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Pran Birthday Special: बरखुरदार डायलॉग से फेमस प्राण का जन्मदिन आज, पान की दुकान पर ऐसे मिली थी पहली फिल्म

Pran Birthday Special: उन्होंने अपने फिल्मी करियर में 350 से अधिक फिल्में कीं जो बॉक्स ऑफिस पर सुपर डुपर हिट रही। इन फिल्मों में जिस देश में गंगा बहती है, उपकार, शहीद, पूरब और पश्चिम, राम और श्याम, जंजीर, डॉन और अमर अकबर एंथनी जैसी बेहतरीन शामिल हैं।

नई दिल्ली। ‘इस इलाके में नए आए हो बरखुरदार, वर्ना यहां शेर खान को कौन नहीं जानता!’ जैसे तमाम डायलॉग बोलने वाले अभिनेता, जिनके डायलॉग लोगों की जुबान पर चढ़ गए, जिन्होंने अपनी अदाकारी से फिल्मों में  प्राण फूंक दिए, ऐसे शानदार बॉलीवुड एक्टर प्राण का आज जन्मदिन है। वास्तव में उनका पूरा नाम प्राण किशन सिकंद था। उन्होंने अपने करियर की शुरूआत 1942 में की। फिल्मों में उन्होंने ज्यादातर विलेन की भूमिका निभाई, लेकिन उनकी अदाकारी इतनी जानदार थी, कि लोग उनके नाम से ही डरने लगे थे। उन्होंने अपने फिल्मी करियर में 350 से अधिक फिल्में कीं, जो बॉक्स ऑफिस पर सुपर डुपर हिट रही। इन फिल्मों में ‘जिस देश में गंगा बहती है’, ‘उपकार’, ‘शहीद’, ‘पूरब’ और ‘पश्चिम’, ‘राम और श्याम’, ‘जंजीर’, ‘डॉन’ और ‘अमर अकबर एंथनी’ जैसी बेहतरीन फिल्में शामिल हैं।

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सन 1920 में आज ही के दिन पुरानी दिल्ली के बल्लीमारान इलाके में बसे एक रईस परिवार में जन्में दिवंगत अभिनेता प्राण ने पहली बार साल 1940 में आई पंजाबी फिल्म ‘यमला जट’ में काम किया था। उसके बाद 1942 में बॉलीवुड में डेब्यू किया और उनका फिल्मी करियर शुरू हो गया। बॉलीवुड में एंट्री करने के बाद केवल पांच सालों में यानी 1947  तक वो तकरीबन 22 फिल्मों में खलनायक का रोल निभा चुके थे।

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हिंदी फिल्मों में अपना करियर शुरू करने से पहले प्राण ने मुंबई के मरीन ड्राइव स्थित एक होटल में आठ महीनों तक काम किया था। एक रोज जब वो एक पान की दुकान पर खड़े थे, कि तभी पंजाबी फिल्मों के लेखक मोहम्मद वली की उन पर नजर पड़ गई और उन्होंने उन्हें अपनी आने वाली फिल्म ‘यमला जट’ के लिए सिलेक्ट कर लिया। यहां से प्राण की जिंदगी में एक नया मोड़ आया और उन्हें एक के बाद एक कई फिल्में मिलने लगी। कहा जाता है, कि फिल्म जंजीर के लिए अमिताभ बच्चन का नाम प्राण ने ही सजेस्ट किया था।

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देश की आजादी के साल यानी 1947  में हुए भारत पाकिस्तान के बंटवारे का फिल्म इंडस्ट्री पर काफी गहरा असर पड़ा। बंटवारे के दौरान कई लोग पाकिस्तान चले गए थे, जिससे फिल्म इंडस्ट्री का काम काफी प्रभावित हुआ। ऐसे में प्राण ने अपना फिल्मी सफर दोबारा शुरू करने का फैसला किया और साल 1948  में देवानंद की फिल्म जिद्दी में काम किया। कहा जाता है, कि प्रसिद्ध लेखक सहादत हसन मंटो ने उन्हें इस फिल्म के लिए रिकमंड किया था। इस फिल्म में काम करने के बाद अभिनेता प्राण ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्हें साल 2001 में ‘पद्मभूषण’ और ‘दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड’ से भी सम्मानित किया गया था। इसके अलावा फिल्म इंडस्ट्री और दर्शकों ने उन्हें ‘विलेन ऑफ द मिलेनियम’ के टाइटल से भी नवाजा था।