तिका चतुर्वेदी के ऊपर दबाव है। कमिश्नर से हर हत्या के बाद सवाल पूछा जा रहा है। जब कमिश्नर को हर बात का जवाब चाहिए होता है तो डीसीपी वर्तिका के पास जाता है। वर्तिका चतुर्वेदी का किरदार शेफाली शाह ने निभाया है। वर्तिका चतुर्वेदी कहानी को सुलझाने में लगी हुई हैं जिसमें उनका साथ देने के लिए उनके सहकर्मी भी हैं सब इस केस को सॉल्व करने की पूरी कोशिश करते हैं और कहानी इसी बीच घूमती है।

कैसी है कहानी

पहले सीजन और दूसरे सीजन का कुछ खास संबंध नहीं है। इसीलिए अगर आपने पहला सीजन नहीं भी देखा है तब भी आप इसके दूसरे सीजन को देख सकते हैं। इस सीरीज में ज्यादा कुछ ख़ास नहीं है। बल्कि कई कहानियों की तरह मिलती जुलती सामान्य सीरीज है। हां इस सीरीज को बनाया ठीक ढंग से गया है। फिल्म में डायरेक्शन और कैमरा वर्क दोनों ही अच्छा है। स्क्रीनप्ले में उतना जान नहीं है। लेकिन करैक्टर की परफॉरमेंस आपको सीरीज देखने में इंट्रेस्ट बनाए रखती हैं। सीरीज में गहराई नहीं है। कभी कभी सीरीज के कुछ सीन खींचे हुए भी लगते हैं और उसके कारण सीरीज कुछ उबाऊ भी बन जाती है। संवाद उतने अच्छे नहीं हैं लेकिन इस सीरीज की लम्बाई को कम किया जा सकता था। ओवरआल स्क्रीनप्ले अच्छा नहीं है। कलाकारों की परफॉरमेंस और डायरेक्शन के कारण ही फिल्म को देखा जा सकता है।