नई दिल्ली। हिन्दी सिनेमा जगत की पहली ‘ड्रीम गर्ल’ कही जाने वाली देविका रानी का आज जन्मदिन है। 30 मार्च 1908 को ‘विशाखापटनम’ में जन्मीं देविका रानी का नाम सदी की सर्वश्रेष्ठ नायिकाओं में आता है। मनोरंजन की दुनिया में देविका रानी का नाम बड़े शान के साथ लिया जाता है। कहा जाता है कि वो पहली ऐसी अदाकारा थीं, जिन्होंने कई मिथ और भ्रम को तोड़कर सिनेमा में अदाकाराओं के काम और नाम को स्थापित करने में सहयोग किया। एक दौर था, जब देश की महिलायें घर की चारदीवारी के अंदर भी घूंघट में रहा करती थीं। उस समय अदाकारा देविका रानी ने चलचित्रों में अभिनय का काम करके अदम्य साहस का प्रदर्शन किया था। अद्वितीय सुंदरता की धनी देविका रानी को पहला दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड भी मिला था। इसके अलावा साल 1958 में उन्हें भारत के राष्ट्रपति ने पद्मश्री से भी सम्मानित किया था। साल 1933 में फिल्म कर्मा से डेब्यू करने वाली देविका रानी ने चार मिनट लंबा किसिंग सीन दिया था। ये वो दौर था जब फिल्मों में इस तरह के सीन नहीं दिखाए जाते थे।
बता दें, देविका रानी रवींद्रनाथ टैगौर की पड़पोती थीं। उनके पिता कर्नल एमएन चौधरी मद्रास के पहले सर्जन जनरल थे। काफी शिक्षित परिवार से संबंधित होने के कारण देविका रानी को समाजिक बंदिशों का सामना नहीं करना पड़ा था। उन्होंने लंदन से थिएटर की पढ़ाई की थी। साल 1929 में देविका ने फिल्म निर्माता ‘हिमांशु रॉय’ से शादी की थी। हालांकि, उनका फिल्मी करियर केवल दस साल का रहा, जिसमें उन्होंने कुल 15 फिल्मों में ही काम किया, फिर भी उनकी हर फिल्म को क्लासिक का दर्जा हासिल है।
गहरे और सामाजिक विषयों को दर्शाती उनकी फिल्मों ने अंतर्राष्ट्रीय और भारतीय फिल्म जगत में नए मूल्य और मानदंड स्थापित किए। देविका रानी को उनके प्रशंसक हिंदी फिल्मों की पहली ‘स्वप्न सुंदरी’ और ‘ड्रैगन लेडी’ जैसे शब्दों से बुलाते थे। देविका रानी को उनकी खूबसूरती, शालीनता, धाराप्रवाह अंग्रेजी और अभिनय कौशल के लिए इंटरनेशनल लेवल पर जितनी लोकप्रियता और पहचान मिली उतनी कम ही अभिनेत्रियों को नसीब हो पाती है।